-अभियांश शुक्ला ने ‘One and a half year’ पुस्तक में बयां किया है कोविड काल का दर्द
शुभम सक्सेना
लखनऊ। पिछले डेढ़ साल से वैश्विक महामारी कोविड ने पूरी दुनिया को हिलाकर रखा है, इसका अहसास सभी को है, लेकिन इस महामारी ने जिस तरह से बच्चों का बचपन छीना, वह कम पीड़ादायक नहीं है। बच्चों की इस पीड़ा को बड़ों ने महसूस किया और उन्हें हरसंभव खुशियां देने की कोशिश की, लेकिन सिर्फ बड़ों ने ही नहीं बच्चों ने भी इस अप्रत्याशित पीड़ा को महसूस किया। इस वैश्विक त्रासदी के दौर में घट रही घटनाओं का असर अलीगंज लखनऊ के 11 वर्षीय अभियांश शुक्ला के बाल मन पर भी पड़ा, उनके स्वयं के साथ ही घर के दूसरे सदस्यों को भी जब कोविड पॉजिटिव हो गया और उनके घर के गेट पर भी नगर निगम ने बल्लियां लगाकर अपनी औपचारिकता निभायी।
अभियांश ने इस दौर में महसूस की गयी पीड़ा को अपनी यादों के साथ ही पन्नों में संजोने फैसला किया और पीड़ा को शब्द देने शुरू कर दिये, पीड़ा खेलने न जा पाने की… पीड़ा स्कूल के क्लास में बैठकर न पढ़ पाने की, संक्रमण से बचाव के लिए उठाये जाने वाले कदमों के चलते एकाकी होने की, पीड़ा सब तरफ लोगों को दुखी देखकर भी एक-दूसरे की सहायता न कर पाने की…पीड़ा समाज में रहकर भी समाज के कटे होने की…पीड़ा पार्टियों में न जा पाने की…और भी न जाने क्या..क्या। रोजाना करीब छह घंटे तक अपने इस नये शौक में लगे रहने वाले अभियांश की लेखनी चली तो एक…दो…तीन…चार…देखते ही देखते 15 चैप्टर तैयार हो गये, इन चैप्टर को एक जगह कर पुस्तक को नाम दिया गया ‘One and a half year’ इस तरह यह 11 वर्षीय बालक अभियांश लेखकों की कतार में खड़ा हो गया। यही नहीं इस दौरान बीच-बीच में कोविन ऐप पर दूसरों के टीकाकरण के लिए बुकिंग करना जैसी सहायता करने में भी उसे बहुत मजा आता था।
अभियांश से जब पूछा कि किताब लिखने का विचार कैसे मन में आया, इस पर उनका जवाब था कि … मुझे जब कोविड हुआ तो सबसे अलग रहना पड़ा, मैं न्यूज में देखता था कि चारों तरफ लोग परेशान थे, लेकिन कोई किसी की मदद नहीं कर पा रहा था, हालांकि कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन, दवाओं की खोज करने के लिए किये जा रहे प्रयासों की भी खबरें मिल रही थीं, तभी मेरे मन में यह विचार आया कि फ्यूचर में लोग इन दिनों हो रही परेशानियों के बारे में जानें कि कैसे-कैसे दिन सबने गुजारे हैं, इसलिए मैंने इन सब बातों को लिखना शुरू कर दिया।
लखनऊ जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी रह चुके डॉ एके शुक्ला के पौत्र व आस्था वृद्धजन हॉस्पिटल के एमडी व वरिष्ठ वृद्धजन रोगों के विशेषज्ञ डॉ अभिषेक शुक्ला व डॉ अमिता शुक्ला के सुपुत्र अभियांश ला मार्टिनियर कॉलेज, लखनऊ के कक्षा 6 के छात्र हैं। अभियांश की इस किताब के प्रकाशन पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने हर्ष जताते हुए इसकी सराहना की है, अपने संदेश में राज्यपाल ने कहा है कि यह जानकर बहुत प्रसन्नता हो रही है कि बच्चे भी इस महामारी के खिलाफ जंग लड़ते हुए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस बाला कृष्ण नारायण ने भी पुस्तक लिखने के लिए अभियांश की सराहना करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। जस्टिस नारायण ने सलाह दी है कि न सिर्फ बच्चों को बल्कि वयस्कों को भी इस ‘One and a half year’ पुस्तक को पढ़ना चाहिये।
कोविड के दौरान किये गये उत्कृष्ट व मानवता से जुड़े कार्यों के लिए अभियांश को फिल्म्स टुडे (मुंबई) पुरस्कार सहित कई और पुरस्कार मिले हैं। अभियांश की यह किताब अमेजन पर उपलब्ध है।