संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में लेजर सर्जरी से प्रभावी इलाज उपलब्ध
सेहत टाइम्स
लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में पायलोनिडल सिस्ट का उपचार लेजर सर्जरी से किया जाना संभव हो गया है, हालिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि अब तक अन्य पारम्परिक तरीकों से किये जा रहे उपचार की अपेक्षा लेजर सर्जरी से इसका उपचार ज्यादा प्रभावी पाया गया है, क्योंकि लेजर ज्यादा गहराई तक पहुंचने से बालों को जड़ से हटा दिया जाता है। ज्ञात हो यह बीमारी उन्हीं को होती है जिनके बटक एरिया में बाल ज्यादा होते हैं।
यह जानकारी प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर एवं हेड डॉ राजीव अग्रवाल ने देते हुए बताया कि सामान्यत: यह बीमारी पुरुषों में पायी जाती है। चूंकि बटक एरिया में जब ज्यादा बाल होते हैं और पसीना आता है और छिद्रों से पसीना नहीं निकल पाता है तो उस स्थान पर एक सिस्ट बन जाती है, और उसमें गहरे तक बाल धंस जाते हैं। यह पायलोनिडल सिस्ट रीढ़ की हड्डी के छोर पर (टेल बोन) पर होती है, इस सिस्ट में जब संक्रमण हो जाता है तो यह एक फोड़े का रूप ले लेता है। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से अत्यधिक बाल होने के साथ ही पायलोनिडल सिस्ट के संक्रमित होने के कई कारण हैं इनमें मुंहासे, फोड़े, कार्बंकल्स के अलावा टेल बोन में चोट, घुड़सवारी, साइकिल चलाना, देर तक बैठे रहना और मोटापा शामिल है।
इसके लक्षणों के बारे में उन्होंने बताया कि प्रभावित स्थान पर दर्द भरी सूजन, बदबू, मवाद निकलना जैसे लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि लेजर सर्जरी से उपचार में मरीज को एनस्थीसिया देकर पायलोनिडल सिस्ट के स्थान पर छिद्रों में लेजर बीम को गहराई तक ले जाकर सभी बालों को जड़ से निकाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर इस प्रक्रिया में लगभग 15 मिनट का समय लगता है।
उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर जनरल सर्जन इसकी सर्जरी करते हैं लेकिन उससे इसके फिर से होने की संभावना काफी रहती है क्योंकि समस्या का समाधान जड़ से नहीं हो पाता है। कई प्लास्टिक सर्जन भी इसकी सर्जरी करते हैं जिसमें वे उस स्थान का मांस निकालकर दूसरा फ्लैप लगाते हैं लेकिन जहां लेजर जैसी गहराई तक नहीं पहुंचने से इसके फिर से पनपने की संभावना बनी रहती है वहीं घाव के इस प्रक्रिया में हफ्तों भी लग जाते हैं, जबकि लेजर सर्जरी में लेजर को गहराई तक ले जाकर समस्या को जड़ से समाप्त कर दिया जाता है।
डॉ राजीव ने कहा के कि पायलोनिडल सिस्ट का लेजर सर्जरी से इलाज की सफलता का प्रतिशत 87.5 है तथा इसके दोबारा होने की संभावना सिर्फ 2.9% पाई गई है। डॉ राजीव ने बताया कि लेजर सर्जरी में मरीज को एक दिन रुकने की आवश्यकता पड़ती है, ऐसे में जहां मरीज को बेहतर और प्रभावी इलाज मिलता है, वहीं जनरल सर्जरी की अपेक्षा बेहद कम समय में मरीज को बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।