ऑटिज्म की बीमारी का पूर्ण सफल इलाज संभव
लखनऊ। अगर शिशु छह माह की उम्र तक गर्दन न रोके और एक साल तक बैठने न लगे तो इंतजार न करें, ऐसे में उसे किसी बाल रोग विशेषज्ञ को दिखायें। क्योंकि ये लक्षण ऑटिज्म के हो सकते हैं, शीघ्र इलाज करने से इसे ठीक किया जा सकता है। ऑटिज्म के शिकार बच्चों का शीघ्र ट्रीटमेंट आवश्यक है क्योंकि जितनी देर होती जायेगी उतनी ही बीमारी बढ़ती जायेगी, साथ ही चूंकि दिमाग का विकास छह वर्ष की उम्र तक होता है इसीलिए न्यूरो डिसेबिलिटी से ग्रस्त बच्चे का पांच साल तक की उम्र के अंदर ही इलाज शुरू कर देना चाहिये। यह जानकारी यूके से आये पीडिया न्यूरोलॉजिस्ट डॉ राहुल भारत ने दी। उन्होंने जानकारी आज यहां होटल क्लार्क्स अवध में आयोजित एक पञकार वार्ता में कही।
एक सवाल के जवाब में डॉ राहुल ने कहा कि ऑटिज्म का कारण एक तरह से दिमाग की वायरिंग की खराबी होना है, ऐसी स्थिति में ऑपरेशन कतई नहीं कराना चाहिये। उन्होंने बताया कि स्टेम सेल से भी इसका इलाज सम्भव नहीं हो पाता है। मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले डॉ राहुल ने बताया कि पूरे देश में जो दिमागी इन्फेक्शन से ग्रस्त बच्चे हैं, उनमें 56 फीसदी बच्चे उत्तर प्रदेश में हैं, विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में। उन्होंने बताया कि दिमागी बुखार से ग्रस्त बच्चे अगर ठीक भी हो जाते हैं तो उनमें कोई न कोई दिमागी डिसेबिलिटी आ जाती है जैसे चलने में असमर्थता, दिखायी न देना, सुनाई न देना, आवाज सुनकर समझ न पाना आदि। उन्होंने कहा कि इस तरह के न्यूरो डिसेबिलिटी से ग्रस्त बच्चों के ट्रीटमेंट के लिए उन्होंने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लखनऊ जिला चुना। उन्होंने जीनियसलेन नाम से उपचार केंद्र बनाया उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल में लखनऊ के न्यूरो डिसेबिलिटी के शिकार 657 बच्चों का ट्रीटमेंट किया और इसके अच्छे परिणाम आये हैं। उन्होंने कहा कि ऑटिज्म जैसे रोग का भी पूर्ण सफल इलाज किया गया। उन्होंने बताया कि इन सभी सफल इलाज वाले मरीजों के पूर्ण विवरण मौजूद हैं।
उन्होंने बताया कि लखनऊ में किये गये इलाज की सफलता के बाद उन्होंने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो कि ऑनलाइन है। इसकी सहायता से प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में बैठे डॉक्टर ऐसे बच्चों की पहचान कर उनका सफल इलाज सीमित संसाधनों में कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि बच्चों के इलाज में लखनऊ में मिली सफलता के बाद अब उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में इसके इलाज के लिए सेंटर खोले जा रहे हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले के लीडिंग बाल रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क किया गया है। उन्होंने सेंटर खोलने पर सहमति जतायी है। उन्होंने बताया कि इन डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने का कार्य उनके केंद्र द्वारा किया जायेगा। उन्होंने बताया कि ये प्रशिक्षित डॉक्टर सेमिनार व अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से अपने जिले के दूसरे डॉक्टरों को प्रशिक्षित करेगार। उन्होंने बताया कि बच्चें को यदि कोई जटिल न्यूरो डिसेबिलिटी का रोगी होगा तो उसके इलाज की सुविधा लखनऊ स्थित केंद्र पर होगा।
उन्होंने बताया कि यह पाया गया है कि न्यूरो डिसेबिलिटी का कारण शरीर में मौजूद जीन्स में परिवर्तन होना है। इसलिए इसके इलाज के लिए उन्होंने ऐसे बच्चों की जीन में आयी खराबी को ठीक किया गया। उन्होंने बताया कि कल 12 नवम्बर को इस विषय पर लखनऊ स्थित साइंटिपिक कन्वेंशन सेंटर में एक कार्यक्रम रखा गया है इस कार्यक्रम में प्रदेश भर के बाल रोग विशेषज्ञों के साथ लखनऊ में उनके द्वारा ठीक किये गये आटिज्म और अन्य न्यूरो डिसेबिलिटी के पूर्ण स्वस्थ हो चुके बच्चे भी आयेंगे। आज पञकार वार्ता में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ संजय निरंजन भी उपस्थित रहे।
मिर्गी का सफल इलाज
डॉ राहुल भारत ने बताया कि उनके द्वारा मिर्गी या झ्टके आने व़ाले मरीजों को पूर्ण रूप से ठीक किया गया है। उन्होंने बताया कि झटके आने वाले मरीजों के उपचार के लिए उनके घरवालों के लिए यह सलाह है कि जब भी मरीज को ऐसा अटैक आये, उसका वीडियो बना लें। उन्होंने बताया कि दरअसल होता यह है कि कई बार ऐसे मरीज का एमआईआर या ईईजी कराने के बाद भी उसकी रिपोर्ट में कुछ नहीं आता है। ऐसे में झटके के समय का वीडियो देखकर चिकित्सक इलाज कर सकता है। उन्होंने बताया कि यह भी देखा गया है कि ज्यादा दवा देने से भी मिर्गी आती है।