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होम्‍योपैथी घोटाला में अपर निदेशक व लिपिक निलंबित, तीन अन्‍य के खिलाफ भी एफआईआर

-योगी आदित्‍यनाथ ने जीरो टॉलरेंस नीति के तहत की सख्‍त कार्रवाई

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के अंतर्गत निजी संस्थानों में दी जाने वाली छात्रवृत्ति के दुरुपयोग के संबंध में जीरो टॉलरेंस नीति के आधार पर त्वरित निर्णय लेते हुए अपर निदेशक होम्योपैथी निदेशालय डॉ मनोज यादव तथा एक वरिष्ठ लिपिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। इनके अलावा संविदा पर कार्यरत दो लिपिकों की संविदा सेवा समाप्त करते हुए उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं इसके अतिरिक्त एक अन्य के खिलाफ भी एफ आई आर के निर्देश दिए गए हैं।

ज्ञात हो छात्रवृत्ति के दुरुपयोग के संबंध में कल 13 जुलाई को जांच रिपोर्ट आई थी इसी के आधार पर मुख्यमंत्री ने आज इस कार्यवाही के निर्देश दिए। निर्देशों में कहा गया है कि प्रो. मनोज यादव जो उस समय  कार्यवाहक रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश होम्‍योपैथिक मेडिसिन बोर्ड थे, के साथ ही मेडिसिन बोर्ड के वरिष्ठ लिपिक विनोद कुमार यादव को निलंबित करते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही निर्धारित की जाये साथ ही संविदा लिपिक दिनेश चंद दुबे व सुषमा मिश्रा द्वारा डीएससी का दुरुपयोग करने के लिए उनकी संविदा समाप्त करते हुए उनके विरुद्ध एफ आई आर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। इनके अतिरिक्त सुनीता मलिक नाम की एक महिला जो मेडिसिन बोर्ड की कर्मचारी नहीं है, और उनके नाम का फर्जी डीएससी बनाकर और उसका दुरुपयोग करते हुए की गई वित्तीय अनियमितता जैसे अपराधिक कृत्य के लिए उसके विरुद्ध भी एफ आई आर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री के निर्देशों में कहा गया है कि वित्तीय अनियमितता में आर्थिक क्षति की रिकवरी समाज कल्याण विभाग से की जाए तथा संपूर्ण प्रकरण की विवेचना आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन से कराई जाए। प्रकरण को देखते हुए यह भी निर्देश दिए गए हैं कि उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड एवं उत्तर प्रदेश आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति बोर्ड जब तक कॉलेजों की संबद्धता के लिए सिलेबस एवं अवस्थापना सुविधाओं आदि के संबंध में रूल्स सक्षम स्तर से अनुमोदन प्राप्त कर जारी ना हो जाएं तब तक दोनों बोर्ड द्वारा किसी नये कॉलेज की संबद्धता या मान्यता जारी न की जाए। इसके अतिरिक्त यह भी निर्देश दिए गए हैं कि जिन कॉलेजों को मान्यता या संबद्धता इन दोनों बोर्ड द्वारा पूर्व में जारी की जा चुकी है इसका भौतिक सत्यापन संबंधित जनपद के जिलाधिकारी से कराया जाए।  

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