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स्‍टडी करके देखा जायेगा कि योग ने कितना दूर किया रोग

-राज्‍यपाल ने किया लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान में योगशाला का उद्घाटन

-मोटा अनाज खाने और योग से दिन की शुरुआत करने की सलाह दी आनंदीबेन पटेल ने

 

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। अच्छी आदतों की शुरूआत घर से होती है, घर से ये आदतें पड़ोसी, पड़ोसी से समाज तक पहुंचती हैं,  इस लिए हमें अच्छें खान-पान की आदत डालनी चाहिए और मोटे अनाज को अपने खानपान में शामिल करना चाहिये। इसके साथ हमें अपने दिन की शुरुआत योगाभ्‍यास से करनी चाहिये।

ये सलाह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने यहां लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान में आयोजित ‘‘योग द्वारा स्वास्थ्य लाभ : वैज्ञानिक आधार (health Benefits of Yoga: Scientific Basis) विषय पर संगोष्ठी एवं संस्थान की नव निर्मित योगशाला के उद्घाटन के अवसर पर अपने सम्‍बोधन में कही। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राज्‍यपाल ने कहा, जहां आज की इस जीवन शैली में परिवार के चार सदस्य एक साथ बैठकर भोजन नहीं कर पाते हैं वही हमारे प्रधानमंत्री योग के माध्यम से पूरे विश्व को एक मंच पर ले आये। प्रधानमंत्री ने पूरे विश्व को योगामय कर दिया है। इस वर्ष 21 जून को योग दिवस पर लगभग प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों से लगभग 15 लाख छात्रों ने योग कार्यक्रम में प्रतिभाग किया और भाँति-भाँति के, पानी के अन्दर योग किये, जो इस बात को साबित करता है कि कदाचित संकल्प कर लिया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं है।

संस्थान द्वारा आयोजित योग उत्सव के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के लिए आयोजित योग शिविर की सराहना करते हुये उन्होंने ‘गर्भ संस्कार‘ को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने पर जोर देते हुए कहा कि आज के युवा को इसकी जानकारी अवश्य होनी चाहिए। इस क्रम में उन्होंने बतौर अध्यापिका जर्मनी की यूनिवर्सिटी जो ‘गर्भ संस्कार‘ की पद्धति‍ पर कार्य करती है, में अपने अनुभव को साझा किया और कहा कि उसी तर्ज पर गुजरात में Children’s University  भी खोली गयी है।  उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि Tata Medical Research Centre Mumbai ने योगा थेरेपी द्वारा कैंसर से मुक्त कराया।

कार्यक्रम की शुरुआत राज्‍यपाल द्वारा संस्थान के फिजियोलॉजी विभाग में नव निर्मित योगशाला के उद्घाटन से हुई। योग नृत्य द्वारा मुख्य अतिथि का स्वागत किया गया। यह योगशाला एक चिकित्सीय कॉम्प्लेक्‍स है जिसमें एक बड़ा हाल एवं प्रयोगशालाएं उपलब्ध हैं, योगशाला का उद्देश्य यह है कि विभिन्न चिकित्सा सम्बन्धी विकारों से पीड़ि‍त लोगों को योग के प्रति जागरूक किया जायेगा। योग करने के उपरान्त प्राप्त प्रभावों का विभिन्न शारीरिक मापदण्डों में सुधार का अध्ययन इस प्रयोगशालाओं में किया जायेगा, साथ ही जरूरत पड़ने पर संस्थान के मरीजों को योगाभ्यास भी कराया जायेगा।

संस्थान की निदेशक प्रो0 सोनिया नित्यानन्द द्वारा अपने स्वागत सम्बोधन में इस वर्ष संस्थान में योग उत्सव के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला साथ ही सदन में उपस्थित सभी गण्मान्य अतिथियों का स्वागत किया गया।

इस अवसर पर संस्थान के आहार विभाग द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा स्वरूप श्रीधान्य के अन्तर्गत संस्थान की निदेशक के प्रयोजन एवं नेतृत्व में संकलित ‘‘पोषण की खान स्वास्थवर्धक पौष्टिक धान्य‘‘ पुस्तिका का विमोचन किया गया। पद्मश्री से सम्मानित डा0 खादर वाली, मिलेट मैन ऑफ इंडिया एवं राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल के संदेश भी शामिल हैं। पुस्तिका में श्रीधान्य आधारित व्यंजनों को बनाने एवं प्रस्तुतीकरण की विधि है, जिसे संस्थान की सीनियर डायटीशियन पूनम तिवारी एवं उनकी टीम के सहयोग द्वारा संकलित किया गया। इस पुस्तिका की 10 हजार प्रतियां साल भर में निःशुल्क मरीजों को वितरित की जायेंगी।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि एवं संगोष्ठी की प्रमुख वक्ता स्वामी निर्मलानन्द बिहार स्कूल आफॅ योगा ने अपने सम्बोधन में विश्व पटल पर ‘योग‘ के प्रचार-प्रसार के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए बताया कि योग से पूरे व्यक्तित्व का विकास होता है। उन्होंने यह भी बताया कि कई राज्यों में योग को विषय के रूप में सम्मिलित किया जा रहा है। संगोष्ठी को सम्बोधन करते हुए उन्होंने योग चक्र, आसन, और खोषा  पर महत्वपूर्ण चर्चा की। उन्होंने सामान्य बीमारियों, श्वसन संबंधी बीमारियों को ठीक करने में चिकित्सा में योग के महत्व और कैंसर की परिस्थियों में स्वास्थ्य को फिर से हासिल करने और स्वयं से दोबारा जुड़ने के तरीकों की भी जानकारी दी।

पीजीआईएमईआर, चंडीगढ के न्यूरोसाइंटिस्ट प्रो0 अक्षय आनंद ने एकीकृत और खोजी चिकित्सा के उपकरण के रूप में योग के महत्व पर सभा को संबोधित किया। उन्होंने चिकित्सा के विकल्प के रूप में योग अनुसंधान के महत्व और मानव अस्तित्व के आयामों को भी बताया।

आईएमएस बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के प्रो0 हरि हृदय अवस्थी ने चिकित्सा में स्वर योग भूमिका, स्वर योग के प्रकार, यह शरीर की ऊर्जा और तंत्रिका के साथ कैसे संबंध रखता है, विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि योग के ज्ञान को मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक आयाम तक पहुंचने से व्यक्ति का अस्तित्व उन्नत होगा।

लखनऊ विश्वविद्यालय के योग और वैकल्पिक चिकित्सा संकाय के डॉ0 अमरजीत यादव ने योग और पाचन तंत्र पर संगोष्ठी में भाग लिया, उन्होंने विभिन्न खाद्य पदार्थों के महत्व को बताया और बताया कि कैसे योग उचित पाचन में मदद करता है और आने वाले वर्षों में आपको पाचन संबंधी बीमारियों से सुरक्षित रख सकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ रुद्रमणि द्वारा किया गया।

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