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कोविड सैम्‍पलिंग, जांच करने वाला एक और फ्रंट लाइनर कोरोना योद्धा शहीद

-आरआरटी में ड्यूटी करने वाले लैब टेक्‍नीशियन मुकेश सिंह की दुखद मौत

मुकेश सिंह

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में रह कर लड़ने वाला एक और योद्धा शहीद हो गया। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत लैब टैक्नीशियन के पद पर कार्यरत एवं टीबी नियंत्रण कर्मचारी कल्याण समिति के महामंत्री मुकेश सिंह कोरोना संक्रमण से जूझते हुए लगभग 47 वर्ष की अल्पायु में अपनी जिंदगी की जंग हार गये। उन्होने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में 26-27 सितम्बर को रात लगभग 12.30 बजे अंतिम सांस ली।

मुकेश सिंह के परिवार में वृद्ध माता पिता के अतिरिक्त उनकी पत्नी रंजना, बेटी अनुष्का 14 वर्ष, बेटा शाश्वत 7 वर्ष हैं, जिनका रो रोकर बुरा हाल है। गौरतलब है कि मुकेश सिंह कोविड की रोकथाम में अन्य टीबी कर्मचारियों की भांति अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे। 21 अगस्त से उनकी ड्यूटी बी एम सी रेडक्रास कैसरबाग में गठित आर आर टी में लगी हुई थी, जहाँ पर वह सैम्पलिंग एवं टेस्टिंग का कार्य कर रहे थे। इसी बीच 1 सितम्बर को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें लोकबंधु चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।

file photo Mukesh Singh

बताया जाता है कि हालत और बिगडने पर उन्हें 3 सितम्बर को केजीएमयू में भर्ती कराना पड़ा, जहाँ उनकी हालत दिन पर दिन बिगड़ती गई और अंतत: वह कोविड से जिंदगी की जंग हार गये। मुकेश सिंह के असमयिक निधन से प्रदेश के टीबी कर्मचारियों में शोक की लहर दौड़ गयी है। समिति के संयुक्त मंत्री विजय कुमार मौर्य ने बताया कि मुकेश सिंह एक बेहद जुझारू कार्यकर्ता थे। जिलाधिकारी लखनऊ के आदेश के अनुपालन में उनके द्वारा कैसरबाग बस स्टेशन पर अपनी टीम के साथ एक दिन में लगभग 400 टेस्ट तक किये गये। उनकी इसी लगन एवं निष्ठा को देखते हुए सांसद मोहनलाल गंज कौशल किशोर द्वारा उन्हें कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित भी किया जा चुका है।

विभागीय अधिकारियों और सरकार से अपील

विजय कुमार मौर्य ने बताया कि यह टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की अपूर्णीय क्षति है, उन्‍होंने कहा कि हम मुकेश सिंह को वापस तो नहीं ला सकते पर विभागीय अधिकारियों एवं सरकार से यह अनुरोध करते हैं कि मुकेश सिंह के परिवार को यथाशीघ्र अनुमन्य सहायता राशि प्रदान की जाये जिससे उनके परिवार का भरण पोषण एवं बच्चों की शिक्षा पूर्ण हो सके।

भाई की मौत की खबर भी नहीं थी मुकेश सिंह को

यह भी एक विडम्‍बना है कि जब मुकेश सिंह की तबीयत बिगड़ने पर उन्‍हें लोकबंधु हॉस्पिटल से केजीएमयू शिफ्ट किया जा रहा था, उसी रात उनके सबसे बड़े भाई घर में बाथरूम में फि‍सल गये थे, जिससे उन्‍हें ब्रेन हेमरेज हो गया था, बाद में उनकी मृत्‍यु हो गयी थी। बड़े भाई की मौत के बारे में मुकेश सिंह को जानकारी भी नहीं थी। बूढ़े माता-पिता के दुख की कोई सीमा नहीं है, जिनके दो बेटे एक माह के अंदर संसार से विदा हो गये।