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नेशनल होम्‍योपैथिक मेडिकल कॉलेज की शताब्‍दी का जश्‍न मनायेंगे पुरातन छात्र

-24 दिसम्‍बर को लखनऊ में लगेगा पूर्व छात्रों का जमावड़ा, पुरानी यादें होंगी ताजा

-कॉलेज ने दिये हैं कई ऐसे चिकित्‍सक, जिन्‍होंने हासिल किया प्रतिष्ठित मुकाम

नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। राजधानी लखनऊ स्थित नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज अपने एक सौ एक वर्ष पूर्ण कर चुका है, और इस मेडिकल कॉलेज ने होम्योपैथी के सुप्रसिद्ध चिकित्सक दिए है, जो पूरे भारत के ख्यातिप्राप्‍त चिकित्सक हुए हैं, आगामी 24 दिसंबर को नेशनल और मोहन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की एलुमिनाई मीट का कार्यक्रम लखनऊ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एलुमिनाई एसोसिएशन द्वारा किया जा रहा है, जिसमे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले इस कॉलेज के पुरातन डॉक्टर एक बार फिर लखनऊ की सरजमीं पर मिलकर अपने पुराने दिनों को याद करेंगे।

यह जानकारी देते हुए एलुमिनाई एसोसिएशन की तरफ से डॉ. दुर्गेश चतुर्वेदी ने बताया, 20वीं शताब्दी के आरम्भ में होम्योपैथिक चिकित्सा शिक्षा के विकास के लिए एक संस्था की आवश्यकता महसूस होने लगी, फलस्वरूप सन 1912 में डॉ. जीएन ओहदेदार के मार्गदर्शन में लखनऊ के होम्योपैथिक चिकित्सकों द्वारा “लखनऊ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज” प्रारम्भ किया गया, जो वर्ष 1920 तक अपने अस्तित्व में रहा।

वर्ष 1921 में डॉ. बीएस टण्डन के कुशल नेतृत्व में “नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय” की स्थापना की गयी और पूर्व स्थापित मेडिकल कॉलेज का संविलियन कर दिया गया। अमेरिका के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. जे.टी. कैंट के शिष्य शिकागो से एम.डी. डिग्री प्राप्त डॉ. जी. सी. दास इस मेडिकल कॉलेज के प्रथम प्राचार्य रहे।

मोहन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज

इस संस्था में सन 1921 से सन 1940 तक दो वर्षीय “एचएमबी” स्नातक पाठ्यक्रम चलाया जाता था, बाद में 1940 से 1950 तक इसे उच्चीकृत कर तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम चलाया गया। सन 1950 से इस संस्था द्वारा चार वर्षीय बीएमएस (डिप्लोमा) पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया, जिसे वर्ष 1951 में मेडिसिन बोर्ड से सम्‍बद्ध कर दिया गया।

वर्ष 1957 में इस संस्था की सोसाइटी को राज्य सरकार द्वारा गठित समिति ने अधिग्रहित कर लिया, इस प्रबन्ध समिति के अधीन यह संस्था फरवरी 1968 तक कार्यरत रही। राज्य सरकार द्वारा 1 मार्च 1968 से इस संस्था को पूर्णतया प्रान्तीयकरण कर दिया गया, और तबसे यह संस्था एक राजकीय संस्था के रूप में कार्यरत है। वर्ष 1961 से पांच वर्षीय जीएचएमएस पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया और चिकित्सा विद्यालय को आगरा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया।

भारत ही नहीं अपितु पूरे एशिया महाद्वीप में होम्योपैथिक विधा में स्नातक अर्हता (डिग्री) प्रदत्त करने वाला प्रथम मेडिकल कॉलेज का गौरव प्राप्त इसी कॉलेज को है। वर्ष 1981 में होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों के प्रान्तीयकरण के बाद बीएचएमएस स्नातक पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया। 27 फरवरी 2000 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गोमतीनगर स्थित नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय के शिक्षण भवन, बाह्य रोगी भवन का लोकार्पण एवं हैनिमैन चौराहे पर 22 फ़ीट की डॉ. हैनिमैन की प्रतिमा का अनावरण किया। वर्तमान में इस मेडिकल कॉलेज में एम.डी. पाठ्यक्रम तीन होम्योपैथिक विषयो में प्रारंभ हो चुकी है।

मोहन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज

डॉ. एसडी सिंह ने बताया 18 अगस्त 1961 को प्रख्यात होम्योपैथ स्व. डॉ. बी.एस. टंडन द्वारा मात्र आठ छात्रों के माध्यम से “हैनिमैनियन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज” की स्थापना की गयी। वर्ष 1963 में कॉलेज का नाम बदलकर लखनऊ के तत्कालीन मेयर लेफ्टिनेंट कर्नल बीआर मोहन के नाम पर “मोहन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज” रखा गया।

