लखनऊ। हमारे साथ ही हमारी अगली पीढ़ी के भविष्य को रोशन करने के लिए हर इंसान का कर्तव्य है कि वह पेड़ लगाये। पेड़ हैं तो हमारी जिंदगी है आज जरूरत इस बात की है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए एक व्यक्ति कम से कम पांच पेड़ लगाये।
कैरियर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में लगाये गये 500 वृक्ष
इसी उद्देश्य के साथ कैरियर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने लायंस क्लब के सहयोग से वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। इंस्टीट्यूट के प्रांगण में 500 पेड़ लगाकर न सिर्फ पर्यावरण को अनुकूल करने का प्रयास किया गया बल्कि इस कार्य के माध्यम से उपस्थित लोगों विशेषकर इंस्टीट्यूट के छात्र-छात्राओं को पर्यावरण प्रेम के प्रति जागरूक किया गया। समारोह में वक्ताओं ने पेड़ के लाभ गिनाते हुए बताया कि पेड़ से हमे अनेक लाभ मिलते हैं। पेड़ों से जहां हमें जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन मिलती है वहीं पेड़ मिट्टी को साफ करते हैं साथ ही ध्वनि प्रदूषण को रोकने में भी पेड़ों का बड़ा योगदान है।
मानें या न मानें, बात करते हैं पेड़ : डॉ रमाकांत
कार्यक्रम में उपस्थित चिकित्सा शिक्षक व लायंस क्लब लखनऊ के अध्यक्ष डॉ रमाकान्त ने पेड़ की महत्ता बताते हुए कहा कि आप लोगों को विश्वास हो या न हो लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि पेड़-पौधे बातें करते हैं। इस सम्बन्ध में एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने अपने जीवन के पुराने पन्नों को खोला। उन्होंने बताया कि कॉलेज के दिनों में हमारा परिवार इलाहाबाद में था उस दौरान हमने एक पीपल का पेड़ लगाया था जैसे-तैसे उसकी रखवाली करते-करते पौधा बड़ा होने लगा और देखते-देखते पौधा वृक्ष बन गया। उन्होंने बताया कि चूंकि मैंने उस पेड़ को लगाया था तथा उसे बड़ा करने के लिए उसकी देखरेख लगातार करता रहा था, जिस कारण मुझे उससे काफी लगाव हो गया था। मैं उसको बाहों में भरकर उससे लिपट जाता था जिसमें मुझे असीम शांति और संतुष्टि मिलती थी। उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे समय बीता मेरा एमबीबीएस में सिलेक्शन हो गया और मैं अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गया। इसके बाद केजीएमसी जो अब केजीएमयू हो गया है में मैं नयी-नयी पायदाने चढऩे लगा। इसी दौरान मेरा एक बार इलाहाबाद जाना हुआ तो अनायास इच्छा हुई कि उस पेड़ को देखूं। उन्होंने बताया कि मैं उस स्थान पर पहुंचा तो देखा वह एक विशाल वृक्ष का रूप ले चुका था लोग अपनी-अपनी आस्था के अनुसार उसकी पूजा करने लगे थे। उन्होंने बताया कि मुझे अपने पुराने दिन याद आ गये मैंने उसे अपनी बाहों में भरने की कोशिश की तो जो पेड़ पहले मेरी बाहों के घेरे में आ जाता था अब मेरे हाथ उसके आगे बेहद छोटे लग रहे थे। डॉ रमाकांत ने बताया कि अचानक मेरे मुंह से पेड़ के लिए निकला कि… तुम तो बहुत बड़े हो गये… उन्होंने बताया कि इसके बाद अचानक उन्हें बहुत साफ सुनायी पड़ा कि जैसे पेड़ ने कहा कि …तुम भी तो…। उन्होंने कहा कि इस घटना को मैं आज भी भूला नहीं हूं। उन्होंने बताया कि आप पेड़ों से प्यार करें विश्वास कीजिये कि एक अजीब सी फीलिंग होगी।
समारोह में कैरियर कॉन्वेंट शैक्षिक ट्रस्ट, लखनऊ के अध्यक्ष अजमत अली, लायंस गवर्नर सदीप सहगल, विशाल सिन्हा, सशक्तिकरण की अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ श्वेता सिंह, डॉ रमाकांत, डॉ रमा शंखधर, चित्रा सिंह, रेहाना होडा, डॉ वीके सिंह, डॉ आनंद अग्रवाल, डॉ सपना व इंस्टीट्यूट के अनेक लोगों व विद्यार्थियों ने पेड़ लगाये।