उन्नाव में टॉर्च में हुए मोतियाबिंद के ऑपरेशन के मामले का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतः लिया संज्ञान
लखनऊ. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव से पूछा है कि ऑपरेशन थिएटर में बिजली का बैकअप क्यों नहीं रखा जाता है. उत्तर प्रदेश के उन्नाव में टॉर्च की रोशनी में किये गए आँख के ऑपरेशन के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है. आयोग ने योगी सरकार को नोटिस जारी किया है. आयोग ने कई बिन्दुओं पर जवाब माँगा है.
आयोग ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि साफ दिख रहा है कि इसमें डॉक्टरों की तरफ से लापरवाही बरती गई. साथ ही उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति भी उजागर हो रही है. आयोग ने कहा कि अस्पतालों खासकर ऑपरेशन थिएटर में बिजली का बैकअप तक नहीं है.
आयोग ने इस संबंध में मुख्य सचिव को नोटिस जारी करते हुए 6 बिंदुओं पर दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है. इसमें पूछा गया है कि उन सभी 32 लोगों के नाम, पते और मोबाइल नंबर उपलब्ध कराए जाएं, जिनका नवाबगंज सीएचसी में ऑपरेशन किया गया. इसके अलावा यह भी अवगत कराएं कि क्या ऑपरेशन के बाद ये सभी लोग सामान्य तरह से देख पा रहे हैं?
आयोग ने यह भी पूछा है कि अस्पताल में खासकर ऑपरेशन थिएटर में बिजली का बैकअप क्यों नहीं था? तथा टॉर्च की रौशनी में मोतियाबिन्द का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? और क्या पहले भी टॉर्च की रौशनी में ऑपरेशन किये गए हैं ? आयोग ने मुख्य सचिव से यह भी पूछा है कि अस्पताल में बिजली जाने की दशा में रोशनी के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं? आयोग का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट यह बता रही है कि जब सर्जरी शुरू हुई तो अस्पताल में बिजली गुल हो गई. डॉक्टरों ने सर्जरी रोकने की बजाए टॉर्च की रोशनी में आंख का ऑपरेशन जारी रखा.
ज्ञात हो ओम जगदंबा सेवा समिति और जिला अंधता निवारण समिति के सहयोग से नवाबगंज स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नेत्र शिविर का आयोजन किया गया था। जिसमें डॉक्टरों द्वारा टॉर्च की रोशनी में आंखों का ऑपरेशन किया गया। लापरवाही की स्थिति ये रही कि एक शख्स टॉर्च से रोशनी दिखा रहा था और डॉक्टर ऑपरेशन कर रहे थे। कल यह मामला तब सामने आया था जब ऑपरेशन के बाद जब अंधेरे में ही मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र के गलियारे में जमीन पर ही लिटाया गया। यहां पर न तो मरीजों के रुकने की उचित व्यवस्था थी और न खाने-पीने की। अव्यवस्था देख तीमारदारों में रोष व्याप्त हो गया। उन्होंने जिलाधिकारी को फोन कर मामले की जानकारी दी। जिस पर जिलाधिकारी ने तत्काल स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित करते हुए मरीजों को राहत पहुंचाने को कहा।
मामला सामने आने के बाद जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को तलब कर जांच के आदेश दे दिए। हालांकि जितनी देर में सीएमओ साहब जांच कर पाते तब तक प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मामले में संज्ञान लेते हुए उन्हें हटा दिया गया। अस्पताल में 32 मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने और ऑपरेशन के बाद उन्हें जमीन पर लिटाने की बड़ी लापरवाही के चलते स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उनके पद से हटा दिया। इस बात की भी जांच कराई जा रही है कि कैसे ब्लैक लिस्टेड संस्था को नेत्र शिविर लगाने की अनुमति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दी गई है।