-चिकित्सा विशेषज्ञों के मन की बात, पटाखों पर प्रतिबंध के बीच कैसे मनायें दीपावली
धर्मेन्द्र सक्सेना
लखनऊ। दीपावली हो और पटाखे न फोड़े जायें तो यह बच्चों के लिए कुछ ऐसा ही है कि उसे खिलौनों से खेलने से रोका गया हो, लेकिन इस कोरोना काल में, प्रदूषण भरे माहौल में सेहत के दृष्टिकोण से दूषित पर्यावरण को और दूषित बनाने से रोकने के लिए कई जगहों पर पटाखे पर प्रतिबंध लगाया गया है, उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां भी 31 जनपदों में पटाखे प्रतिबंधित हैं। इनमें राज्य की राजधानी लखनऊ भी शामिल है। चूंकि पटाखों पर प्रतिबंध है तो ऐसे में लोगों खास तौर पर बच्चों के चेहरों पर मायूसी आनी स्वाभाविक है लेकिन उनके चेहरों पर पटाखों के बिना मुस्कान कैसे लायी जा सकती है, इसकी जिम्मेदारी भी माता-पिता की है। इसी मुद्दे पर ‘सेहत टाइम्स’ ने चि眚कित्सा विशेषज्ञों से बात की कि इन परिस्थितियों में क्या है उनकी राय आइये जानते हैं।
कल को सुरक्षित रखने के लिए आज पर ध्यान देना जरूरी : ले.ज.डॉ बिपिन पुरी, कुलपति केजीएमयू
किंग जॉर्ज चि眚कित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति ले.ज.डॉ बिपिन पुरी का कहना है कि आजकल इंटरनेट का जमाना है, हम लोग ऑनलाइन चीजों के अभ्यस्थ हो रहे हैं, ऐसे में इस कोरोना काल में ई पटाखों में ही खुशियों को ढूंढ़ना चाहिये, जिससे पटाखों का मजा भी मिले और पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचे, कम्प्यूटर, लैपटॉप जैसे उपकरणों पर पटाखों का मजा लेना चाहिये। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं अपने परिवार के साथ इसी तरह दीपावली मना रहा हूं। उन्होंने कहा कि ई पटाखे, जो कि एन्वॉयरमेंट फ्रैंडली हैं, इसी में पटाखों का मजा लेते हुए हमें अपने कल को सुरक्षित रखने के लिए आज पर ध्यान देना है।
इनडोर गेम खेलें, डान्स करें, अंत्याक्षरी खेलें : डॉ आरके धीमन, निदेशक, एसजीपीजीआई
संजय गांधी पीजीआई के निदेशक डॉ आरके धीमन ने कहा कि पटाखे चलाना आजकल कोविड काल में ठीक नहीं हैं, क्योंकि कोहरा बढ़ेगा, प्रदूषण होगा तो वायरस का ट्रांसमिशन बढ़ेगा, अब सवाल यह है कि पटाखे न चलायें तो क्या करें, इसमें मेरा मानना है कि माता-पिता बच्चों के साथ इनडोर गेम खेलें, अंत्याक्षरी खेलें, डान्स करें, दीये जलायें, रंगबिरंगी लाइट्स लगायें, खाने-पीने की चीजें बनाकर पार्टी की तरह इंज्वॉय करें। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं इसी तरह दीवाली मना रहा हूं। डॉ धीमन ने कहा कि इतना जरूर ध्यान रखें कि अगर घर में रहने वाले सदस्यों के अलावा यदि बाहर से कोई सदस्य इस इंज्वॉयमेंट में शामिल हो रहा है तो मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान अवश्य रखें।
बच्चों के साथ खेलें इनडोर गेम, अंत्याक्षरी : प्रो एके सिंह, कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी
अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो एके सिंह जो स्वयं एक प्लास्टिक सर्जन भी हैं, का कहना है कि पटाखे बहुतों को नुकसान करते हैं, बच्चों को भी नुकसान करते हैं, चोटिल हो जाते हैं। इसके अलावा इससे प्रदूषण होता है, पटाखों की आवाज वृद्ध-शिशु, पशु-पक्षी को मानसिक आघात पहुंचाती है। यह पूछने पर कि ऐसे में इंज्वॉय किस तरह किया जाये तो उन्होंने बताया कि आजकल के कोविड के माहौल को देखते हुए पटाखों पर बैन की स्थिति में पटाखों की जगह दूसरी चीजों से इंज्वॉय करें, माता-पिता पटाखों से होने वाले नुकसान के बारे में बच्चों को समझाते हुए बच्चों के साथ लूडो, सांप-सीढ़ी, कैरम जैसे खेल खेलें, संगीत प्रतियोगिता कर लें, बहुत छोटे बच्चे हैं तो कविता सुनाने, क्विज जैसी चीजों से इंन्ज्वॉय करें।
