-पेन मैनेजमेंट पर तीन दिवसीय आईएसपीसीकॉन-2023 का आयोजन 15 से 17 दिसम्बर तक
-केजीएमयू की पेन मेडिसिन यूनिट के तत्वावधान में कन्वेंशन सेंटर में हो रहा आयोजन
सेहत टाइम्स
लखनऊ। साइटिका का दर्द हो, कैंसर का दर्द हो, कमर का दर्द हो, जोड़ों का दर्द हो या हो नसों का दर्द, बिना दवा के सभी तरह के दर्द से राहत दिये जाने की दिशा में अपनाये जा रहे तरीकों को साझा करने के साथ ही इस मसले पर विस्तार से चर्चा करने के साथ ही इन तरीकों को दूसरे चिकित्सकों को सिखाने के लिए यहां लखनऊ में तीन दिवसीय आईएसपीसीकॉन-2023 में अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ जुट रहे हैं। कॉन्फ्रेंस में कैडवर पर प्रैक्टिकल करके भी प्रतिभागियों को सिखाया जायेगा।
यह जानकारी देते हुए कॉन्फ्रेंस की आयोजन सचिव केजीएमयू के ऐनेस्थीसिया विभाग में पेन मेडिसिन यूनिट चलाने वाली डॉ सरिता सिंह ने बताया कि द इंडियन सोसाइटी ऑफ पेन क्लीनिशियंस की इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेन्शन सेंटर में 15 दिसम्बर से 17 दिसम्बर तक किया जायेगा। उन्होंने बताया कि कॉन्फ्रेंस में एक दिन कार्यशाला का आयोजन किया गया है, इसमें कैडेवर पर प्रक्रिया को सिखाया जायेगा। उन्होंंने बताया कि पेन मेडिसिन यूनिट के तत्वावधान में हो रही इस कॉन्फ्रेंस की मुख्य अतिथि केजीएमयू की कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद होगी तथा कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता डॉक्टर मनीष कुमार सिंह करेंगे।कॉन्फ्रेंस के आयोजन अध्यक्ष निश्चेतना विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जीपी सिंह हैं। आपको बता देें कि पेन मैनेजमेंट में दर्द को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाली नस को सुन्न कर दिया जाता है जिससे पेन का अहसास मस्तिष्क तक नहीं पहुंच पाता है।
डॉ सरिता सिंह ने बताया कि नयी टेक्निक में सियाटिका का दर्द भी हम लोग ठीक करने लगे हैं, इसमें एंडोस्कोपी से प्रक्रिया की जाती है। दरअसल यह प्रक्रिया उन मरीजों के लिए एक बहुत बड़ा वरदान है जो ऑपरेशन के लिए फिट नहीं हैं, या बुजुर्ग हैं, डायबिटिक हैं, और साथ ही दर्द से परेशान हैं तो ऐसे में इस टेक्निक से उन्हें दर्द से छुटकारा दिलाया जाता है। इसमें हम लोग एक छोटे से छेद की सहायता से एंडोस्कोपी करते हुए व्यक्ति के दर्द के बिंदु तक पहुंचकर उपचार करते हैं। डॉ सरिता ने बताया कि नस को सुन्न करने का कार्य भी हम लोग मशीनों से करते हैं इस प्रक्रिया को रेडियोफ्रीक्वेंसी अब्लेशन कहते हैं।
घुटनों का दर्द है आम, पीआरपी से देते हैं आराम
उन्होंने बताया घुटनों व दूसरे जोड़ों के दर्द की दिक्कत आज बहुत आम हो चुकी है, ऐसे में अगर घुटना बहुत ज्यादा खराब नहीं हुआ है तो प्लेटलेट्स रिच प्लाजमा (पीआरपी) तैयार कर जोड़ों में इंजेक्ट का दिया जाता है, उन्होंने बताया कि पीआरपी बनाने की प्रक्रिया में पीड़ित व्यक्ति के शरीर से 10 से 12 मिलीलीटर रक्त लेकर उससे प्लाज्मा निकालकर जोड़ो में डाल दिया जाता है, जिससे दर्द ठीक हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग का भी हमें सहयोग मिलता रहता है। उन्होंने कहा क्योंकि जोड़ों में विशेष कर घुटनों में दर्द की समस्या बहुत से लोगों में है ऐसे में बिना किसी ऑपरेशन के डर से छुटकारा पाना इस प्रक्रिया से बहुत आसान हो जाता है उन्होंने कहा कि विभाग के कई चिकित्सकों ने अपने परिजनों और परिचितों को इस प्रक्रिया से आराम दिलवाया है। इन सभी लोगों को अब पेन किलर लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। उन्होंने बताया कि केजीएमयू के ऐनेस्थीसिया विभाग में पेन मेडिसिन यूनिट पिछले एक साल से चल रही है तथा अब तक अनेक मरीजों को इससे आराम हुआ है।