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..आखिर इन कर्मचारियों की समस्‍या का हल क्‍या है प्रशासन के पास

-वाहन चला नहीं पाते, दोपहिया पर बैठने पर रोक, पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद, ऑफि‍स कैसे आयें

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। लॉकडाउन के बीच जिन क्षेत्रों में कुछ छूट मिली हुई हैं उनमें उत्‍तर प्रदेश सचिवालय भी शामिल है, यहां पर सीमित संख्‍या में कर्मचारियों को आने को कहा गया है। लेकिन यहां के कुछ कर्मचारियों का दर्द यह है कि जो अपने वाहनों से नहीं आते हैं वे कर्मचारी कार्यालय कैसे आयें। दोपहिया वाहन पर सिर्फ सवारी के लिए ही अनुमति है, पीछे नहीं बैठ सकते हैं, पीछे बैठने पर ट्रैफि‍क पुलिस कहती है, चालान होगा।

यहां काम करने वाले एक कर्मचारी अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उन्‍होंने जीवन में कभी वाहन नहीं चलाया, कार्यालय आने के लिए सार्वजनिक वाहन का या किसी मित्र के साथ उसके वाहन में आने का सहारा लेते रहे हैं। लेकिन अब दिक्‍कत यह है कि सार्वजनिक वाहन कोई चल नहीं रहा है, एक मित्र के साथ दोपहिया वाहन पर बैठकर कार्यालय आये तो रास्‍ते में ट्रैफि‍क पुलिस वाले ने उन्‍हें जो नियम का पाठ पढ़ाया कि उनके कम उन्‍हें लाने वाले साथी कर्मचारी के होश फाख्‍ता हो गये, क्‍योंकि वाहन उसी का था, चालान भरने की जिम्‍मेदारी भी उन्‍हीं की बनती थी। हालांकि यह भी देखा गया कि दोपहिया वाहन पर पीछे बैठी सवारी अगर महिला है, तो उन्‍हें ट्रै‍फि‍क पुलिस वाले कुछ नहीं कह रहे हैं।

पीडि़त कर्मचारी का कहना है कि सरकार ऐसी विशेष परिस्थिति में कुछ ऑटो वालों को अनुमति दे दे तो उनका काम बन सकता है, उनके घर से सचिवालय की दूरी करीब 10 किलोमीटर है, इसलिए पैदल आने के बारे में भी वह नहीं सोच सकते। इसके अतिरिक्‍त एक और विकल्‍प यह हो सकता है कि विभाग की गाड़ी से लाने-वापस पहुंचाने की सुविधा मिले। उन्‍होंने जिला प्रशासन से अपील की है कि इन परिस्थितियों में कुछ ऐसा करें कि उन जैसे कर्मचारियों की मदद हो सके।