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मुखर हुआ डॉक्‍टरों का रोष, निदेशक प्रशासन के खिलाफ निंदा प्रस्‍ताव पारित

-अदूरदर्शी फैसलों से हो रहा नुकसान, असफलता का ठीकरा डॉक्‍टरों के सिर फोड़ा जा रहा

-पीएमएस संघ की कार्यकारिणी की बैठक में दी गयी आंदोलन की चेतावनी

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। प्रांतीय चिकित्‍सा सेवा संघ, उत्‍तर प्रदेश ने चिकित्‍सकों की समस्‍याओं पर शासन-प्रशासन द्वारा उपेक्षित रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए शासन के प्रतिनिधि के रूप में महानिदेशालय में तैनात  निदेशक प्रशासन द्वारा अपने अधिकारों से परे जाकर अनावश्‍यक विभागीय हस्‍तक्षेप करते हुए महानिदेशक के अधिकारों पर भी अति‍क्रमण किये जाने की निंदा करते हुए निदेशक प्रशासन के खिलाफ ध्‍वनिमत से निंदा प्रस्‍ताव पारित किया है। चिकित्सकों द्वारा शासन की लचर कार्य प्रणाली एवम चिकित्सकीय हित में कोई भी निर्णय न लेने की स्थिति में आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा गया है कि शीघ्र ही यदि कोई उचित निर्णय शासन द्वारा नहीं लिया जाता है तो संघ पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगा।

यह जानकारी देते हुए महासचिव डॉ अमित सिंह ने बताया कि प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ, उत्तर प्रदेश की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज रविवार 4 दिसम्‍बर को यहां महानगर, लखनऊ स्थित संघ भवन में आहूत की गई, जिसकी अध्यक्षता डॉ सचिन वैश्य द्वारा की गई। बैठक में लगभग 50 शाखा प्रतिनिधियों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में सेवा संवर्ग के चिकित्साधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। उन्‍होंने कहा कि प्रदेश के हजारों की संख्या में चिकित्सक नयी सेवा नियमावली में संशोधन न होने के कारण आगामी कई वर्षों तक प्रोन्नतियों से वंचित रहेंगे। चिकित्सकों को मिलने वाला विशिष्ट वित्तीय स्तरोन्नयन भी वर्ष 2019 से लंबित है जबकि नियमावली में  प्रोन्‍नतियां एवं एसएसीपी प्रत्येक छह माह पर दिए जाने का प्राविधान है। विभाग में निदेशक, अपर निदेशक एवम संयुक्त निदेशक के पद रिक्त पड़े हैं एवं कोई भी कार्य के असफल होने का ठीकरा चिकित्सकों पर फोड़ा जा रहा है।

संघ के अध्यक्ष डॉ सचिन वैश्य ने कहा कि वार्षिक स्थानांतरण नीति का पालन न करते हुए हजारों चिकित्सकों का स्थानांतरण कर दिया गया जिससे प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गयी है। मुख्यमंत्री के आदेशों को भी शासन द्वारा दरकिनार करते हुए दिव्यांग एवम दाम्पत्य नीति के अंतर्गत आने वाले चिकित्सकों को कोई भी राहत नहीं दी गई है। जनपदीय शाखा के निर्वाचित पदाधिकारियों का भी स्थानांतरण कर दिया गया है जबकि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं है।

बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने निदेशक (प्रशासन) द्वारा प्रेषित किए जा रहे अनियमित तथा नियम विरुद्ध कार्यालय ज्ञाप एवम आदेशों की आलोचना की। यह भी कहा कि निदेशक (प्रशासन) द्वारा लगातार विभागीय हस्तक्षेप एवम महानिदेशक के अधिकारों में अतिक्रमण किया जा रहा है। इनके द्वारा नीति विरुद्ध किए गए स्थानांतरणों के कारण विभाग में उत्पन्न हुई अस्थिरता से वाद-विवाद की स्थिति पैदा हो गई है। निदेशक (प्रशासन) केवल लिपिक संवर्ग के लिए ही उत्तरदायी हैं। सभी चिकित्सकों द्वारा निदेशक (प्रशासन) द्वारा लिए जा रहे स्वेच्छाचारी निर्णयों के कारण निंदा प्रस्ताव लाया गया जिसे ध्वनिमत से सदन द्वारा पारित किया गया।

संघ के उपाध्यक्ष (मुख्यालय) डॉ विकासेंदु अग्रवाल ने कहा कि इस बार के स्थानांतरणों के पश्चात प्रदेश के जिला चिकित्सालयों में डीएनबी स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए संकाय सदस्यों की कमी से अध्ययन का कार्य सुचारु रूप से नहीं चल रहा है जबकि दूसरी तरफ शासन द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को इंगित किया जा रहा है। यह एक विरोधाभासी स्थिति है।

संघ के वित्त सचिव डॉ मोहित सिंह ने कहा कि विभाग में दंत संवर्ग की सेवा नियमावली के प्रख्यापन के बाद भी इस संवर्ग को अभी तक एलोपैथिक चिकित्सकों की भांति एसएसीपी का लाभ प्रदान नही किया गया है जिस से इस संवर्ग में रोष व्याप्त है। संघ के उपाध्यक्ष डॉ विनय कुमार यादव ने कहा कि शासन की ढुलमुल नीतियों के कारण कोई भी व्यवस्था जो कि जनहित में है, स्थापित नहीं हो पा रही है, वरन चिकित्सकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। सदन में उपस्थित सभी सदस्यों ने कहा कि पूरे प्रदेश के चिकित्सक वर्तमान में न चाहते हुए भी एक बड़े आंदोलन की ओर अग्रसारित किए जा रहे हैं क्योंकि किसी भी स्तर पर कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है और न ही कोई चिकित्सकीय हित का निर्णय लिया जा रहा है।

संघ के अध्यक्ष डॉ सचिन वैश्य एवम महासचिव डॉ अमित सिंह ने कहा की शीघ्र ही यदि कोई उचित निर्णय शासन द्वारा नहीं लिया जाता है एवम कोई भी बात नहीं सुनी जाती है तो संघ पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगा तथा जनता से संवाद कर चिकित्सकों की स्थिति को सबके समक्ष रखेगा। हमारे सभी विकल्प खुले हुए हैं एवं आंदोलन होने की स्थिति में सम्पूर्ण उत्तरदायित्व शासन एवम प्रशासन का होगा, जिस पर उपस्थित सदस्यों ने केंद्रीय कार्यकारिणी को किसी भी आकस्मिकता की स्थिति में आंदोलन के किए कोई भी निर्णय लेने के लिए  अधिकृत किया। अंत में संघ के अध्यक्ष डॉ सचिन वैश्य के धन्यवाद प्रस्ताव से सभा समाप्त की गई।

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