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आईवरमेक्टिन दवा कारगर हो सकती है कोविड-19 के इलाज में

-डेंगू, इन्‍फ्लुएन्‍जा जैसे वायरस में देखी गयी है कारगर, कम करती है वायरस लोड

-यूएस एफडीए अनुमोदित इस दवा की भूमिका पर जारी होगा श्‍वेत पत्र

-राष्‍ट्रीय वेबिनार में मुख्‍य वक्‍ता के रूप में भाग लिया डॉ सूर्यकांत ने

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड-19 से संक्रमित रोगियों के इलाज में पुरानी दवा आईवरमेक्टिन की भूमिका पर चर्चा करने के लिए एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन एकेडमी ऑफ एडवांस मेडिकल एजुकेशन के तत्वावधान में किया गया। इस वेबि‍नार में मुख्य वक्ता के रूप में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ सूर्यकांत, जो इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी अस्थमा और एप्‍लाइड इम्यूनोलॉजी के अध्यक्ष भी हैं, ने भाग लिया।

केजीएमयू के मीडिया प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि इस वेबिनार का उद्देश्य कोविड-19 के उपचार में एक पुरानी दवा आईवरमेक्टिन की भूमिका की खोज के लिए एक सर्वसम्मति बयान/श्वेत पत्र तैयार करना था इस वेबिनार में देश के दूसरे विशेषज्ञों चंडीगढ़ से पद्मश्री डॉ डी बेहरा, दिल्ली से डॉ वीके अरोड़ा मुंबई से डॉ अगम वोरा और कोयंबटूर से डॉक्टर पी मोहन कुमार भी शामिल थे। डॉ सूर्यकांत ने कहा कि आईवरमेक्टिन एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला यू एस एफडीए अनुमोदित हेल्मिन्थिक है और इसका उपयोग मुख्य रूप से कृमि संक्रमण जैसे रिवर ब्लाइंडनेस, एस्‍कारियासिस, फाइलेरिया आदि के लिए किया जाता है। हाल ही में कोविड-19 वायरस के खिलाफ इसकी प्रभावकारिता की कई रिपोर्ट आई हैं।

डॉ सूर्यकांत ने दवा का अवलोकन प्रस्तुत किया और प्रतिभागियों को इस पुराने एवं महत्वपूर्ण दवा की खोज के पीछे के दिलचस्प इतिहास के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि 1970 में माइक्रोबायोलॉजिस्ट सतोषी ओमुरा ने जापान के होंशु के दक्षिण पूर्वी तट पर कवाना में एक गोल्फ कोर्स के करीब जंगल से मिट्टी का नमूना एकत्र किया था ओमुरा ने इस मिट्टी से एक जीवाणु को अलग किया और संवर्धित किया। साथ में न्यू जर्सी के वेलियम कैंपबेल के साथ इसके परजीवी प्रभाव के लिए परीक्षण किया। उनकी खोज के लिए उन्हें 2015 में फिजियोलॉजी/मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने बताया कि यह पहली बार नहीं है कि आईवरमेक्टिन के एंटीवायरल गुणों का पता लगाया गया है यह कई वायरस जैसे डेंगू, इनफ्लुएंजा आदि के संबंध में भी प्रभावी साबित हुआ है, प्रयोगशाला के अध्ययनों में देखा गया है कि यह वायरस के प्रवाह को रोक कर वायरल लोड को कम करता है। इसके चलते आईवरमेक्टिन यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा अनुमोदित दवा है अतः इसे कोरोना थेरेपी के लिए उन्हें पेश करने से कोई समस्या नहीं आएगी।

डॉ सूर्यकांत, जो इंडियन चेस्ट सोसायटी और नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजीशियन के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं, ने कहा कि विशेषज्ञ समूह ने आईवरमेक्टिन के नैदानिक परीक्षणों से सभी उपलब्ध साक्ष्यों और आंकड़ों की समीक्षा की है और जल्दी ही इसे पेश करेंगे व कोविड-19 के रोगियों के लिए आईवरमेक्टिन कैसे फायदेमंद साबित हो सकता है, इस बारे में एक निर्णायक श्‍वेत पत्र भी जारी करेंगे, व बहुत जल्द इसे राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित भी किया जाएगा। समिति भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।