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कैसे बनेगा विश्‍वस्‍तरीय कैंसर संस्‍थान, जब फैकल्‍टी ही अपने हक के लिए परेशान

कल्‍याण सिंह सुपर स्‍पेशिलिटी कैंसर इंस्‍टीट्यूट की फैकल्‍टी ने काला फीता बांधकर जताया विरोध 

एसजीपीजीआई के समान सातवें वेतनमान की मांग को लेकर कर रहे हैं आंदोलन

सेहत टाइम्‍स 

लखनऊ। लम्‍बी खामोशी के बाद आखिर कल्‍याण सिंह सुपर स्‍पेशिलिटी कैंसर संस्‍थान की फैकल्‍टी व रेजीडेंट स्‍टाफ अपने हक की मांग के लिए सार्वजनिक विरोध करने के लिए मजबूर हो गया।  यहां के फैकल्‍टी फोरम अपनी इस मांग के लिए लम्‍बे समय से कोशिश कर रहा है, लेकिन मुख्‍यमंत्री की घोषणा के बाद भी अपने हक से वंचित है।  विगत 6 वर्षों से लंबित अपनी मांगों, मुख्यतः एसजीपीजीआई  के समतुल्‍य सातवां वेतनमान  एवं प्रोन्नति इत्यादि को लेकर चक गंजरिया लखनऊ स्थित कल्याण सिंह सुपर स्पेशिलिटी कैंसर संस्‍थान के संकाय सदस्यों एवं रेसिडेंट स्टाफ द्वारा आज 18 जुलाई को काला फीता बांध कर विरोध प्रदर्शन किया गया।

ज्ञात हो कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी। संस्थान में फैकल्टी को वर्ष 2017 में नियुक्त किया गया था तथा उनके वेतनमान और भत्ते (छठा वेतन आयोग) एसजीपीजीआईएमएस फैकल्टी के बराबर थे। छह साल बीत चुके हैं लेकिन सर्वोत्तम प्रयास और कई अनुस्मारक के बावजूद, अभी भी फैकल्टी को एसजीपीजीआईएमएस के बराबर सातवां वेतन आयोग के अनुसार वेतनमान और भत्ते नहीं मिल रहे हैं। आरोप है कि संस्‍थान के साथ सौतेला व्‍यवहार किया जा रहा है।

पूर्व में भी इसी तरह की समस्या डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान, लखनऊ में हुई थी और इसे सरकार ने ठीक करके स्वीकार कर लिया था। परंतु, केएसएसएससीआई में गवर्निंग बॉडी द्वारा सातवें वेतन और भत्ते की मंजूरी के बावजूद भी डॉक्टरों को लाभ नहीं मिल रहा है।

इसके विरोध में आज केएसएसएससीआई के 30 फैकल्टी और 100 सीनियर और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर, कल्याण सिंह की प्रतिमा के सामने एकत्र हुए और अपना विरोध शुरू किया। फिलहाल वे बांह पर काली पट्टी बांधकर काम करते हुए अपनी खिन्नता प्रकट रहे हैं। केएसएसएससीआई के फैकल्टी फोरम ने निदेशक को फिर से अपनी समस्याओं से अवगत कराया और अनुरोध किया कि संस्थान के सभी डॉक्टरों को एसजीपीजीआईएमएस के अनुसार 7वें वेतन और भत्ते दिए जाएं। पिछले तीन वर्षों में 19 फैकल्‍टी ने इस्तीफा दे दिया है और एम्स, एसजीपीजीआईएमएस, आरएमएलआईएमएस, केजीएमयू एवं अन्य संस्थानों में शामिल हो गए हैं, जहां 7वां वेतन आयोग दिया जा रहा है। संस्थान की स्थापना यूपी और आसपास के राज्यों के रोगियों को विश्व स्तरीय कैंसर देखभाल प्रदान करने की संकल्पना से की गई थी। कल्याण सिंह की पुण्य तिथि के अवसर पर सन् 2022 में मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की गयी थी कि निकट भविष्य में यह संस्थान विश्व स्तरीय कैंसर संस्थान के रूप में स्थापित होगा।

वर्तमान में, केएसएसएससीआई के पास उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों के रोगियों को चौबीसों घंटे कैंसर उपचार प्रदान करने के लिए 250 क्रियाशील बेड हैं। कैंसर संस्थान में प्रतिदिन 300 से अधिक मरीज आ रहे हैं, 100 से अधिक मरीज़ रेडियोथेरेपी प्राप्त कर रहे हैं और मरीज़ की देखभाल के लिए 3 ओटी क्रियाशील हैं। पिछले कुछ महीनों में, केएसएससीआई में इलाज का लाभ उठाने के लिए एसजीपीजीआईएमएस और केजीएमयू से भी कई मरीज आ रहे हैं।

फोरम का कहना है कि यह कैंसर इंस्टीट्यूट न सिर्फ यूपी बल्कि आसपास के राज्यों के कैंसर मरीजों के लिए बड़ी उम्मीद है। डॉक्टरों के वेतन ढांचे और भत्तों को कम करके, कैंसर देखभाल की गुणवत्ता को ख़राब किया जा रहा है। भविष्य में कई और सुपर स्पेशलिटी डॉक्टर इस्तीफा दे सकते हैं। अंततः मरीजों को निजी देखभाल केंद्रों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और कैंसर के इलाज के लिए ऊंची कीमत चुकानी पड़ेगी। विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के बावजूद, जिसमें 24 मॉड्यूलर ओटी और अत्याधुनिक विकिरण मशीनें शामिल हैं, संस्थान की संभावित वृद्धि को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे अंततः मरीजों को लखनऊ के अंदर और बाहर अन्य केंद्रों में जाना पड़ेगा।

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