-इप्सेफ ने कहा उच्चस्तरीय जांच के बाद दोषियों को दंडित किया जाये
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) ने मुख्यमंत्री की मंशा के विरुद्ध स्वास्थ्य विभाग में फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, एक्स रे टेक्नीशियन, कुष्ठ संवर्ग सहित अन्य कर्मचारियों का 300 से 400 किलोमीटर स्थानांतरण किये जाने, नवनियुक्त कर्मी जिनकी तैनाती गृह जनपद से दूरस्थ कर दी गई थी, इनका मांगे गए विकल्प को दरकिनार कर स्थानांतरण न करने पर आक्रोश जताते हुए इन्हें निरस्त करने तथा इसकी जांच कर दोषियों को दंडित करने की मांग की है। इप्सेफ ने कहा है कि यदि स्थानांतरण निरस्त नहीं किये गए व दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं हुई तो इप्सेफ देश भर में इस अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करेगा।
इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार में कोविड-19 महामारी से जान बचाने वाले फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, एक्स रे टेक्नीशियन, कुष्ठ संवर्ग सहित अन्य कर्मचारियों को 300 से 400 किलोमीटर दूर स्थानांतरित करके अनैतिक कार्यवाही की गयी है। वहीं नवनियुक्त कर्मी जिनकी तैनाती गृह जनपद से दूरस्थ कर दी गई थी जबकि मांगे गए विकल्प को दरकिनार किया गया उन्हें दो वर्ष से कम की नियुक्ति बताते हुए स्थानांतरण से बाहर कर दिया गया, जबकि उनमें कई के साथ गम्भीर समस्या है। उन्होंने कहा है कि इस मनमानी को उत्तर प्रदेश का कर्मचारी कभी नहीं भूलेगा और समय आने पर समुचित उत्तर देगा। मुख्यमंत्री को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इस स्थानांतरण से सभी अस्पतालों में इलाज में बाधा पढ़ रही है, इसलिए तत्काल स्थानांतरण निरस्त किया जाए और नवनियुक्त कर्मचारियों को रिक्त स्थान होने की दशा में विचार किया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जहां मृत कर्मचारियों को 50 लाख रुपए की अनुग्रह धनराशि दी है, मृतक आश्रितों को नौकरी एवं पारिवारिक पेंशन, ग्रेच्युटी एवं अन्य भुगतान के आदेश दिए हैं। वहीं पर प्रदेश सरकार द्वारा ऐसे कर्मचारियों का स्थानांतरण करके अनैतिक कार्य किया गया है। इप्सेफ ने मांग की है कि कोरोना महामारी के चलते स्थानांतरण न किया जाए।
उन्होंने कहा कि किन परिस्थितियों में स्थानांतरण किया गया है इसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए और दोषी लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए।