-आईएमए लखनऊ के तत्वावधान में मनाया गया नेशनल प्लास्टिक सर्जरी दिवस
सेहत टाइम्स
लखनऊ। प्लास्टिक सर्जरी की सिर्फ त्वचा पर ही नहीं बल्कि एक्सीडेंट या किसी भी अन्य दुर्घटना के कारण नसों, धमनियों को चोट पहुंचने पर उनकी सर्जरी में भी महत्वपूर्ण भूमिका है, कैंसर से ग्रस्त शरीर के किसी हिस्से को निकाला गया है तो वहां पर भी प्लास्टिक सर्जरी अपना रोल निभाती है, इसी प्रकार जलने पर त्वचा का इलाज किस प्रकार किया जाये इसमें भी प्लास्टिक सर्जरी की अहम भूमिका है।
प्लास्टिक सर्जरी की विस्तृत भूमिका पर आज 15 जुलाई को नेशनल प्लास्टिक सर्जरी दिवस के मौके पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ शाखा के तत्वावधान में यहां रिवर बैंक कॉलोनी स्थित आईएमए भवन में एक सतत् चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया गया।
आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ मनीष टंडन ने आये हुए वक्ताओं व मेहमानों का स्वागत करते हुए नेशनल प्लास्टिक सर्जरी डे को मनाने का इतिहास बताते हुए कहा कि यह प्रत्येक वर्ष विश्व के प्रथम प्लास्टिक सर्जन आचार्य सुश्रुत की याद में मनाया जाता है। आचार्य सुश्रुत का जन्म भारत में लगभग 600 ई0 पू0 हुआ था। ये काशी में रहकर अपनी शल्य चिकित्सा की सेवायें दिया करते थे। आईएमए लखनऊ के 2023 के लिए प्रेसीडेंट इलेक्ट डॉ जेडी रावत ने सर्जरी में प्लास्टिक सर्जरी का विशेष महत्व बताते हुए कहा कि रिकन्स्ट्रक्टिव सर्जरी जैसे महत्वपूर्ण कार्य करने वाले प्लास्टिक सर्जन्स को इसके बारे में समाज को भी जागरूक करने की जरूरत है।
संजय गांधी पी0जी0आई0 के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो0 अंकुर भटनागर ने बताया कि अगर किसी एक्सीडेंट, चोट आदि से नर्व ज्यादा डैमेज हो गयी है उसकी हर हाल में उसकी छह माह के अंदर प्लास्टिक सर्जरी करवा लेनी चाहिये, अन्यथा उस नर्व की क्रियाशीलता समाप्त हो सकती है। उन्होंने कहा कि जबकि देखा जाता है कि लोग एक-एक साल तक फीजियोथेरेपी में जूझते रहते हैं और समय बर्बाद करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर नर्व पूरी तरह से डैमेज हो गयी है तो उसे फीजियोथेरेपी, एक्सरसाइज आदि से नहीं ठीक किया जा सकता है, उसे रिपेयर ही करना पड़ेगा और यह रिपेयरिंग जितनी जल्दी हो जाती है, उतना ही ज्यादा संभावना उस नर्व के क्रियाशील होने की बढ़ जाती है, वर्ना वह प्रॉपर क्रियाशील नहीं हो पाती है।
डॉ भटनागर ने इसके बारे में विस्तार से समझाते हुए बताया कि शरीर में नर्वस सिस्टम के दो पार्ट होते हैं, सेंट्रल नर्वस सिस्टम और पेरीफ्रल नर्वस सिस्टम। मस्तिष्क में पायी जाने वाली नसें सेंट्रल नर्वस सिस्टम के तहह आती हैं जबकि हाथ पैर आदि शरीर को चलाने के लिए जो नर्व होती हैं वे पेरीफ्रल नर्व कहलाती हैं। उन्होंने कहा कि जो पेरीफ्रल नर्व होती हैं उनमें चोट लगने पर उन्हें रिपेयर करने के लिए 90 प्रतिशत से ज्यादा सर्जरी प्लास्टिक सर्जन करते हैं। ब्रेन के अंदर जो नर्व सेंट्रल नर्वस सिस्टम में जो नर्व होती हैं, वे अगर एक बार डैमेज हो गयीं तो उसे आगे डैमेज होने से रोका तो जा सकता है, निकाला जा सकता है लेकिन रिपेयर नहीं किया जा सकता है।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्लास्टिक सर्जरी विभाग की बर्न यूनिट की क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ अंशु सिंह ने जले हुऐ मरीजों को हॉस्पिटल पहुंचाने से पहले किस प्रकार के बचाव व सावधानियां बरतनी है, उसके बार में बताया। उन्होंने केमिकल बर्न इंजरी, इलेक्ट्रिकल बर्न इंजरी आदि अलग-अलग तरह के जले हुए मरीजों में अलग-अलग सावधानी व केयर करने के बारे में विस्तार से बताया।
इनके अलावा कंसल्टेंट प्लास्टिक सर्जन डॉ0 विवेक गुप्ता ने लेजर सर्जरी के बारे में विस्तार से बताया जबकि कंसल्टेंट प्लास्टिक सर्जन डॉ श्रीहर्ष ने कॉस्मेटिक प्लास्टिक सर्जरी के बारे में फैली हुई भ्रांतियों तथा उनसे जुड़े तथ्यों के बारे में बताया। आईएमए लखनऊ के सचिव डॉ संजय सक्सेना ने मंच संचालन के साथ ही आये हुए अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।