समाज के आखिरी व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं देना सरकार का लक्ष्य
लखनऊ। मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) के द्वारा उत्तर प्रदेश के आखिरी व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचेंगी। इसके लिए 150 एमएमयू तैयार की गई हैं, इसके साथ ही टेलीमेडिसिन को नये स्वरूप में प्रस्तुत किया जायेगा, ताकि मरीजों को उनके घर पर या घर के समीप बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हो सकें। यह बात गुरुवार 29 जून को को होटल क्लाक्र्स अवध में आयोजित पब्लिक हेल्थ इन उत्तर प्रदेश चैलेंज एंड सोल्यूशन्स कार्यशाला के समापन अवसर पर उत्तर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कही।
श्री सिंह ने कहा कि बेहतर तरीके से स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश को चार क्लस्टर में बांटा जायेगा। एमएमयू में इमरजेंसी में फस्र्ट एड से संबन्धित समस्त संसाधन उपलब्ध होंगे। आजकल मोबाइल लगभग हर जगह है, जैसे ही कॉल किया जायेगा मोबाइल मेडिकल यूनिट मौके पहुंचेगी और इलाज देगी, और अगर जरूरत पड़ी तो मरीज को बड़े अस्पताल भी पहुंचायेगी। उन्होंने बदहाल स्वास्थ सेवाओं पर बोलते हुए कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं आईसीयू में हैं, इन्हें आईसीयू से निकालने के लिए अपने महत्वपूर्ण सुझाव देने के देश के विशेषज्ञों को कार्यशाला में आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 11 करोड़ जनसंख्या प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने आती है। उन्होंने कहा कि मानक के अनुसार 7500 डॉक्टरों और 18500 पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने का कार्य वर्तमान प्रदेश सरकार कर रही है।
पीपीपी मोड पर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने पर उन्होंने कहा कि इसके लिए मेदान्ता, अपोलो जैसे अस्पतालों से मदद ली जायेगी। उन्होंने सरकार के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि आखिरी व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए टेलीमेडिसिन पद्धति को अपनाया जायेगा, मगर इस पद्धति का स्वरूप बदला होगा। अगले तीन माह में योजना पटल पर आने लगेगी, इस योजना में पैथोलॉजी के छोटी-छोटी मशीनें होंगी, गरीब मरीजों को उन्हीं के घर पर या अत्यंत समीप हास्पिटल जांच कराने की सुविधा दी जायेगी, वहीं से ऑटोमेटिक सिस्टम से सैंपल पैथोलॉजी पहुंच जायेंगे और रिपोर्ट वहीं ऑन लाइन उपलब्ध हो जायेगी। इसके अलावा डॉक्टरी परामर्श भी उपलब्ध होगा।
50 से 100 करोड़ का व्यवसाय था स्थानांतरण
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार में प्रदेश में स्थानान्तरण पॉलिसी व्यवसाय का रूप धारण कर चुकी थी। हर वर्ष जून के महीने में स्थानान्तरण कार्यो में 50 से 100 करोड़ का लेन देन होता था। मगर वर्तमान में योगी सरकार ने इस धंधे को चौपट कर दिया है। स्थानान्तरण पॉलिसी जारी कर दी गई है, अब ऑन लाइन सार्वजनिक प्रक्रिया से स्थानान्तरण किये जा रहे हैं।
दस साल पहले था यह हाल
उन्होंने कहा कि दस वर्ष पूर्व हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में उनके मामा सुनील शास्त्री चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने मामा के चुनाव प्रबंधन में लगे थे। एक दिन लगभग 20 किलोमीटर पगडंडी पर चलने के बाद जब वह वहां के एक अत्यंत पिछड़े इलाके में गये थे तो वहां पहुंचने पर एक दर्दनाक हादसा देखा कि एक झोपड़ीनुमा मकान आग में खाक पड़ा था, पता चला कि एक बच्ची बीमार थी, चूंकि उसका इलाज कराने के लिए वे लोग जा नहीं सकते थे इसलिए चीखती-चिल्लाती बीमार बच्ची को उस घर में बंद कर दिया तथा जब उसकी आवाज आना बंद हो गयी तो उस बंद झोपड़ी में आग लगा दी। उन्होंने बताया कि इस घटना से वे बिल्कुल सिहर गये थे। उन्होंने बताया कि इसीलिए मैंने सोचा कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना मेरा लक्ष्य होगा।
लोगों की दिनचर्या बहुत खराब हो रही : डॉ महेन्द्र सिंह
इससे पूर्व कार्यशाला का उदघाटन करते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (राज्यमंत्री) डॉ महेन्द्र सिंह ने समाज में चिकित्सकों की भूमिका की सराहना की । उन्होंने कहा कि मजबूत राष्ट्र के लिए स्वस्थ नागरिक होना बहुत जरूरी है। जितना पैसा लोग अपने खान-पान पर खर्च करते हैं, उससे कहीं ज्यादा अपने इलाज पर भी व्यय करते हैं। क्योंकि लोगों की दिन चर्या बहुत खराब हो रही है। इसी वजह से अस्पतालों पर भी बोझ बढ़ रहा है। इसके लिए पीने का पानी सबसे बड़ी समस्या है। स्वच्छ जल और प्रदूषण मुक्त वातावरण मुहैया कराना सबसे बड़ी चुनौती है। प्रदेश सरकार इस दिशा में भी गम्भीरता से कार्य रही है।
