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गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती 30 बच्चों की मौत

ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होना माना जा रहा वजह
ऑक्सीजन सप्लायर का हो गया था 70 लाख बकाया
सरकार का ऑक्सीजन की कमी से मौत से इनकार
मैजिस्टीरियल जांच के आदेश, 24 घंटे में आयेगी रिपोर्ट

लखनऊ। गोरखपुर स्थित बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होने से 36 घंटे के अंदर वहां भर्ती 30 बच्चों की मौत का समाचार है। हालांकि सरकार की ओर से ऑक्सीजन की कमी से मौत होने से इनकार किया जा रहा है लेकिन परिस्थितियां, अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों के बयान और अन्य स्रोतों से समाचार यह आ रहा है कि मौतों के लिए कहीं न कहीं ऑक्सीजन की कमी वजह हो सकती है। हालांकि घटना की मैजिस्टीरियल जांच के आदेश दे दिये गये हैं, जिसकी रिपोर्ट 24 घंटे में आयेगी।

मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि जनपद गोरखपुर स्थित मेडिकल कॉलेज में विशेषकर एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम एईएस से पीडि़त बच्चों का इलाज किया जाता है। मरने वाले बच्चे यहां नियोनेटल वार्ड और इंसेफ्लाइटिस वार्ड में भर्ती थे। यहां ऑक्सीजन की सप्लाई पाइप के माध्यम से की जाती है, बताया जाता है कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी का 70 लाख रुपये बकाया था और उसने ऑक्सीजन सप्लाई रोक दी थी।

हालांकि दावा यह है कि कम्पनी द्वारा पाइप द्वारा ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने के बाद सिलिंडर के जरिये ऑक्सीजन की सप्लाई की गयी लेकिन भर्ती मरीजों के परिजनों के अनुसार जरूरतमंद बच्चों को एम्बू बैग भी दिये गये जिससे बच्चों को ऑक्सीजन दी जा सके। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ पद्माकर सिंह ने भी कम्पनी का बकाया होना स्वीकार किया है साथ ही यह भी कहा है कि उसका भुगतान कर दिया गया है।

इसका अर्थ यह हुआ कि हो सकता है पाइप की सप्लाई बंद होने के बाद सिलिंडर दिये जाने के बीच में ही यह नौबत आयी होगी कि एम्बू बैग से ऑक्सीजन सप्लाई की जाये।  एक और बात जो घटना को ऑक्सीजन की कमी से होने की ओर इशारा कर रही है वह है एक साथ 36 घंटे के अंदर 30 बच्चों की मौत होना। जैसा कि कहा जा रहा है कि वहां पर बच्चों की मौत होना सामान्य बात है और इसकी वजह ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होना नहीं है लेकिन इतनी बड़ी संख्या में तो मौत नहीं होती हैं।

एक और बात कि आखिर चंद घंटे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब अस्पताल को दौरा किया और मरीजों के इलाज में कोई कमी नहीं आने का निर्देश दिया तो उन्हें वहां के जिम्मेदारों ने यह क्यों नहीं बताया कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी का 70 लाख रुपये बकाया है उल्टे मुख्यमंत्री से कहा गया कि सब कुछ ठीकठाक है। जो भी हो फिलहाल चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन सहित अन्य सभी जिम्मेदार ऑक्सीजन की कमी की बात को नकार रहे हैं लेकिन साथ ही यह भी कह रहे हैं कि मैजिस्टीरियल जांच के आदेश दे दिये गये हैं अगर कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी काररवाई की जायेगी।

 

 

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