ट्रॉमा सेंटर के मेडिसिन स्टोर में लगी थी आग
लाखों की दवाओं के साथ बीते पांच साल के रिकॉर्ड भी रखे थे स्टोर में
इन रिकॉर्डो की मांग कर रहा था केजीएमयू प्रशासन
पदमाकर पांडेय पद्म
लखनऊ। ट्रॉमा सेंटर में शनिवार की शाम दूसरी मंजिल स्थित स्टोर रूम में लगने वाली आग ने, न केवल ट्रॉमा के मरीजों हिला दिया बल्कि केजीएमयू प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा कर दिया। आग के कारणों के तरह-तरह के कयास लगाए जा रहें हैं, मगर स्टोर में दवाओं के साथ बीते पांच साल में दवाओं की खरीद-फरोख्त के रिकॉर्ड स्वाहा होना, बड़ी साजिश की आेर इशारा कर रहा है।
ट्रॉमा सेंटर में आग बिजली के शॅार्ट सर्किट से लगना संभव नहीं लग रहा है, क्योंकि शॉर्ट सर्किट होता तो पहले बिजली प्रभावित होती और पूरे ट्रॉमा में बिजली के तार प्रभावित होते और बिजली गुल हो जाती। बिजली विशेषज्ञों का मानना है कि शॉर्ट सर्किट नहीं हुआ है। वहीं दूसरी तरफ एसी प्लांट के ब्लास्ट होने की संभावनाए भी नजर नहीं आ रही हैं। हालांकि मुख्यमंत्री के निर्देश पर घटना की जांच हो रही हैं, सूत्रों की माने तो आग बाई चांस नहीं है, क्योंकि स्टोर रूम में शनिवार को दवाओं के साथ ही पांच साल के रिकॉर्ड भी थे। ये रिकॉर्ड दवाओं की खरीद-फरोख्त व डिमांड आदि से संबन्धित थे। उक्त रिकॉर्डों की सत्यता परखने के लिए केजीएमयू स्तर पर जंाच भी चल रही हैं। केजीएमयू प्रशासन द्वारा बीते कई माह से स्टोर इंचार्ज व अन्य से उक्त रिकॉर्ड उपलब्ध कराये जाने की मांग भी हो रही थी। मगर कई बार मांगने के बावजूद रिकॉर्ड नहीं उपलब्ध कराए गये, लिहाजा शनिवार को स्टोर की आग में रिकॉर्डो का पूर्णतया जल जाने के बाद, दबी जुबान जानकार लोग साजिश की घटना सें इनकार नहीं कर रहे हैं।
दवाओं की बड़ी खेप समेत भारी आर्थिक नुकसान हुआ
स्टोर रूम में शनिवार को खासी मात्रा में दवाएं मौजूद थीं। कई विभागों की इमरजेंसी होने की वजह से ट्रॉमा में लाइफ सेविंग की तमाम दवाएं अत्यधिक मात्रा में उपयोग होती हैं, लिहाजा स्टोर में महंगी दवाओं की उपलब्धता हमेशा रहती है। इतना ही नहीं शनिवार को ही दवाओं की बड़ी खेप आई थी, छह ट्रकों में दवाएं आईं थी। कई ट्रक भर कर फ्लूड आया था, सब जल गया। केजीएमयू प्रशासन ने अभी तक होने वाले नुकसान का निश्चित आंकड़ा नहीं बताया है मगर कई करोड़ की दवाओं के जलने व खराब होने की संभावना है।