ऑस्टियोआर्थराइटिस पर दो दिवसीय ओएकॉन 2017 शुरू, रिसर्च के बारे में बताया
पदमाकर पाण्डेय
लखनऊ। ऑस्टियोआर्थराइटिस अब लाइलाज नहीं रह गया है, स्टेम सेल तकनीक से स्टेज तीन तक वाली ऑस्टियोआर्थराइटिस पूर्णतया ठीक हो जाती है, स्टेज टू या थ्री में कार्टिलेज पूर्णतया रीजनरेट हो जाती है जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस ठीक हो जाती है लेकिन स्टेज फोर में मरीज को केवल दर्द से राहत मिलती है, क्योंकि इसमें कार्टिलेज पूर्णतया विकसित नही होती है। यह जानकारी शनिवार को केजीएमयू के गठिया रोग के एचओडी प्रो.सिद्धार्थ दास ने होटल क्लार्क अवध में ओएकॉन 2017 में दी।
ऑस्टियोआर्थराइटिस विषयक दो दिवसीय ओएकॉन 2017 में आयोजन सचिव प्रो. दास ने बताया कि स्टेम सेल से शरीर के किसी अंग का पुन:निर्माण संभव है। ऑस्टियोआर्थराइटिस मरीजों में फैट से स्टेम सेल निकालकर उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि 436 मरीजों पर स्टडी की गयी है, उन्हीने बताया कि फैट से फ्रेश स्टेम सेल निकालकर, तीन घंटे में प्रासेस कर उसे ट्रांसप्लांट के लिए तैयार करते है, इन सेल को घुटने में कार्टिलेज में इंजेक्ट कर देते हैं। इसके बाद कार्टिलेज में वृद्धि होने लगती है।
स्टेज फोर के मरीजों के संबन्ध में उन्होंने बताया कि स्टेज फोर में मरीज के पैर टेढ़े हो चुके होते हैं, कार्टिलेज पूर्णतया ख़त्म हो चुका होता है। इन मरीजों में कार्टिलेज नहीं ग्रो करता है मगर, स्टेम सेल से मरीजों का दर्द ख़त्म हो जाता है।
हर साल एक हजार का खर्च और दर्द में मिलती है राहत
इस अवसर पर स्टेम सेल तकनीक पर दिल्ली से आये मदर सेल सेंटर के संस्थापक डॉ.हिमांशू बंसल ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि फोर्थ स्टेज मरीजों में स्टेम सेल से दर्द एक साल के लिए ात्म हो जाता है, इसके बाद हर साल ब्लड से पीआरपी (प्लेटलेट्स विद प्लाज्मा) निकालकर, इंजेक्ट करते हैं । इससे मरीज को दर्द से निजात निरंतर मिलती रहती है। उक्त प्रोसीजर ओपीडी बेस का है, मात्र एक घंटा और 500 से एक हजार रूपये ही लगते हैं एक बार में। उन्होंने पीआरपी इंजेक्शन को बूस्टर इंजेक्शन की संज्ञा देते हुए कहा कि पीआरपी स्टेम सेल की तरह की शरीर के किसी अंग की ग्रोथ को पुन:निर्माण में सहायक होती है। इससे सिर में बाल भी दुबारा उग आते हैं।
स्टेम सेल तकनीक में मात्र 15 हजार का खर्च
डॉ.बंसल ने बताया कि स्टेम सेल तकनीक ट्रीटमेंट में केवल 15 हजार का खर्च आता है और मात्र 3 घंटे में पूरा हो जाता है। उन्होंने बताया कि खास बात है कि स्टेम सेल के लिए शरीर से फैट निकालते हैं, इससे मरीज को फैट निकालने के लिए अलग से सर्जरी नहीं करानी पड़ती है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि तमाम तरह के शोध बीमारियों को दूर करने और उनके कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है। भारत अपने प्राचीनकाल से चिकित्सा जगत में बहुत आगे था। यहा प्राचीनकाल सहित मध्य युगीन भारत में लोगों की औसत आयु ज्यादा थी। आज भारत की औसत आयु काफी कम है फिर भी हमारी औसत आयु अमेरीका के लोगों की औसत आयु से ज्यादा है।
विटामिन-डी की कमी से हो रही ऑस्टियोआर्थराइटिस : प्रो.आरएन श्रीवास्तव
केजीएमयू के प्रो.आर एन श्रीवास्तव ने ऑस्टियोआर्थराइटिस का मुख्य कारण विटमिन-डी बताते हुए कहा कि जनसामान्य में विटमिन डी की घोर कमी पाई जाती है, इसलिए सभी को विटमिन डी की जांच कराते रहना चाहिये। उन्होंने बताया कि कार्टिलेज को सुरक्षा विटमिन डी व प्रोटीन से प्राप्त होती है। गंभीर आर्थराइटिस मरीज को 60 हजार यूनिट के विटमिन डी सैशे, 10 डोज हर दूसरे दिन दिया जाता है। शरीर में विटमिन डी का लेवल सामान्य होने के बाद, शरीर में विटमिन लेवल सामान्य बना रहने के लिए माह में एक बार 60 हजार यूनिट का एक सैशे दिया जाता है। विटमिन डी आर्थराइटिस ठीक होने के साथ ही शरीर में ब्लड शुगर, बीपी, मेंटल प्राब्लम, शरीरिक क्षमताएं, कैंसर बचाने के साथ ही मरीज की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ता है। इसलिए हर एक व्यक्ति को जांच कराकर विटमिन डी का लेवल बनाकर रखना चाहिये।