लखनऊ । यदि किसी व्यक्ति को दो सीजन से अधिक समय तक जुकाम रहता है तो वह जुकाम अस्थमा में बदल जाता है। देश में लगभग 3 करोड़ और प्रदेश में लगभग 60 लाख रोगी इस रोग से पीड़ित है।
यह जानकारी डॉ० सूर्यकांत ने प्रेस क्लब में देते हुए बताया कि बताया कि अस्थमा के शुरुआती लक्षणों को पहचानने की अधिक आवश्यकता होती है । ज्यादातर अस्थमा बाल्यावस्था में हो जाता है।
जुकाम को गंभीरता से लेने की बात करते हुए डॉ० सूर्यकांत ने कहा कि लम्बे समय तक बने रहने वाले जुकाम के मामलों में हर तीन में से एक व्यक्ति अस्थमा से पीड़ित हो जाता है । सूर्यकांत ने अस्थमा होने के कारणों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फास्ट फूड का प्रयोग, प्रदूषण, धूम्रपान, एलर्जी, सॉफ्ट टॉवयज और वनों की कटान इस रोग के प्रमुख कारण होते है ।
उन्होंने अस्थमा के लक्षण बताते हुए कहा कि जुकाम, खांसी, सांस फूलना और पसली चलना अस्थमा के प्रमुख लक्षण होते है । उन्होंने अस्थमा इलाज के लिए इन्हेलर की आवश्यकता पर बल देते हुए बताया कि पढ़े लिखे लोग भी अस्थमा के इलाज में इन्हेलर लेने से परहेज करते है जबकि दवाइयों से कहीं बेहतर इन्हेलर होता है । अस्सी प्रतिशत लोग अस्थमा में दवाइयों का सेवन करते है जो कि बाद की स्थिति में प्रयोग करनी चाहिए। डॉ० सूर्यकांत ने कहा कि लोगों में यह भ्रान्ति फैली है कि अस्थमा एक लाइलाज बीमारी है, ये अन्धविश्वास समाप्त होना चाहिए । उन्होंने बताया कि जिंदा रहने के लिए प्राणवायु की आवश्यकता होती है।