राज्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की जनसंख्या के सापेक्ष सरकारी चिकित्सालयों में डाक्टरों की काफी कमी है। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य नीति बनाकर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। स्वास्थ्य नीति बनने से स्वास्थ्य सेवाओं का गुणात्मक विकास होगा। उन्होंने कहा कि रोगियों को सस्ता और अच्छा उपचार आसानी से सुलभ हो, सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा सेवा मानवता की सेवा है और चिकित्सक ईश्वर के समतुल्य हैं। फिर भी समाज में इनको वह सम्मान नहीं मिल रहा है, जिसके ये हकदार है। क्योंकि कुछ चिकित्सकों का व्यहार मरीजों के प्रति ठीक नहीं होता। इससे सभी डाक्टरों को एक ही कसौटी पर रखा जाता है। चिकित्सक रोगियों से अच्छा व्यवहार करें, ताकि चिकित्सकों के प्रति लोगों की मानसिकता बदले। उन्होंने चिकित्सकों से राज्य की स्वास्थ्य नीति के निर्माण में सार्थक एवं प्रभावी योगदान प्रदान करने का भी आह्वान किया गया।
डॉ के राजेश्वर राव, संयुक्त सचिव, भारत सरकार ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं से सम्बन्धित प्रमुख चुनौतियों एवं समाधान पर प्रकाश डाला।
सरकारी और प्राइवेट सेक्टर मिल कर काम करें : डॉ.नरेश त्रेहान
मेदांता मेडिसिटी के चेयरमैन एवं हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.नरेश त्रेहान ने कहा कि सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के हास्पिटल्स में तालमेल नहीं है। अगर दोनों में सामन्जस्य बैठ जाये तो आखिरी व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकती हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ है, मगर डॉक्टर व संसाधन नहीं है। जबकि प्राइवेट में संसाधन है मरीजों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, क्योंकि यहां पर इलाज का शुल्क पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में मरीज को नि:शुल्क इलाज मिलता है मगर खर्च तो सरकार को करना पड़ता है। अगर यही खर्च समझौते के तहत प्राइवेट हॉस्पिटल को उपलब्ध करा दिया जाये तो सस्ते दाम पर बेहतर चिकित्सकीय सेवाएं मरीजों को उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने प्राइवेट हास्पिटल के साथ मिलकर पीपीपी मॉडल पर स्वास्थ्य सेवाएं लागू करने का आश्वासन दिया है।
कार्यशाला में प्रथम तकनीकी सत्र में उत्तर प्रदेश में मातृ, बाल एवं युवा-स्वाथ्य के सुदृढीकरण हेतु बहुमूल्य सुझाव विशेषज्ञों द्वारा दिए गए। द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रदेश में बेहतर सेवाओं हेतु स्वास्थ्य-तंत्र की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया तथा सम्भावित समाधान जैसे टेलीमेडिसिन, मोबाइल प्राथमिक स्वास्थ्य, आशाओं का क्षमता-विकास इत्यादि में निजी क्षेत्र के योगदान का विकल्प सुझाया गया। इसके अलावा उप्र सरकार के लोक कल्याण संकल्प-पत्र में उल्लेखित मूल भावना समाज के अन्तिम व्यक्ति तक समुचित स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करना पर भी चर्चा की गई ।
कार्यशाला में प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशान्त त्रिवेदी, सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सुश्री वी हेकाली झिमोमी, महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. पदमाकर सिंह, तथा महानिदेशक, परिवार कल्याण डॉ. नीना गुप्ता, सहित स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत अग्रणी विशेषज्ञों में प्रबन्ध निदेशक, मेदान्ता डॉ नरेश त्रेहन, अधिशाषी निदेशक ममता, डा0 सुनील मेहरा, विभागाध्यक्ष, बाल विभाग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली प्रो0 विनोद पाल, केजीएमयू के बाल विभाग की प्रो0 शैली अवस्थी, राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी, गुजरात, डॉ एमके जानी, आई0आई0टी0 नई दिल्ली से प्रो0 एम0के0 भान, सलाहकार-केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, भारत सरकार, राजेन्द्र गुप्ता, प्रतिनिधि-विश्व स्वास्थ्य संगठन डॉ. प्रकीन सुचासया, निदेशक, बिल एवं मिलिण्डा गेटस फाउन्डेशन डा0 नचिकेत मोर, वाइस चेयरपर्सन अपोलो ग्रुप सुश्री प्रीता रेडडी द्वारा प्रतिभाग किया।