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कोरोना वायरस को लेकर आपाधापी : केजीएमयू की लैब में सीधे जांच कराने पहुंच रहे लोग

-विशेषज्ञों की अपील,  जांच का फैसला चिकित्‍सक पर छोड़ दें, वही तय करेंगे जांच होनी है या नहीं

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो 

लखनऊ। कोरोना वायरस को लेकर सतर्कता तो बरतनी है लेकिन ऐसी हलचल नहीं पैदा करें जिससे फायदा के बजाय नुकसान हो। सभी जरूरी उपाय किये जा रहे हैं, सरकार पूरी गम्‍भीरता के साथ सभी आवश्‍यक कदम उठा रही है, लोगों से यही अपील है कि किसी प्रकार की अफवाहों पर ध्‍यान न दें, इस बारे में सरकार की ओर से सभी प्रकार की जानकारी बराबर दी जा रही है, उसी पर विश्‍वास करें। केजीएमयू में भी सभी इंतजाम पुख्‍ता हैं, यहां लैब को 24 घंटे खोला गया है। लोगों से अपील है कि वे सीधे माइक्रोबायोलॉजी विभाग अपनी जांच के लिए न पहुंचें, उनकी जांच होनी है या नहीं इसका निर्धारण चिकित्‍सक करेंगे, अन्‍य अस्‍पतालों के अतिरिक्‍त केजीएमयू के संक्रामक रोग विभाग में चिकित्‍सकों की टीम मौजूद है, जो मरीज को होने वाली परेशानी और लक्षणों के आधार पर जांच की बात तय करेगी। केजीएमयू में 12 बिस्‍तरों वाला आईसोलेशन वार्ड भी बना दिया गया है तथा उसमें वेंटीलेटर भी मौजूद है। जरूरत पड़ने पर बेड की संख्‍या बढ़ायी भी जा सकती है।

यह उस जानकारी का लब्‍बोलुआब है जो गुरुवार को केजीएमयू में बुलायी गयी प्रेस वार्ता में कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट व माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्‍यक्ष प्रो अमिता जैन ने दी। प्रेस वार्ता में  मुख्‍य चिकित्‍सा अधीक्षक प्रो एसएन संखवार, माइक्रोबायोलॉजी की डॉ पारुल, मेडिसिन विभाग के डॉ सौरभ पाण्‍डेय भी मौजूद थे। प्रो अमिता ने बताया कि यहां की लैब में अब तक 145 नमूनों का टेस्‍ट किया जा चुका है, जिनमें छह नमूनों में लक्षण पॉजिटिव पाये गये हैं, इन नमूनों को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार उच्‍चस्‍तरीय टेस्‍ट के लिए पुणे की लैब में भेजा गया है, जहां से कोरोनावायरस होने या न होने की अंतिम रूप से पुष्टि होगी। केजीएमयू में हुए टेस्‍ट की बात करें तो कल 4 मार्च को कुल 39 टेस्‍ट हुए, इनमें 25 आगरा से आये, चार बुलंदशहर से, पांच कानपुर से और पांच केजीएमयू से आये, स‍बकी जांच हो गयी और सभी निगेटिव पाये गये। इसके अलावा 5 मार्च को 31 टेस्‍ट आये इनमें 28 आगरा से आये, ये सभी निगेटिव हैं, अभी एक प्रयागराज, दो लखनऊ से आये हैं इनकी जांच बाकी है।

नाक और गले से लिया जाता है स्‍वैब

उन्‍होंने कोरोना वायरस की जांच के तरीके के बारे में बताया कि सबसे पहले सम्‍बन्धित देशों से आने वाले व्‍यक्ति की एयरपोर्ट पर ही थर्मल स्‍क्रीनिंग की जाती है, जिसमें यह देखा जाता है कि उसे बुखार तो न‍हीं है, यदि बुखार होता है तो उसकी नाक और गले से स्‍वैब लिया जाता है, और उसकी जांच केजीएमयू लैब में की जाती है, यदि इस जांच में कोरोना वायरस की पुष्टि भी हो जाती है तो इसकी फाइनल जांच के लिए नमूने को एनआईवी पुणे भेज दिया जाता है, वहां पर अंतिम रूप से पुष्टि की जाती है।

