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प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव भी दे सकता है किडनी की बीमारी

पुरुषों की अपेक्षा किडनी की बीमारी का खतरा महिलाओं को ज्‍यादा

लखनऊ। किडनी की बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होने की आशंका ज्यादा रहती है। क्रॉनिक किडनी डिजीज से विश्व भर में 19 करोड़ 50 लाख महिलाएं पीड़ित हैं। देश में महिलाओं की मौत का आठवां कारण किडनी की बीमारी है। बेहतर यह है कि इस जानलेवा और खर्चीली बीमारी से बचा जाये।

 

यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई के गुर्दा रोग विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर नारायण प्रसाद ने देते हुए बताया कि महिलाओं में कुछ खास तरह के किडनी का रोग होता है। उन्होंने बताया महिलाओं को किडनी की परेशानी के प्रति जागरुक करने के लिए इंटरनेशनल और इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी ने विश्व किडनी दिवस का आयोजन किया है प्रोफेसर प्रसाद ने बताया की प्रसव के दौरान अधिक रक्तस्राव होने पर एक्यूट क्रिटिकल नेफ्रोसिस किडनी में हो जाती है उन्होंने बताया इस बीमारी के कारण किडनी कम काम करने लगती है और ध्यान न देने पर यह स्थिति क्रोनिक किडनी डिजीज में बदल सकती है।

 

असुरक्षित गर्भपात भी हो सकता है किडनी रोग का कारण

उन्‍होंने बताया कि इसके अतिरिक्त असुरक्षित तरीके से गर्भपात के कारण रक्तस्राव और संक्रमण के चलते भी किडनी प्रभावित हो जाती है। प्रोफेसर नारायण प्रसाद ने बताया कि प्रजनन उम्र के दौरान महिलाओं में यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) की आशंका रहती है, अगर यूटीआई का समय पर इलाज ना हुआ तो किडनी पर प्रभाव पड़ सकता है, साथ ही साथ गर्भावस्था के दौरान समय से पहले प्रसव होने की भी आशंका रहती है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर, पेशाब में प्रोटीन लीक होना एक गंभीर बीमारी प्रीक्लेंपसिया को संकेत करता है इसमें जान जाने का भी खतरा हो सकता है। प्रो प्रसाद ने बताया इसके अतिरिक्त ऑटोइम्यून डिजीज ल्यूपस नेफ्राइटिस भी महिलाओं में किडनी की खराबी का बड़ा कारण है उन्‍होंने बताया कि इस बीमारी में दवाओं से काफी हद तक लंबी जिंदगी दी जा सकती है।

 

बचाव सबसे अच्‍छा

प्रोफेसर प्रसाद ने बताया बेहतर होगा किडनी से के रोग से बचाव पर ध्यान दिया जाए उन्होंने बताया कि क्रोनिक किडनी डिजीज होने पर डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट ही इलाज का रास्ता है जो कि काफी खर्चीला है ऐसे में बीमारी को शुरुआती दौर में कंट्रोल करने की जरूरत है उन्होंने कहा कि खराबी का पता लगाने के लिए समय-समय पर पेशाब में प्रोटीन, सीरम क्रिएटिनिन, ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहने की आवश्यकता है। डायबिटीज और उच्च रक्तचाप के मरीजों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

 

 

विश्‍व किडनी दिवस पर 8 मार्च को पीजीआई में जागरूकता कार्यक्रम

प्रोफेसर प्रसाद ने बताया विश्व किडनी दिवस पर 8 मार्च को PGI के श्रुति ऑडिटोरियम में एक ज्रागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसमें शहर के वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट को एक मंच पर एक साथ बुलाया गया है इनमें प्रोफेसर एम के मित्रा, प्रोफेसर आर के शर्मा, प्रोफेसर अमित गुप्ता जैसे वरिष्ठ विशेषज्ञ जन सामान्य को इन रोगों से बचने के तरीके बताएंगे। इसके अलावा इस मौके पर प्रोफेसर नारायण प्रसाद, प्रोफेसर अनुपमा कौल, प्रोफेसर धर्मेंद्र भदौरिया, डॉ नमिता राय, डॉ देवाशीष साहा, डॉ रवि एलहेन्‍स,  डॉ फजल अहमद, डॉ रवि कुशवाहा, बसंत पांडे डॉ अविनाश चंद्र, डॉ दयाल साधवानी, डॉ विनय बद्री, डॉ दीपक दीवान, डॉ अनिल सिंह, कमांड हॉस्पिटल के इंद्रनील घोष और ए के श्रीवास्तव सहित शहर के सारे गुर्दा रोग विशेषज्ञ एवं इस संस्थान के यूरोलॉजी विभाग के डॉ अनीस श्रीवास्तव, डॉ अंसारी, डॉ उदय सिंह एवं डॉ संजय सुरेखा एक साथ मिलकर अन्य विशेष जानकारी देंगे। इसके अतिरिक्त इस दिन वाकाथन का भी आयोजन होगा जो संस्थान परिसर से होते हुए मुख्य गेट पर खत्म होगा। डॉ पीके गुप्‍ता ने बताया कि इस दिन मूत्र की रूटीन जांच पीके पैथोलॉजी द्वारा निशुल्‍क की जायेगी।

 

 

 

 

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