लखनऊ। आयुष चिकित्सकों ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नीति आयोग की अनुशंसा पर आयुष विभाग को स्वास्थ्य विभाग में विलय किये जाने के प्रस्ताव पर आपत्ति व्यक्त की है।
केन्द्रीय होम्योपैथी के वरिष्ठ सदस्य डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर कहा है कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जहां आयुष पद्धतियों (आयुर्वेद, होम्योपैथी एवं यूनानी) के स्वतंत्र निदेशालय स्थापित हैं जिससे प्रदेश में आयुष पद्धतियों का पर्याप्त विकास हो रहा है। केन्द्र सरकार की तर्ज पर प्रदेश सरकार ने भी स्वतंत्र आयुष मंत्रालय का गठन कर सराहनीय कार्य किया है।
आयुष पद्धति के विकास पर पड़ेगा फर्क
उन्होंने पत्र में कहा है कि प्रदेश में आयुष पद्धतियां पहले स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत ही थी परन्तु यह महसूस किया गया कि इससे प्रदेश में आयुष पद्धतियों का पर्याप्त विकास नहीं हो पा रहा है, इसलिए सरकार ने आयुष पद्धतियों के सर्वागीण विकास की आवश्यकता को महसूस करते हुए आयुष पद्धतियों के स्वत्रंत निदेशालय का गठन किया एवं जिला स्तर पर नियंत्रण एवं अनुश्रवण की जिम्मेदारी क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी एवं जिला होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारियों को सौंप दी। इस व्यवस्था के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। यदि वर्तमान व्यवस्था के स्थान पर पुन: पुरानी व्यवस्था लागू की जाती है तो आयुष पद्धतियों के विकास एवं लोकप्रियता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा ।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि आयुष विभाग को स्वास्थ्य विभाग में विलय के बजाय वर्तमान व्यवस्था को बनाये रखा जाये, जिससे आयुष पद्धतियों के माध्यम से प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त हो सके और केन्द्र सरकार द्वारा आयुष पद्धतियों को विकास के रास्ते पर ले जाने का संकल्प भी पूरा हो सके।