डॉ अमिता जैन ने बताया कि यदि किसी व्‍यक्ति को बुखार आ रहा हो, खांसी, जुकाम, सांस लेने सम्‍बन्‍धी कोई दिक्‍कत हो तो उसे चिकित्‍सक को जरूर दिखाना चाहिये। उन्‍होंने बताया कि यह देखा जा रहा है कि उनके पास लोग सीधे सम्‍पर्क कर जांच करने के लिए कहते हैं, जो कि ठीक नहीं है, लोगों को चाहिये कि पहले वह डॉक्‍टर को दिखायें और डॉक्‍टर जो सलाह दें उसके अनुसार कार्य करें न कि अपने मन से। केजीएमयू के संक्रामक रोग विभाग में चिकित्‍सक मौजूद हैं, उन्‍हें या किसी दूसरे चिकित्‍सक को पहले दिखा सकते हैं।

खांसते-छींकते समय कुहनी से भी ढंक सकते हैं

उन्‍होंने बताया कि आमजन के ध्‍यान देने योग्‍य जो बातें हैं उनमें खांसते-छींकते समय मुंह और नाक पर कपड़ा, टिशू पेपर रख ले, लेकिन अगर ये चीजें नहीं हैं तो कुहनी को मोड़कर कोहनी के अंदर वाले भाग से नाक और मुंह को ढंक ले, ऐसा करने से छींकते समय नाक से निकलने वाली नन्‍हीं बूंदे (ड्रॉपलेट्स) इधर-उधर हवा में नहीं फैलेंगी। कुहनी का अंदरूनी भाग लगाने की सलाह इसलिए दी जाती है कि सामान्‍यत: लोग हाथों का इस्‍तेमाल कर लेते हैं, लेकिन हाथों का इस्‍तेमाल करने से हाथों में ड्रॉपलेट्स लग जायेंगी और फि‍र उन्‍हीं हाथों से जब कोई भी चीज या किसी को छुएंगे तो वे ड्रॉप लेट्स उन चीजों और दूसरों को भी लग जायेंगी।

20 सेकंड तक साबुन से रगड़कर हाथ धोयें

उन्‍होंने बताया कि इसी प्रकार बीच-बीच में खासतौर से बाहर से आने पर साबुन से हाथ अवश्‍य धोयें, साबुन को 20 सेकंड तक हाथों में अच्‍छी तरह रगड़ने के बाद ही पानी से धोयें। उन्‍होंने बताया कि बेहतर होगा कि अभी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। बाहर से घर पर आने के बाद साबुन से हाथ धोना इसलिए भी जरूरी है, कि बाहर ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं, जिन्‍हें सभी व्‍यक्ति छूते रहते हैं, जैसे दरवाजे, दीवारें, लिफ्ट का दरवाजा, लिफ्ट के बटन, सीढ़ी की रेलिंग, कुर्सी, मेज, बसों की सीट, रेलगाड़ी की सीट, टैम्‍पो, टैक्‍सी जैसी तमाम चीजें जो दूसरे भी छूते हैं।

लोगों की भी नैतिक जिम्‍मेदारी

डॉ पारुल ने कहा कि लोगों को चाहिये वे भी ऐसे समय में अपनी जिममेदारी को निभायें, हमारी भी नैतिक जिम्‍मेदारी है। उन्‍होंने कहा कि किसी को भी अगर ऐसे लक्षण आते हैं तो वह खुद पब्लिक से दूर हो जायें कम से कम 14 दिन के लिए। डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करें, जारी किये गये टोल फ्री नम्‍बर पर सम्‍पर्क करें लेकिन पब्लिक से अपने को दूर रखें। उन्‍होंने कहा जरूरत भर तो ठीक है लेकिन ओवरडिस्‍इन्‍फैक्‍शन भी ठीक नहीं है।