पिता के अनुसार टीकाकरण नहीं करा पाये थे, गलाघोंटू से बचाव सिर्फ बचाव के टीक से ही संभव
लखनऊ। एक चूक इतनी भारी पड़ गयी कि साढ़े तीन वर्षीया आराध्या की जीवनलीला समाप्त हो गयी। गोरखपुर से केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में आयी बच्ची को डिप्थीरिया की शिकायत थी, अफसोस की बात यह है कि इससे बचाव के लिए लगाने वाला टीका बच्ची को नहीं लगा था।
यह जानकारी केजीएमयू के मीडिया सेल की ओर से देते हुए बताया गया कि गोरखपुर के रहने वाले गोपाल जैसवाल की साढ़े तीन वर्षीया बेटी को रविवार की आधी रात के बाद करीब ढाई बजे ट्रॉमा सेेंटर के कान-नाक-गला ईएनटी विभाग में लाया गया था, तथा बच्ची की नाक में कोई चीज फंसने की बात बतायी गयी थी। ईएनटी विभाग में मरीज को परीक्षण के उपरांत बाल रोग विभाग की आपातकालीन सेवा में भेज दिया गया। सुबह 5:00 बजे बाल रोग विभाग पहुंचने पर यह ज्ञात हुआ कि मरीज को डिप्थीरिया (गलाधोंटू) नामक बीमारी है।
मीडिया सेल के डॉ नरसिंह वर्मा ने बताया कि इस बीमारी को टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है। उक्त मरीज के विषय में रोग की गम्भीरता तथा निदान के विषय में उसके साथ उपस्थित मरीज के पिता कोअवगत करा दिया गया। मरीज के पिता ने यह भी बताया कि उक्त बच्चे को 8 दिनों से बुखार एवं गर्दन में सूजन थी। जांच में मरीज के नाक में किसी प्रकार की कोई वस्तु के फंसे होने सम्बंधी कोई भी संकेत नहीं मिले। मरीज कुछ आवश्यक उपचार के उपरांत बेहतर लग रहा था तथा स्वयं श्वास लेने में समर्थ था एवं मरीज के रक्त में आक्सीजन की मात्रा भी सामान्य थी। प्रात: 6 बजे एकाएक उक्त मरीज कार्डियक अरेस्ट में चला गया। ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों ने तत्कालिक चिकित्सकीय उपचार प्रारम्भ कर दियाए परंतु प्रात 6:30 बजे बच्ची की मृत्यु हो गई। मरीज के पिता ने चिकित्सकों को यह भी बताया कि वह बच्ची का टीकाकरण कराने मेें वह चूक कर गये थे।अगर उपरोक्त मरीज का सही समय पर टीकाकरण हो जाता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। इस बीमारी का टीकाकरण के अलावा कोईऔर उपचार नहीं है।