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मुंह के कैंसर का इलाज गर्दन के रास्ते से करने की सलाह दी प्रो डीक्रूज ने

-केजीएमयू के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ने स्थापना दिवस पर आयोजित किया व्याख्यान

सेहत टाइम्स

लखनऊ। मुंह में होने वाला कैंसर गले की गिल्टी नेक नोड्स तक फैलने की बहुत संभावना होती है, ऐसे में यदि शुरुआती स्टेज के मुंह के कैंसर की सर्जरी की जा रही है तो उसे गर्दन से ही करनी चाहिये, यह मुंह और गर्दन दोनों को स्वस्थ रखने में सहायक होती है।

यह सलाह भारत के प्रख्यात कैंसर सर्जन और ऑन्कोलॉजिस्ट प्रो. अनिल डीक्रूज़ ने आज 4 सितम्बर को यहां केजीएमयू के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के 26वें स्थापना दिवस पर आयोजित प्रो एनसी मिश्रा व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए दी। प्रो डीक्रूज वर्तमान में अपोलो अस्पताल, मुंबई में सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुंह के कैंसर की पूरी सर्जरी होनी चाहिए। इससे रोगी की बेहतर जीवन रक्षा होती है। उन्होंने बेहतर रोगी देखभाल के लिए अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए युवा डॉक्टरों की सराहना की।

इस विशेष अवसर पर चेन्नई के कैंसर संस्थान में जीआई ऑन्कोलॉजी के प्रो रामकृष्णन ने “बड़ी आँत के कैंसर का मल्टीमोडैलिटी ट्रीटमेंट के विकास” पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि मलाशय के कैंसर के उपचार में बहु-विषयक प्रबंधन से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। ट्रीटमेंट में सर्जरी के बजाय कीमोथैरेपी, रेडियोथैरेपी दोनों से ही उपचार किये जाने की सलाह दी। साथ ही उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि इन दोनों ही थैरेपी के साइड इफेक्ट भी काफी हैं, ऐसे में अब एक नयी थैरेपी इम्यूनथैरेपी से उपचार किया जाना ज्यादा श्रेयस्कर होगा, बताया जाता है कि इसमें मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली दवाओं की मौजूदगी ज्यादा होती है, इसलिए इसके नुकसान की संभावना बहुत कम है। इस थैरेपी में मरीज के इम्यून सिस्टम को मजबूत कर कैंसर से लड़ने की क्षमता बढ़ाने की दिशा में कार्य किया जाता है।

कुलपति केजीएमयू प्रो सोनिया नित्यानंद ने विभाग के अच्छे काम की सराहना की। उन्होंने बहु संस्थागत सहयोगात्मक अनुसंधान की आवश्यकता पर जोर दिया। कुलपति ने विभाग की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।

विशिष्ट अतिथि प्रो संजीव मिश्रा ने विभाग के साथ अपने पुराने जुड़ाव को याद किया और विश्वविद्यालय प्रशासन से कैंसर रोगियों के बेहतर इलाज की सुविधा के लिए बेहतर उपकरण और रोबोट उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। इससे पूर्व सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष  प्रो. विजय कुमार  ने विभाग की वार्षिक  उपलब्धियों पर प्रकाश  डालते हुए बताया  कि पिछले वर्ष 33,204 मरीजों को ओपीडी में देखा गया और 1,530 मरीजों के कैंसर का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। उन्होंने बताया कि विभाग ने अमेरिका और इंग्लैंड के प्रसिद्ध कैंसर संस्थानों के साथ साझा  अनुसंधान में महत्वपूर्ण  प्रगति  की  है।
 इसके साथ ही, उन्होंने यह जानकारी दी कि सीएसआर फंड से खरीदी गई HIPEC और इलेक्ट्रोकेमोथेरेपी मशीनें विभाग में स्थापित कर दी गई हैं, जो जल्द ही चालू हो जाएंगी।

इस अवसर पर के.जी.एम.यू. के विभिन्न विभागाधक्ष, संकाय सदस्य, छात्र-छात्राएं, कर्मचारी एवं विभाग के पूर्व छात्र सम्मिलित हुए।

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