−केजीएमयू में 17 नवम्बर को आयोजित किया जा रहा सीओपीडी अपडेट
सेहत टाइम्स
लखनऊ। बढ़ता वायु प्रदूषण हमें सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज) बीमारी की महामारी के स्तर की ओर ले जा रहा है भारत में करीब साढ़े पांच करोड़ से अधिक लोग सीओपीडी से पीड़ित है सीओपीडी हर साल बड़ी संख्या में मौत के लिए जिम्मेदार है, यह सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है लेकिन बुजुर्गों में अधिक देखा जाता है। भारत में सीओपीडी के लिए धूम्रपान एक प्रमुख कारक है। देश में सीओपीडी के मामले लगभग 40% की वजह धूम्रपान का सेवन है जबकि दुनिया भर में एक तिहाई से अधिक मामले बिना धूम्रपान के भी होते हैं।
यह जानकारी विश्व सीओपीडी दिवस के मौके पर मंगलवार 14 नवम्बर को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर वेद प्रकाश ने दी। उन्होंने बताया कि घरों में खाना पकाने के लिए बायोमास ईंधन जैसे कोयला चूल्हे का प्रयोग विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सीओपीडी के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। पत्रकार वार्ता में बताया गया की सीओपीडी आमतौर पर अन्य पुरानी दीर्घकालिक बीमारियां जैसे हृदय रोग में और मानसिक स्वास्थ्य विकारों के साथ होने पर रोगी की स्वास्थ्य स्थिति और जटिल व गंभीर हो जाती है।
कई प्रक्रियाओं के कारण सीओपीडी के रोगी में वायु मार्ग संकीर्ण हो जाते हैं फेफड़ों के कुछ हिस्से नष्ट हो सकते हैं जिससे वायु मार्ग अवरुद्ध हो सकता है और वायु मार्ग की परत में जलन और सूजन हो सकती है। उन्होंने बताया कि यह एक रोकथाम योग्य और इलाज योग्य बीमारी है, जो सांस फूलना, लगातार बलगम बनने और खांसी का कारण बनती है।
उन्होंने बताया विश्व सीओपीडी दिवस इस वर्ष 15 नवंबर को मनाया जा रहा है इसका आयोजन ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव लंग डिजीज द्वारा दुनिया भर में फेफड़े के विशेषज्ञ चिकित्सकों और सीओपीडी रोगी समूह के सहयोग से किया जाता है। इस वर्ष के सीओपीडी दिवस की थीम है “सांस लेना ही जीवन है जल्द प्रयास करें”। उन्होंने बताया सीओपीडी के सामान्य लक्षणों में पुरानी खांसी, सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट, सीने में जकड़न, थकान, बार-बार श्वसन संक्रमण होना, अनपेक्षित वजन घटना, दैनिक गतिविधियां करने में कठिनाई होती है।
उन्होंने कहा कि जैसे जैसे सीओपीडी बढ़ता है, लोगों को अपनी सामान्य दैनिक गतिविधियों करने में अक्सर सांस फूलने के कारण अधिक कठिनाई होती है। सीओपीडी के अटैक के समय उन्हें घर पर अतिरिक्त उपचार प्राप्त करने या आपातकालीन देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। गंभीर अटैक जीवन के लिए खतरा हो सकता है।
उन्होंने बताया कि सीओपीडी का कोई इलाज नहीं है लेकिन लक्षणों की प्रगति को धीमा करने और भड़काने के जोखिम को कम करने के लिए यह जरूरी है कि इसका शीघ्र निदान और उपचार किया जाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा इसके अतिरिक्त कई ऐसे कदम है जो सीआपीडी से पीड़ित लोग अपने समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। इससे बचने के लिए जिन कदमों को उठाने की सलाह दी गई है उनमें धूम्रपान बंद करना, पर्यावरणीय जोखिम से बचाना, इन्फ्लूएंजा का टीकाकरण श्वसन संक्रमण को रोकने में मदद कर सकते हैं जो कि सीओपीडी के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्त श्वसन संबंधी खतरों के संभावित जोखिम वाले व्यवसाय में काम करने वाले व्यक्तियों को सुरक्षा दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए और सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।
डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि सीओपीडी होने के कारणों की बात करें तो तंबाकू, धूम्रपान (सिगरेट या बीड़ी) इसके प्राथमिक कारण हैं जबकि धूम्रपान न करने वालों को भी धूम्रपान के संपर्क में आने से सीओपीडी होने का खतरा होता है। इसके अतिरिक्त कार्य स्थल के प्रदूषकों और धूल रसायन और धुएं जैसे उत्तेजक पदार्थों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सीओपीडी विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में सीओपीडी के लक्षण वाले मरीजों की पूरी शारीरिक जांच करके बीमारी का निदान और चरण का सटीक मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिए स्पाइरोमेट्री, बॉडी प्लेथिस्मोग्राफी डिफ्यूजन स्टडी, फोर्सड आसिलोमेंट्री (एफ ओ टी) हाई रेजोल्यूशन सीटी स्कैन जैसी आधुनिक अत्यधिक सुविधा हैं अत्याधुनिक सुविधाएं हैं।
पत्रकार वार्ता में डॉ वेद प्रकाश के अलावा एराज लखनऊ मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद, रेस्पिरेट्री मेडिसिन के प्रोफेसर आरएएस कुशवाहा, थोरेसिक सर्जरी के प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार, वैस्कुलर सर्जरी के प्रोफेसर अम्बरीश कुमार भी उपस्थित थे। इस मौके पर डॉक्टर सचिन कुमार, डॉक्टर हेमंत कुमार, डॉक्टर मोहम्मद आरिफ, डॉक्टर मृत्युंजय सिंह, डॉक्टर अनुराग त्रिपाठी, डॉ दीपक शर्मा, डॉक्टर शुभ्रा श्रीवास्तव सहित अन्य लोग भी उपस्थित रहे।
डॉ वेद ने बताया कि विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग आगामी 17 नवंबर को प्रातः 10 बजे से सीओपीडी अपडेट का आयोजन कर रहा है। इस अपडेट में केजीएमयू, लोहिया संस्थान, एसजीपीजीआई एवं अन्य प्राइवेट संस्थानों से भी विशेषज्ञ सीओपीडी से संबंधित जानकारी को साझा करेंगे।