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संघ के पदाधिकारियों की तबादला नीति के खिलाफ 11 जुलाई को बाइक रैली

-उत्‍तर प्रदेश के कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने किया ऐलान

 

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ कार्मिक विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति के पैरा 12 को कर्मचारी संगठनों का अस्तित्व समाप्त करने की साजिश बताते हुए इसको तत्काल संशोधित करने की मांग करते हुए कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा ने 11 जुलाई को आंदोलन की घोषणा कर दी है, जिसमें प्रदेश के सभी जनपदों में विशाल मोटरसाइकिल रैली का आयोजन होगा। इस बीच यदि प्रस्तर 12 के अनुसार प्रदेश में किसी भी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सचिव का स्थानांतरण किया जाता है तो तत्काल प्रभाव से आंदोलन प्रारंभ कर दिया जाएगा, जिसमें हड़ताल भी शामिल होगी। रैली के पश्चात जनपदों के जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन का भी प्रेषण किया जाएगा।

यह निर्णय 27 जून को जवाहर भवन महासंघ कार्यालय में कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता मोर्चे के अध्यक्ष वी पी मिश्रा ने की। ज्ञात हो कि अभी तक मान्यता प्राप्त संघों के प्रांतीय मंडल जिला अध्यक्ष सचिव को सामान्य स्थानांतरण से मुक्त रखा जाता रहा है, लेकिन इस वर्ष जारी स्थानांतरण नीति में इसमें संशोधन कर दिया गया है। जिससे प्रदेश भर के कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त हो गया है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की पूर्व निर्धारित बैठक में  सभी घटक संघ परिसंघ सम्मिलित हुए। बैठक में एक स्वर से स्थानांतरण नीति 2023 के उपरोक्त पैरा का विरोध किए जाने का निर्णय लिया गया।

मोर्चे की बैठक में उपस्थित संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक स्वर से मांग की है कि तत्काल स्थानांतरण नीति 2023 के उपरोक्त पैरा 12 को संशोधित करते हुए पूर्व की भांति व्यवस्था स्थापित की जाए। इसके साथ ही विभिन्न संभागों की वेतन विसंगतियां पदनाम परिवर्तन मानक संशोधन नियमावली सहित मोर्चे की अनेक मांगे लंबित बनी हुई हैं जिस पर विगत 2 वर्षों से कोई भी बैठक उच्च स्तर पर आयोजित नहीं की गई है जिसके कारण कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है सभी प्रतिनिधियों ने कहा कि जल्द ही मोर्चा अपने सभी मांगों को लेकर बड़े आंदोलन की तरफ बढ़ेगा। मोर्चे ने क्रमिक आंदोलन की रणनीति तय की।

मोर्चे के महासचिव शशि मिश्रा ने बताया कि पूर्व की नीतियों में में यह निहित होता था कि  “सरकारी सेवकों के मान्यता प्राप्त सेवा संघ के अध्यक्ष/सचिव, जिनमें जिला शाखाओं के अध्यक्ष एवं सचिव भी सम्मिलित हैं, के स्थानांतरण, उनके द्वारा संगठन में पदधारित करने की तिथि से 2 वर्ष तक न किए जाएं। यदि स्थानांतरण किया जाना अपरिहार्य हो तो स्थानांतरण के लिए प्राधिकृत अधिकारियों से एक स्तर उच्च अधिकारी का पूर्वानुमोदन प्राप्त किया जाए। जिला शाखाओं के पदाधिकारियों के स्थानांतरण प्रकरणों पर जिलाधिकारी की पूर्व अनुमति प्राप्त की जाए”।

उन्‍होंने बताया कि अत्यंत खेद का विषय है कि यदि पदाधिकारी 2 वर्ष से अधिक तक अध्यक्ष /सचिव के पद पर  निर्वाचित होता रहता है तो उन्हें यह सुविधा उनके किसी जनपद के कार्यकाल की अवधि के आधार पर इस नीति के अनुसार स्थानांतरण परिधि में आने वाले सत्र से अधिकतम 2 वर्ष तक मिल सकेगी।  जिन पदाधिकारियों के स्थानांतरण समयावधि के पूर्व किए जाने हों, उनके संबंध में विभागीय मंत्री से भी विचार-विमर्श करके कार्यवाही की जाए।”

नेताओं ने कहा कि पूर्व की परंपराओं में फेरबदल करना कर्मचारी संघों के अस्तित्व पर हमला एवं कर्मचारियों के लिए लोकतंत्र पर प्रहार है। कर्मचारी संगठनो के प्रतिनिधि सरकार, शासन व कर्मचारियो के मध्य सेतु का कार्य करते हैं। ऐसी दशा में संघों को कमजोर करने की साजिश, कदापि उचित नहीं है।

बैठक में संयोजक सतीश चंद्र पांडे, परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा,  एस पी तिवारी, राम राज दुबे, रोडवेज परिषद के महामंत्री गिरीश मिश्र, भारत सिंह यादव, संजय कुमार शुक्ल, घनश्याम यादव, जे पी पांडे, फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव, राम लाल यादव, अशोक कुमार, प्रवीण यादव, डीपीए अध्यक्ष संदीप बडोला, उमेश मिश्रा, जी एम सिंह, राजीव तिवारी, डॉ पी के सिंह, के के सचान आदि ने अपने विचार रखे और प्रस्तावित आंदोलन को लेकर समर्थन व्यक्त किया।

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