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मानवाधिकार दिवस पर दिव्यांग बच्चों के अधिकारों की जमकर वकालत की यूनिसेफ ने

-यूनिसेफ के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में राज्य मीडिया कार्यशाला का आयोजन

धर्मेन्द्र सक्सेना

लखनऊ। दुनिया भर में 10 में से एक बच्चा दिव्यांगता का शिकार है, विश्व में करीब 24 करोड़ बच्चे दिव्यांगता के साथ जी रहे हैं। उन्हें स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और सुरक्षा समेत तमाम अधिकारों के अभाव का सामना करना पड़ता है। साधारण बच्चों की अपेक्षा 10 गुना ज्यादा दिव्यांग बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। यदि वह शिक्षा शुरू भी करते हैं तो पारिवारिक व सामाजिक परिस्थितियों के बीच फंसकर पांचवी के बाद ज्यादातर की पढ़ाई छूट जाती है।

यह बात विश्व मानवाधिकार दिवस 10 दिसम्बर एवं यूनिसेफ की स्थापना के 75 साल होने के उपलक्ष्य में यहां गोमती नगर स्थित एक होटल में यूनिसेफ द्वारा समावेशी दुनिया बनाने के लिए दिव्यांग बच्चों के अधिकारों पर केंद्रित एक राज्य मीडिया कार्यशाला में यूनिसेफ उप्र. के कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. अमित मेहरोत्रा एवं यूनिसेफ के शिक्षा विशेषज्ञ ऋत्विक पात्रा ने कही। डॉ अमित ने कहा कि दिव्यांग बच्चों के साथ भेदभाव होता है। उन्होंने कहा कि इन दिव्यांग बच्चों के अधिकार दिलाने के लिए यूनिसेफ द्वारा कार्य किया जा रहा है।

ऋत्विक पात्रा ने कहा कि यूनिसेफ के प्रत्येक ऑफिस में 7 प्रतिशत स्टाफ आं​शिक दिव्यांगता के शिकार लोगों को रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि दिव्यांगता का आधार मेडिकल नहीं सामाजिक होना चाहिये।

यूनिसेफ उप्र. के प्रमुख डॉ. जकारी ऐडम ने कहा कि अपना 75वां वर्ष मना रहा यह संगठन सरकार और तमाम लोगों के साथ मिलकर बच्चों के अधिकारों के लिए काम कर रहा है। इस मौके पर स्टेज पर मौजूद दिव्यांग बच्चों ने विभिन्न प्रस्तुतियों दीं। किसी ने गीत सुनाया तो किसी ने अपने भविष्य के सपनों को साझा किया। इस मौके पर सभी को बाल अधिकारों का संरक्षण करने की शपथ दिलाई। मीडिया कार्यशाला में एक चर्चा का भी आयोजन किया जिसमें वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मिश्रा, शैलवी शारदा व शिल्पी सेन पैनलिस्ट के रूप में शाामिल रहे तथा इस चर्चा का संचालन अरशाना अजमत ने किया।

कार्यक्रम की शुरुआत यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने करते हुए कहा कि हर बच्चे की तरह दिव्यांग बच्चे को भी सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है, लेकिन अफसोस ऐसा नहीं होता है, ऐसे बच्चों को अपने अधिकारों को पाने के लिए कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ ऐसे बच्चों की लड़ाई लड़ रहा है, हमें इन बच्चों को इनके अधिकार दिलाने के लिए मिलकर काम करना होगा।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जनरल मैनेजर डॉ मनोज शुक्ला, महिला एवं बाल विकास विभाग के डिप्टी डाइरेक्टर पुनीत मिश्रा ने सरकार द्वारा दिव्यांग बच्चों के लिए किये जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए अपने विचार प्रस्तुत किये गये। शिक्षा विभाग के कन्सल्टेंट आरएन सिंह ने समावेशी शिक्षा की गतिविधियां एवं कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। डॉ. शकुंतला मिश्र पुनर्वास विश्वविद्यालय के रूपेश कुमार ने दिव्यांग बच्चों को उच्च शिक्षा के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं के विचारों को कार्यक्रम में उप​स्थित मूक एवं बधिर बच्चों को बताने के लिए शकुंतला विश्वविद्यालय से आये प्रतिनिधियों ने लगातार इशारोें की भाषा से समझाने का कार्य कुशलता पूर्वक किया।इस कार्यशाला में यूनिसेफ से डॉ. निर्मल सिंह, वासित मलिक, ऋचा श्रीवास्तव, पीयूष एंटनी, दिनेश कुमार, सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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