-देर से डायग्नोस होने पर इलाज भी महंगा और जान का भी जोखिम
-अंतराष्ट्रीय तम्बाकू निषेध दिवस 31 मई पर डॉ अविरल गुप्ता का संदेश
सेहत टाइम्स
लखनऊ। मुंह और गले के कैंसर का मुख्य कारण तम्बाकू और सिगरेट-बीड़ी का सेवन है, सर्वोत्तम स्थिति यह है कि तम्बाकू के किसी भी रूप में सेवन से बचा जाये, जानते-बूझते तम्बाकू का सेवन कर कैंसर को दावत देना ठीक नहीं है क्योंकि महंगे इलाज वाले कैंसर की जांच ऑन्कोपैथोलॉजिस्ट करता है और ऑन्कोपैथोलॉजिस्ट की संख्या बहुत कम है, और यह हर जगह उपलब्ध नहीं हैं।
यह बात आज 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर पीके पैथोलॉजी लैब के ऑन्कोपैथोलॉजिस्ट (कैंसर जांच विशेषज्ञ) डॉ अविरल गुप्ता ने एक अपील करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यदि आप गुटखा या किसी भी रूप में तम्बाकू का सेवन करते हैं और अगर आपका मुंह यदि पूरा नही खुलता है, तथा मुंह में छाले, सफेद दाग या कोई गांठ हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क कर कैंसर जांच विशेषज्ञ से मिलें, यह जांच जितनी जल्दी करा ली जाये, उतना ही अच्छा है क्योंकि प्रारम्भिक स्टेज में कैंसर का पता चलने से उसके इलाज का परिणाम अच्छा निकल सकता है और मरीज ठीक होकर सामान्य तरीके से जी सकता है लेकिन अगर कैंसर तीसरी या चौथी स्टेज में पहुंच जाता है तो इलाज जहां और महंगा हो जाता है वहीं ठीक होने की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं।
एसजीपीजीआई में रह चुके डॉ अविरल गुप्ता ने बताया कि मुंह और गले के कैंसर का मुख्य कारण धूम्रपान और गुटखा होता है उन्होंने कहा कि हिस्टोपैथोलॉजी जांच कर कैंसर की जल्दी पहचान की जा सकती है, जिससे कैंसर सर्जन तुरंत सर्जरी तथा सिकाई आदि द्वारा शत प्रतिशत इलाज कर व्यक्ति को सामान्य जीवन दे सकता है लेकिन देर में यानी स्टेज 3 या 4 में कैंसर की पहचान होने पर इलाज बहुत महंगा और नामुमकिन हो सकता है।