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एनएचएम के तहत भर्ती संविदा चिकित्सकों को नहीं मिल रहा वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ

-संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ, उत्तर प्रदेश ने वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर लिखा पत्र

सेहत टाइम्स

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के अंतर्गत संविदा पर तैनात किये जाने वाले एमबीबीएस चिकित्सकों की वेतन विसंगति को दूर करने की मांग करते हुए संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ, उत्तर प्रदेश ने एनएचएम यूपी के निदेशक को पत्र लिखा है।

महामंत्री योगेश उपाध्याय ने पत्र में लिखा है कि एनएचएम के तहत संविदा पर नियुक्त किये जाने वाले एमबीबीएस चिकित्सकों के वेतन में बहुत विसंगति है। इन चिकित्सकों को दूसरे राज्यों की तरह वार्षिक वेतन वृद्धि न दिये जाने से यह विसंगति पैदा हो रही है जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी विभाग में एक ही पद पर पुराने कार्मिकों का वेतन नवीन तैनात कार्मिकों के वेतन से कम नहीं हो सकता है।

पत्र में लिखा गया है कि जबकि अन्य राज्यों में वेतन विसंगति दूर करते हुए पुराने कार्मिकों के लिए प्रतिवर्ष 5% वेतन वृद्धि को शामिल किया गया है। इसका उदाहरण देते हुए बताया गया है कि यदि किसी नवीन चिकित्सक का वेतन 100,000 है, तो 2 वर्ष पुराने चिकित्सक का वेतन 5% प्रतिवर्ष वृद्धि जोड़कर 110,250 निर्धारित किया जाना चाहिए।

संघ ने अपने पत्र के साथ बिहार, मेघालय सरकार द्वारा एनएचएम के तहत दिये जा रहे वेतन में 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की वृद्धि के सम्बन्ध में दोनों राज्यों के पत्र को भी संलग्न किया गया है। योगेश ने कहा कि यह नीति सुनिश्चित करती है कि पुराने कार्मिकों को उनके अनुभव और सेवा के अनुसार उचित वेतन वृद्धि मिले, जिससे वेतन विसंगति को दूर किया जा सके। विभागों को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए ताकि सभी MBBS चिकित्सक को उनके सेवा काल के अनुसार न्यायपूर्ण वेतन मिल सके।

इस पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री/चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, मुख्य सचिव और विभागीय प्रमुख सचिव को भेजी गयी है।

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