-इप्सेफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक का आयोजन
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस एम्पलाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्रा एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने बताया कि 14 अक्टूबर को देशभर के समस्त जनपदों में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए धरना-प्रदर्शन होगा एवं प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा। इससे पूर्व 15 सितंबर से जन जागरण किया जाएगा उसी दिन बड़े आंदोलन की घोषणा की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि इप्सेफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक की गई जिसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल आदि राज्यों एवं केंद्रीय संगठनों के पदाधिकारी/प्रतिनिधि उपस्थित थे।
बैठक में लगभग सभी राज्यों के पदाधिकारियों ने महसूस किया कि केंद्र एवं राज्यों की सरकारों द्वारा कर्मचारियों की पीड़ा सुनना तो दूर उनके वर्षों से लंबित मांगों पर उपेक्षापूर्ण एवं आर्थिक क्षति पहुंचाने का रवैया अपनाने से देशभर के कर्मचारी आक्रोशित हैं। कोविड-19 महामारी के कारण वे चुप बैठे हैं। सरकार द्वारा दी जा रही पीड़ा को सहते हुए कोविड-19 के मरीजों की सेवा में सभी जान पर खेलकर लगे हुए हैं।
सभी का कहना था कि हजारों की संख्या में स्वयं एवं उनके परिवार के लोग संक्रमित हुए हैं। कुछ की मृत्यु भी हो चुकी है खेद है कि सरकार उनकी खबर तक नहीं ले रही है। 50% पद भरे ना जाने से कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है। डॉक्टर, नर्सेज, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन,प्रयोगशाला सहायक, एक्सरे एवं अन्य टेक्नीशियन तथा वार्ड बॉय, सफाई कर्मचारी बीमारी से भयभीत हो गए है। बीमार हो जाने पर उन्हें सरकारी दवा, बेड आदि सुविधा नहीं मिल रहा है। उनका कहना है कि अगर सरकार का ऐसा ही रवैया रहा तो वह काम करना बंद कर देंगे।
महामंत्री प्रेमचंद्र एवं राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने कहा कि भीषण महंगाई से इस महामारी में कर्मचारी परिवार अधिक दुखी है। इसलिए वेतन/भत्तों की कटौती तत्काल वापस की जाए। 30 वर्ष की सेवा पर जबरन रिटायरमेंट, रिक्त पदों पर भर्ती एवं पदोन्नति कोविड-19 के कारण मृत कर्मचारियों के आश्रित को 50 लाख रुपए की सहायता राशि एवं मृतक आश्रित को नियुक्ति किए जाने पर तत्काल निर्णय किया जाए वरना 14 अक्टूबर को देशभर में धरना प्रदर्शन कर के प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भेजा जाएगा तथा अगले आंदोलन की घोषणा की जाएगी। उन्होंने प्रधानमंत्री से कर्मचारियों की पीड़ा पर ध्यान देने का अनुरोध किया है।
ये हैं प्रमुख मांगें
1. 30 वर्ष की सेवा पूरी करने पर जबरन सेवानिवृत्त ना किया जाए आदेश वापस लिया जाए।
2. रिक्त पदों पर 3 माह में पदोन्नतिया एवं नियुक्तियां कर दी जाएं इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय/ सर्वोच्च न्यायालय के भी आदेश हैं ।पूरे देश मे लगभग 50 लाख पद खाली हैं।
3. कोविड-19 महामारी से मृत कर्मचारियों को 50 लाख तत्काल दिया जाए तथा उनके आश्रित की तत्काल नियुक्ति की जाए।