-इस वर्ष की थीम, नौजवानों को तम्बाकू के प्रलोभन और इसके दुष्प्रभाव से बचाना
-विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की पूर्व संध्या पर बोले डॉ आशुतोष दुबे
लखनऊ। भारत में हर साल लगभग 10 लाख लोग, तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के कारण कैंसर व अन्य बीमारियों से दम तोड़ देते हैं। क्योंकि बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं व पुरुष जिसे देखो वही तम्बाकू व उसके उत्पादों का प्रयोग कर रहें हैं। तम्बाकू जब सिगरेट के रूप में सुलगती है तब इसमें से निकोटिन सहित लगभग 400 से अधिक केमिकल्स निकलते हैं। ये केमिकल शरीर के काफी अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं। तंबाकू सेवन से होने वाले कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ‘नौजवानों को तंबाकू उत्पादकों के प्रलोभन और तंबाकू के दुष्प्रभाव से बचाना की थीम पर तम्बाकू के खिलाफ प्रचार प्रसार किया जायेगा।
यह बात शनिवार को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की पूर्व संध्या पर डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ.आशुतोष कुमार दुबे ने कही।
डॉ.दुबे ने बताया कि तंबाकू सेवन से होने वाली मौतों को रोकने के लिए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस वर्ष विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर, नौजवानों को तंबाकू उत्पादकों के प्रलोभन और तंबाकू के दुष्प्रभाव से बचाना विषयक थीम दी गई है। इसी थीम पर कार्य किया जायेगा, साथ ही उन्होंने बताया तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। इसके बावजूद, बहुत से लोग सिगरेट, बीड़ी, पान मसाला, पान, खैनी और हुक्का जैसे तरीकों से तंबाकू का सेवन करते हैं। विभिन्न अध्ययनों में बताया गया कि, तंबाकू सुलगने के बाद निकोटिन सहित लगभग 400 से अधिक केमिकल्स रिलीज करती हैं। ये सभी केमिकल्स हमारे मस्तिष्क, हृदय, फेफड़ों, पेट, किडनी, ऑंख, स्किन और प्रजनन अंग, सहित शरीर के अन्य ऑर्गन्स को नुकसान पहुंचाते है। तंबाकू के सेवन से हमें ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी, कैंसर, गर्भपात बांझपन, नपुंसकता, अनियंत्रित मधुमेह, ब्लडप्रेशर, कोरोनरी हार्ट डिसीज, हृदयघात, मस्तिष्कघात, गंजापन, मांसपेशियों की कमजोरी, अंधापन, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा और मानसिक अवसाद होते हैं। धूम्रपान से निकलने वाले धुएं में रेडियो एक्टिव तत्व होते हैं जो हमारे जीन में भी परिवर्तन करते है।