-मानसिक और भावनात्मक समस्याओं में फंसे व्यक्ति आसानी से हो जाते हैं नशे के शिकार
-नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर आईएमए में कार्यक्रम आयोजित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। मानसिक और भावनात्मक समस्याओं में फंसा व्यक्ति ज्यादातर नशे के शिकार हो जाते हैं, क्योंकि इन समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों को ड्रग्स का सेवन अस्थायी राहत देता है, परंतु बाद में स्थिति और बद्तर बन जाती है तथा यह नशे की लत उसे और अधिक परेशान करती है।
यह बात आईएमए लखनऊ के कार्यकारिणी सदस्य व मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ शाश्वत सक्सेना ने आज 26 जून को रिवर बैंक कॉलोनी स्थित आईएमए भवन में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम में दूसरे वक्ता निर्वाण मानसिक एवं नशा रोग चिकित्सा अस्पताल के निदेशक डॉ प्रांजल अग्रवाल थे। उन्होंने नशा रोगियों के उपचार एवं उनके पुनर्वास के बारे में विस्तार से चर्चा की। इस चर्चा में समाज के कर्तव्यों पर भी ध्यान दिया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ जेडी रावत तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ संजय सक्सेना उपस्थित रहे।
डॉ. शाश्वत सक्सेना ने अपने वक्तव्य में कहा कि मानसिक और भावनात्मक समस्याओं से घिरे लोग अवसाद एवं तनाव से बचने के लिए खुद को शानदार महसूस करने की इच्छा आदि प्राय: लोगों को मादक पदार्थों की ओर मोड़ देती है। उन्होंने बताया कि नशा एक व्यक्ति के जीवन को कैसे प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि नशे का मुख्य कारण जीवन में स्ट्रेस, दुख, और अवसाद की स्थिति होती है। वे उसे एक विशेष संक्रमण मानते हैं। डॉ. सक्सेना ने यह भी बताया कि यह कैसे एक चक्र बन जाता है जहां ड्रग्स का सेवन व्यक्ति को अस्थायी राहत देता है, परंतु बाद में उसे और अधिक परेशान करता है।
उन्होनें नशे के चक्र से निकालने के लिए मानसिक रूप से मजबूत बनाने के तरीकों पर भी चर्चा करते हुए जानकारी दी कि नशेबाजों की मदद के लिए परिवार का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने सलाह दी कि परिवार को नशा रोगियों के साथ सहयोग करना चाहिए, उन्हें प्यार और समर्थन प्रदान करना चाहिए और उनके अधिक संपर्क में रहना चाहिए।
डॉ. प्रांजल अग्रवाल ने बताया कि नशा रोगियों के पुनर्वास करने के लिए अस्पतालों में विशेष योग्य चिकित्सकीय दलों की आवश्यकता होती है। उन्होंने रीहैब कार्यक्रमों, मनोवैज्ञानिक सलाह, समर्थन समूहों के बारे में विस्तार से चर्चा की और उन्हें नशा रोगियों के सही और सुरक्षित उपचार की ओर प्रवृत्त करने की महत्वपूर्णता पर जोर दिया। उन्होंने सामाजिक मंचों और सरकारी संस्थाओं के लिए भी नशे के खिलाफ लड़ाई में सहयोग की मांग की। उन्होंने समाज को जागरूक करने की भी आवश्यकता बताई और नशे से पीड़ितों को समर्थन और स्नेह प्रदान करने की अपील की।
डॉ प्रांजल ने कहा कि आमतौर पर नशा रोगी, नशे के लिए अपने घर के समस्त संसाधनों को नष्ट कर चुका होता है और उनके परिजनों के पास इलाज के लिए भी पैसे नहीं होते हैं। उन्होंने बताया कि दवाओं और काउन्सलिंग के माध्यम से नशा रोगियों का सफल उपचार किया जा सकता है, ऐसे में सरकार को नशे का ईलाज आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत लाना चाहिए जिससे ऐसे सभी रोगियों का उपचार किया जा सके। डॉ प्रांजल ने बताया कि इस विषय पर उन्होंने इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा है।