खुद भी समझें और बच्चों को भी समझायें : डॉ डीएस नेगी, महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
प्रदेश के चि眚कित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ डीएस नेगी का कहना है कि देखा जाये तो दीपावली त्यौहार तो दीप बत्ती का है, पटाखे के चलन की बात करें तो समझना भी है और बच्चों को समझाना भी है कि पटाखे हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो हम पटाखा नहीं जलायेंगे, मनोरंजन के तो और भी साधन हैं। बच्चों को किस तरह बहलाया जाये इस प्रश्न पर उन्होंने कहा कि बच्चों को समझाया जा सकता है कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह कठिन समय है, बच्चों की, जनता की हेल्थ को सुरक्षित रखने के लिए ही पटाखे बैन किये गये हैं तो ऐसे में एक साल पटाखे न फोड़ें। संगीत, टीवी देखना, कोई इनडोर गेम आदि से मनोरंजन करें।
बच्चों के साथ मिलकर सजायें घर, उनका उत्साह बढ़ायें : प्रो विनोद जैन, अधिष्ठाता, पैरामेडिकल केजीएमयू
केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर एवं अधिष्ठाता पैरामेडिकल डॉ विनोद जैन बताते हैं कि स्वास्थ्य प्राथमिकता पर है, इसकी रक्षा तो करनी ही होगी, इसलिए पटाखे, जिनसे पर्यावरण पर दूषित प्रभाव पड़ता है, इसे बैन करना एक अच्छा कदम है, अब आती है दूसरी बात कि दीपावली में पटाखों के न चलाने से निराश बच्चों को कैसे बहलाया जाये। साथ ही इस कोरोना काल में दीपावली का उत्सव भी मनायें, दिल में खुशियों को समेट कर किस तरह इंज्वॉय किया जाये और बच्चों को कराया जाये। उन्होंने कहा कि उत्सव के माहौल को जीवंत रखने और समाज को शांति, प्रकाश, भाईचारा, स्वास्थ्य और खुशी के बारे में संदेश देने के लिए पटाखे आवश्यक नहीं हैं। इसके स्थान पर दूसरे कार्यों में खुशियां तलाशें, घर में रंगोली बनायें और बच्चों को भी इसे बनाने के लिए प्रेरित करें। इससे यह होगा कि जहां उन्हें एक नये कार्य को करने की खुशी होगी वहीं, अपनी बनायी हुई कला को देखकर वे प्रसन्नचित्त रहेंगे, घर की सजावट बच्चों के साथ मिलकर करें, उन्हें भी कार्य सौंपे, साथ ही उनकी बनायी हुई कला पर अपने विचार भी उनके साथ शेयर करते हुए इस पर अपनी गंभीरता जरूर दिखायें। उन्होंने बताया कि मैं खुद इसी प्रकार दीपावली मना रहा हूं, मैंने अपनी पत्नी, बच्चों के साथ खुद भी घर की सजावट करने में सहभागी बन रहा हूं।
पटाखों के अलावा भी चीजें हैं, बच्चों को खुशियां देने के लिए : डॉ गिरीश गुप्ता, संस्थापक, गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च
लखनऊ स्थित गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के संस्थापक होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ गिरीश गुप्ता का कहना है कि पटाखे एक लिमिट तक तो अच्छे लगते थे, लेकिल अब लिमिट क्रॉस हो गयी थी, हजारों रुपये के पटाखे फोड़े जाते थे, प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी थी, ऐसे में पर्यावरण का जो नुकसान होता है वह भी असीमित है, दूषित गैसें निकलती थी, वातावरण गैस चैंबर बन जाता था। इसलिए पटाखों पर बैन लगना अच्छा कदम है। बच्चों की खुशी पटाखों से ही थोड़ी होती है, उन्हें गिफ्ट दें, रौशनी का मजा लें, उनके साथ समय बितायें, उन्हें समझायें, पटाखों से होने वाले नुकसान के बारे में बतायें।