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प्रशिक्षण पूर्ण कराने की मांग को लेकर एमपीडब्‍ल्‍यू का बेमियादी सत्‍याग्रह प्रारम्‍भ

-महामारी के चलते मांग पूरी होने तक प्रतिदिन 10-10 लोग बैठेंगे सत्‍याग्रह पर

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा नियुक्‍त एम पी डब्‍ल्‍यू का अधूरा प्रशिक्षण पूरा कराने की मांग को लेकर आज से एमपीडब्‍ल्‍यू एसोसिएशन का परिवार कल्‍याण महानिदेशालय पर बेमियादी सत्‍याग्रह शुरू हो गया। कोरोना महामारी के मद्देनजर सत्‍याग्रह आंदोलन के तहत मांग पर निर्णय होने तक प्रतिदिन संगठन के 10-10 लोग सत्याग्रह आंदोलन को आगे बढ़ाते रहेंगे।

यह जानकारी देते हुए एसोसिएशन के प्रदेश मीडिया प्रभारी सैयद मुर्तजा ने बताया कि 2011-12 में नियुक्‍त एमपीडब्‍ल्‍यू को मात्र 10 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया जबकि भारत सरकार की गाइडलाइन में 1 वर्ष का प्रशिक्षण प्रविधानित था। उन्‍होंने बताया कि भारत सरकार के मेमोरेंडम के अनुसार 2014 के बाद राज्य सरकार को रेगुलर पद/संविदा पद का सृजन कर इनकी कंटीन्यूटी बनाए रखने के लिए कहा था परंतु नहीं किया गया।

मीडिया प्रभारी के अनुसार हम लोगों को हाईकोर्ट लखनऊ द्वारा स्थगन आदेश भी प्राप्त होने के साथ विधानसभा याचिका समिति में भी प्रकरण विचाराधीन है। उन्‍होंने बताया कि 24 दिसंबर 2019 को महानिदेशक परिवार कल्याण की अध्यक्षता में बनाई गई 5 सदस्यीय कमेटी ने एमपीडब्‍ल्‍यू को प्रशिक्षण कराने हेतु प्रस्ताव शासन को प्रेषित कर दिया है। विधानसभा याचिका समिति के निर्देश पर भी अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण द्वारा पत्रावली पर किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है, जिसके चलते आज परिवार कल्याण महानिदेशालय में सत्याग्रह आंदोलन किया जा रहा है। जिसमें  मौजूदा समय में पुलिस प्रशासन द्वारा महानिदेशक परिवार कल्याण से वार्ता कराने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का गठन कर वार्ता करने के लिए कहा। इस कमेटी में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्र व उपाध्यक्ष धनंजय तिवारी तथा एसोसिएशन के संरक्षक विनीत मिश्रा, शुभम त्रिवेदी जी, मुजफ्फरनगर जिलाध्यक्ष बार भरतवीर प्रजापति रहे।

वार्ता उपरांत संगठन ने निर्णय लिया है की महामारी की स्थिति को देखते हुए संगठन ने सत्याग्रह आंदोलन को निरंतर चलाने का निर्णय लिया है जिसमें प्रतिदिन संगठन के 10-10 लोग महानिदेशक परिवार कल्याण में सत्याग्रह आंदोलन को तब तक आगे बढ़ाते रहेंगे जब तक कोई निर्णय नहीं हो जाता है।

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