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जन्मजात मलद्वार न होने के कारणों को जानने के लिए रिसर्च की आवश्यकता

-किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के मनाया 26वां स्थापना दिवस

-देश भर से जुटे विशेषज्ञों ने मलद्वार विकृति के इलाज के बारे में साझा किये अपने अनुभव

सेहत टाइम्स

लखनऊ। अनेक शिशुओं में मलद्वार का न होना एक महत्वपूर्ण जन्मजात स्थिति है, ऐसे बच्चों के पैदा होने के बाद की स्थिति अत्यन्त कष्टप्रद और विशेष प्रबंधन वाली होती है, मल का त्याग करने के लिए अस्थायी रूप से व्यवस्था की जाती है, फिर बच्चा जब सर्जरी लायक हो जाता है तब सर्जरी कर प्राकृतिक स्थान पर मलद्वार बना दिया जाता है। सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा होता क्यों है, यही चिंता आज किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस समारोह में देश भर से आये पीडियाट्रिक सर्जन्स ने व्यक्त की। इनका कहना था कि ऐसी जेनेटिक रिसर्च किये जाने की जरूरत है कि क्या हम ऐसा कर सकते हैं कि इस कष्टप्रद स्थिति के साथ किसी बच्चे का जन्म न हो।

केजीएमयू स्थित ब्राउन हॉल में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग ने आज 19 अक्टूबर को अपना 26वां स्थापना दिवस एवं सतत् शिक्षा कार्यक्रम मनाया। इस कार्यकम में जेनी लिंड अस्पताल नॉर्विक यू०के० के डा० आशीष मिनोचा ने वाखतू-टंडन व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने “यूनाइटेड किंगडम में पीडियाट्रिक सर्जरी प्रशिक्षण की संभावनाओं” के बारे में जानकारी दी। इसके अतिरिक्त देश के विभिन्न हिस्सों से आये अन्य विशेषज्ञों ने मलद्वार विकृति के इलाज के बारे में अपने अनुभव साझा किये।

आईएमएस, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से आये डॉ ए०एन० गंगोपाध्याय ने बताया कि मलद्वार की सर्जरी एक ही चरण में की जा सकती है। ज्ञात हो सामान्यत: यह सर्जरी तीन चरणों में की जा रही है। पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ एसएन कुरील लड़के और डॉ सुनीता ने लड़कियों में इस स्थिति के इलाज के बारे में जानकारी दी। इन रोगियों के लैप्रोस्कोपी विधि से इलाज के बारे में मुंबई के डॉ रसिक शाह और जबलपुर के डॉ विकेश अग्रवाल ने अपने अनुभव साझा किये। इनके अतिरिक्त मलद्वार की सर्जरी में जटिलता होने की स्थिति के बारे में एम्स नयी दिल्ली की डॉ शिल्पा और एमएएमसी नयी दिल्ली की डॉ सिम्मी रतन ने ऑपरेशन के विषय में बताया है इसके अतिरिक्त विशेषज्ञों में पी०जी०आई० चण्डीगढ से डॉक्टर रवि कनौजिया, जीएमसी श्रीनगर से डा० राशिद, मेदान्ता अस्पताल गुरुग्राम से डा० संदीप सिन्हा ने भी अपने-अपने अनुभव साझा किये।

समारोह के उद्घाटन की अध्यक्षता कुलपति डा० सोनिया नित्यानंद ने करते हुए उप कुलपति डा० अपजीत कौर एवं डीन डा० अमिता जैन के साथ किया।

पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा० एस० एन० कुरील ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया, आयोजन सचिव एवं पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा० जे० डी० रावत ने विभाग की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि मलद्वार का न होना एक महत्वपूर्ण जन्मजात स्थिति है और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के पास इन रोगियों के इलाज का व्यापक अनुभव है। केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की डॉ अर्चिका गुप्ता ने इस कार्यक्रम में आये सभी मेहमानों एवं विभाग के सभी डाक्टरों, कर्मचारियों एवं नर्सिंग स्टॉफ को कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान के लिए धन्यवाद दिया।

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