उन्‍होंने बताया कि वर्ष 1978 के पूर्व छात्रों के प्रवेश के लिए प्रथम वर्ष के छात्रों की संख्या का निर्धारण होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड द्वारा किया जाता था, जिसकी संख्या 100 से 300 तक थी, ऐसे में मेडिकल कॉलेज में तीन पालियों में सुबह, दोपहर एवं शाम में पढ़ाई होती थी। प्रदेश में संचालित प्राइवेट होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में व्याप्त कुव्यवस्था और होम्योपैथिक मेडिसि‍न बोर्ड की मनमानी से त्रस्त छात्रों ने 2 मई 1977 को प्रदेश सरकार के विरुद्ध वृहद आंदोलन शुरू कर दिया, जो कई वर्षों तक चला, जिसके फलस्वरूप 11 दिसंबर 1981 को सभी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों का प्रान्तीयकरण कर दिया गया। इस तरह से 1981 के बाद मोहन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज भी राज्य सरकार के अधीन हो गया और यहां भी बीएचएमएस (डिग्री) पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया और प्रवेश के लिए सीपीएमटी के माध्यम से छात्रों का चयन प्रारम्भ हुआ।

इसके बाद केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद नई दिल्ली के मानकों को पूर्ण न कर पाने की स्थिति में 17 फरवरी 2001 को मोहन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज का संविलियन नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में कर दिया गया।

प्रसिद्ध चिकित्‍सक जिन पर नाज है कॉलेज को

नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की छात्रा रहीं और फिर उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में सबसे पहली महिला प्रोफेसर बनी प्रो. रेनू महेंद्र ने बताया कि इस कॉलेज ने अनेक सुप्रसिद्ध चिकित्‍सक दिये हैं, जिन्‍होंने नये आयाम स्‍थापित किये हैं। उन्‍होंने इन चिकित्‍सकों के किये गये कार्यों के बारे में संक्षिप्‍त जानकारी भी दी।

1- डॉ. जीएन ओहदेदार- सन 1912 में “लखनऊ होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की।

2- डॉ. बीएस टंडन- सन 1921 में नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं 1961 में मोहन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की !

सन 1925 में अमीनाबाद के झंडे वाले पार्क के पास 5 पैसे और 10 पैसे में मरीजों का इलाज करते थे।

3- डॉ. प्यारेलाल श्रीवास्तव- प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक लखनऊ के छाछी कुआं के पास प्रैक्टिस करते थे, और अपने जीवन के अंतिम पांच वर्षों में लकवा रोग से पीड़ित होने के बावजूद बिस्तर पर लेट कर ही प्रतिदिन सैकड़ों मरीज देखते थे।

4- डॉ. एपी अरोड़ा- 1937 में नेशनल कॉलेज में एडमिशन लिया, और मेडिकल शिक्षा ग्रहण करने के बाद लाहौर के अनारकली बाज़ार में प्रैक्टिस करते थे, भारत के विभाजन के बाद वह लखनऊ आये और यहां कैसरबाग में प्रैक्टिस करते थे बाद में उनके पुत्र डॉ. नरेश अरोड़ा भी नेशनल कॉलेज से पढ़ाई कर उनका सहयोग करने लगे।

5- डॉ. एनडी  सिंधी- 1939 में नेशनल कॉलेज में एडमिशन लिया और शिक्षा पूर्ण होने के बाद सिंध प्रांत ( पाकिस्तान) में प्रैक्टिस करते थे, विभाजन के बाद लखनऊ आ गये और लालबाग में प्रैक्टिस करते थे उनके यहां प्रतिदिन 200 से 300 मरीज आते थे।

6- डॉ. केएस खालसा- पुरी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के पद पर रहे।

7- डॉ. एमसी बत्रा- नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य रहे बाद में इनके पुत्र डॉ. मुकेश बत्रा ने “बत्रा होम्योपैथिक क्लीनिक” की शुरुआत की और देश-विदेश में कई क्लिनिक की स्थापना की।

8- डॉ. वीके गुप्ता – पद्मश्री अवॉर्ड से सम्‍मानित किये गये तथा प्राचार्य नेहरू होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज दिल्ली के पद पर रहे।

9- डॉ. गिरेन्द्र पाल- राजस्थान में होम्योपैथी का प्रचार- प्रसार किया एवं प्रथम होम्योपैथी यूनिवर्सिटी जयपुर की स्थापना की।

10- डॉ. शशि मोहन शर्मा  वर्तमान में हैनिमैन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज लंदन ( इंग्लैंड) के प्राचार्य हैं।

11- डॉ. जीबी सिंह- राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज कानपुर के प्राचार्य रहे, तीन बार विधायक रहे जिसमे एक बार वर्ष 1998 से 2002 तक वन एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री रहे !

12- डॉ. एससी अस्थाना- भारत सरकार द्वारा स्थापित CCRIMH के पहले निदेशक बने।

13- डॉ. सुनील कुमार- होम्‍योपैथिक ड्रग रिसर्च इंस्‍टीट्यूट  के पहले निदेशक बने।

14 डॉ. बीएन सिंह- नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, उत्तर प्रदेश होम्योपैथी के निदेशक एवं उत्तरप्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के अध्यक्ष पद पर अपनी सेवा दी।

15 डॉ. नरेश अरोड़ा- 15 वर्ष तक केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के सदस्य रहे।

16- डॉ. अनुरुद्ध वर्मा- 25 वर्ष तक केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के सदस्य रहे।

17- डॉ. गिरीश गुप्ता-  भारत के सुप्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक जिन्होंने 70 से ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित किये एवं वर्तमान में नेशनल कमीशन ऑफ होम्योपैथी के सदस्य भी हैं।

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