-इप्सेफ के आह्वान पर आयोजित धरने की तैयारियों को लेकर 23 जुलाई को बैठक
सेहत टाइम्स
लखनऊ। पुरानी पेंशन बहाली, आउटसोर्सिंग /संविदा/ वर्कचार्ज/ आंगनबाड़ी/ एनएचएम कर्मियों को नियमित करने, राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन तथा ठेकेदारी प्रथा को बंद करने की मांग को लेकर आगामी 30 जुलाई को इप्सेफ द्वारा जंतर मंतर पर आयोजित धरने में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद बड़ी संख्या में भागीदारी करेगा।
यह जानकारी देते हुए परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा एवं प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि कार्यक्रम की तैयारी के लिए रविवार 23 जुलाई को एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक भी की जाएगी। जनपदों के पदाधिकारियों को बैठक में भागीदारी के लिए कहा गया है। इप्सेफ द्वारा आयोजित धरने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों से अधिक से अधिक संख्या में कर्मचारी भागीदारी करेंगे, वहीं अन्य जनपदों के प्रतिनिधि भी धरने में हिस्सा लेंगे।
महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि वर्तमान समय में कर्मचारियों की सबसे प्रमुख मांग पुरानी पेंशन बहाली है, वहीं संविदा और ठेकेदारी प्रथा कर्मचारियों के भविष्य के लिए अत्यंत घातक है, देश के युवाओं की प्रतिभा का उपयोग सरकार द्वारा न करके उन्हें ठेकेदारी प्रथा मे धकेला जा रहा है, जिससे देश का युवा वर्ग अत्यंत परेशान है।
विभिन्न विभागों में स्थायी पदों के रिक्त होने के कारण कर्मचारियों पर कार्य का बोझ बहुत बढ़ गया है, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती बंद है, वहीं समूह ग और घ के पदों पर भी अब नियमित भर्ती नहीं की जा रही है, जबकि स्थायी पदों पर पूर्व से ही यह समझौता था और उसके आदेश भी थे कि उस पर कोई संविदा या ठेकेदारी भर्ती नहीं की जाएगी, लेकिन अब निजीकरण की भेंट चढ़ते हुए सभी विभागों में ठेकेदारी प्रथा बहुत तेजी से विकसित की जा रही है जिसे रोकना देश के लिए, देश के विकास के लिए, युवाओं के भविष्य के लिए बहुत आवश्यक है। राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन कर पूरे देश के कर्मचारियों को समान पद और समान वेतन दिया जाना न्यायोचित है, इस संबंध में न्यायालय द्वारा भी कई बार निर्देश दिया गया है लेकिन इसका पालन नहीं हो पाता।
देश में केंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्येक 10 वर्ष पर वेतन आयोग का गठन किया जाता है उसके बाद राज्यों में अलग-अलग वेतन आयोग या कमेटियां बनाकर निर्धारण किया जाता है, जिससे अनेक वेतन विसंगतियां बनी रहती हैं और पूरे 10 साल तक लगातार कर्मचारी वेतन विसंगति के लिए लड़ता रहता है इसलिए राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन कर कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों का निराकरण किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि इप्सेफ लगातार इन मुद्दों को लेकर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करता रहा है। परिषद ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि तत्काल तीनों मुद्दों पर निर्णय कर कर्मचारियों को न्याय दिलाएं।