-सिल्वर जुबिली वर्षगांठ पर आईवीएफ बच्चों का जमावड़ा लगा अजंता हॉस्पिटल में, जमकर हुआ धमाल, कटा केक
सेहत टाइम्स
लखनऊ। कुछ बच्चे माता-पिता की गोदी में, तो कुछ धमाचौकड़ी मचाते हुए, कुछ डांस में मगन और कुछ चुपचाप बैठकर इन नजारों का लुत्फ उठा रहे थे, अलग-अलग एक्टिविटी में मस्त इन करीब 100-125 बच्चों में अगर कुछ समानता थी तो वह यह कि ये सभी बच्चे आईवीएफ टेक्निक से जन्मे थे। इन बच्चों का जमावड़ा आज उनके जन्म स्थान आलमबाग स्थित अजन्ता हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर में लगा था। मौका था इन बच्चों के माता-पिता की गोदी में किलकारी मारने वाली उनकी संतानों को संसार में लाने के लिए आईवीएफ का रास्ता दिखाने वाली डॉ गीता खन्ना द्वारा आईवीएफ टेक्निक से शिशु का जन्म कराने की 25वीं वर्षगांठ का। मजेदार और उल्लासपूर्ण माहौल में बच्चों और उनके माता-पिता ने केक काटा विभिन्न खेल खेले, विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया और स्वादिष्ट व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया।
कम नहीं बेहतर होता है आईवीएफ बच्चों का आईक्यू
खेलने-कूदने से लेकर पढ़ाई में अव्वल रहने वाले बच्चों को देखकर यह शंका भी दूर हो रही थी कि आईवीएफ टेक्निक से पैदा हुए बच्चों का आईक्यू कहीं कम तो नहीं होता है। इस बात का नोटिस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने, और उन्होंने अपने सम्बोधन में यह बात कही भी। उन्होंने कहा कि मैं डॉ गीता खन्ना को शुरू से ही देख रही हूं, उन्होंने कहा कि 25वीं वर्षगांठ मना रही हैं इसका अर्थ जो पहला बेबी हुआ होगा वह 25 वर्ष का हो गया होगा, तो मंच ही मौजूद डॉ गीता खन्ना ने बताया कि हां, और उस बच्ची प्रार्थना को भी बेबी हो चुका है वह भी नॉर्मल।
उन्होंने उपस्थित सभी माता-पिता और बच्चों को बधाई देते हुए डॉ गीता खन्ना व अस्पताल के मेडिकल डाइरेक्टर डॉ अनिल खन्ना को अस्पताल की इस सफल यात्रा के लिए बधाई दी। इस मौके पर डॉ अनिल खन्ना ने कहा कि मैंने यहां आये कई बच्चों से बात की, सब अपने-अपने क्षेत्र में बहुत अच्छा कर रहे हैं, इससे यह जाहिर होता है कि कहने को ये टेस्ट ट्यूब बेबी हैं लेकिन ये प्रक्रिया बच्चों पर कोई साइड इफेक्ट नहीं डालती, दूसरे बच्चों की तुलना में इन बच्चों की आईक्यू बहुत अच्छी होती है। उन्होंने सभी आगंतुकों को आने के लिए आभार जताया।
मेरे और टीम के लिए गर्व की बात : डॉ गीता खन्ना
अपने 25 साल के सफर में करीब 7000 से ज्यादा बच्चों का आईवीएफ तकनीक से जन्म कराने वाली डॉ गीता खन्ना ने कहा कि यह उनके और पूरी टीम के लिए गर्व का क्षण है क्योंकि वह उन माता-पिता पर मुस्कान देख सकती हैं जिन्हें आईवीएफ तकनीक के कारण बच्चे का आशीर्वाद मिला है। उन्होंने कहा कि सफलता की राह आसान नहीं है। पहले मरीज अन्य मेट्रो शहरों में जाकर इलाज करवाते थे।
उन्होंने यह भी कहा कि आज आईवीएफ एक ज्ञात तकनीक है। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि समय पर और किफायती परिणामों के लिए सही आईवीएफ केंद्र का चयन निःसंतान माता-पिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मुश्किल से 15 से 20% दंपतियों को आईवीएफ की जरूरत होती है, अन्य का इलाज दवाओं और अन्य प्रक्रियाओं से किया जा सकता है।
हम दिलायेंगे इनफर्टिलिटी से आजादी
अजंता हॉस्पिटल में मनाया जा रहा यह उत्सव इस साल इतना खास क्यों है, इसका जवाब डॉ. गीता खन्ना ने गर्व के साथ दिया कि हम देश के अमृत महोत्सव के 75 साल के स्वतंत्रता दिवस समारोह के साथ अपने रजत जयंती समारोह यानी आईवीएफ में हमारी लगातार सफलताओं के 25 गौरवशाली वर्ष को साझा करते हैं। हम दिलाएंगे इनफर्टिलिटी से आज़ादी। उन्होंने कहा कि उन्होंने आईवीएफ के नवीनतम प्रोटोकॉल का उपयोग करके आईवीएफ में उच्च सफलता दर हासिल की है। इसके साथ ही हम ब्लास्टोसिस्ट और लेजर हैचिंग तकनीकों के साथ-साथ आईवीएफ में इम्प्लांटेशन और सफलता दर बढ़ाने के लिए भ्रूण स्थानांतरण के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। डॉ गीता ने कहा कि हमारी टैग लाइन है –हम पूरा करते हैं परिवार का अधूरापन—
इस मौके पर ‘सेहत टाइम्स’ ने वहां मौजूद कुछ माता-पिता से बात कर उनका अनुभव जानना चाहा, सीवान बिहार से आये डॉक्टर पिता ने बताया कि उनके विवाह के सात साल बाद उन्हें टेस्ट ट्यूब से बेबी की खुशियां मिलीं उन्होंने बताया कि 2014 से लेकर 2019 तक में लखनऊ, दिल्ली, कोलकाता में पांच बार कोशिश की छठी बार में यहां आकर बेबी की खुशी हासिल हो सकी। इसी प्रकार पांच माह के बच्चे को गोद में लिये छपरा बिहार से आये एक अन्य दम्पति ने भी बताया कि उन्हें भी विवाह के सात साल बाद बेटे की खुशी हासिल हो सकी। उन्होंने बताया कि एक बार उन्होंने बंग्लुरु में कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली फिर मुझे मेरे रिश्तेदार ने यहां डॉ गीता खन्ना के बारे में बताया तो हम लोगों ने यहां सम्पर्क स्थापित किया तो यहां आकर पहली ही बार में बेटे की खुशी हासिल हो गयी, इसके लिए मैं डॉ गीता खन्ना का बहुत ही शुक्रगुजार हूं।