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नशे की लत छूट तो सकती है, बशर्ते छोडऩे की इच्छा हो

पत्रकारों को सम्बोधित करते डॉक्टर उमेश प्रताप, डॉ. अनुरुद्ध वर्मा, डॉ. रमाशंकर, डॉ. शास्वत सक्सेना एवं प्रो. अजय वर्मा। 

दवायें और मोटीवेशन से आसान हो सकती है स्वस्थ होने की राह

लखनऊ। धूूूूम्रपान हो या सीधे तम्बाकू-गुटखा का सेवन अथवा किसी भी तरह का नशा, यह अपने शरीर के लिए हानकारक तो है ही, साथ ही नशा करने वाले के परिवार को भी किसी न किसी रूप में प्रभावित करता है। आवश्यकता इस बात की है कि अव्वल तो यह लत पड़े ही नहीं और यदि किसी को इस लत ने जकड़ लिया है तो उसे इससे छुटकारा मिले। इस बुराई के खिलाफ आवाज उठा रहा नशा मुक्ति आंदोलन ने आईएमए के सहयोग से आमजन को इसके भयावह परिणाम बताते हुए यह मैसेज देने की कोशिश की है कि इस बुराई को दवाओं और मोटीवेशन से छोड़ा जा सकता है।

जनजागरण में व्यापक सहभागी बनने का आह्वान

किसी भी तरह समाज विशेषकर युवा वर्ग सभी प्रकार के नशे से मुक्त हो यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। नशा मुक्ति आन्दोलन देश के सभी जागरूक नागरिकों, स्वैच्छिक एवं सामाजिक संस्थाओं समेत शिक्षा, चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञों एवं संस्थानों का आह्वान करता है कि वे इस दिशा में जनजागरण के व्यापक प्रयास में सहभागी बनें।
मंगलवार को आईएमए भवन में नशा मुक्ति आन्दोलन और इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। प्रेसवार्ता को नशा मुक्ति आन्दोलन के संयोजक बृजनन्दन यादव, आईएमए की तरफ से मनोरोग चिकित्सक डॉ. शास्वत सक्सेना, केजीएमयू के पल्मोनरी विभाग के प्रो. अजय वर्मा, केजीएमयू के प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग के प्रो डॉ. रमाशंकर एवं केजीएमयू के पायरियोडॉन्टिक्स विभाग के प्रो. उमेश प्रताप और केन्द्रीय होम्योपैथिक चिकित्सा परिषद के सदस्य डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने संबोधित किया।

नशे से मुक्ति एक बड़ी चुनौती

नशा मुक्ति आन्दोलन के संयोजक बृजनन्दन यादव ने बताया कि आज उत्तर प्रदेश की जनता को नशा से मुक्ति दिलाना सबसे बड़ी चुनौती है। नशा मुक्ति आन्दोलन प्रदेश सरकार से मांग करती है कि उत्तर प्रदेश में पूर्ण रूप से तम्बाकू पर रोक लगाये तभी उत्तर प्रदेश तरक्की करेगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पूरे प्रदेश में विशेषकर युवाओं और शिक्षण संस्थानों को केन्द्रित कर अभियान चलाया जायेगा।

धूम्रपान से पायरिया होना तय

प्रो. उमेश प्रताप ने बताया कि तम्बाकू के उपयोग से कैंसर के अलावा भी कई बीमारियां मुख में हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि तम्बाकू खाने विशेषकर धूम्रपान करने से दांतों में पायरिया होने की शत-प्रतिशत संभावना बढ़ जाती है जो आगे चलकर कैंसर का रूप धारण करता है। डा. वर्मा ने नशा मुक्ति आन्दोलन के अभियान की सराहना करते हुए कहा कि तम्बाकू शरीर के पूरे सिस्टम को प्रभावित करती है। तम्बाकू खाने की लत महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों विशेषकर युवाओं में अधिक होती है।

नशा छुड़ाने में मददगार मोटीवेशन थेरेपी

आईएमए से जुड़े मनोरोग चिकित्सक डॉ. शास्वत सक्सेना ने कहा कि मोटीवेशन थेरेपी द्वारा नशा छुड़ाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि तम्बाकू की लत काउंसलिंग और दवा की मदद से छोड़ी जा सकती है। देखने में यह आया है कि सही काउंसलिंग से लगभग 60 प्रतिशत लोगों का तम्बाकू छुड़ायी जा सकती है और अगर उचित दवा दी जाए तो 80 प्रतिशत लोगों को फायदा पहुंचाया जा सकता है। सबसे  ज्यादा फायदा काउंसलिंग  और दवा दोनों साथ में चलने से होता है।

धूम्रपान करने से होता है लंग कैंसर, सीओपीडी व टीबी

डॉ. अजय वर्मा ने कहा कि लंग कैंसर को मुख्य कारण धूम्रपान है। इसके अलावा धूम्रपान करने से सीओपीडी होने के खतरे बढ़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि दमा और टीबी होने की भी संभावना स्मोकिंग से बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि तम्बाकू व इससे बने उत्पादों से 40 प्रकार के कैंसर और 25 प्रकार की बीमारियां होती हैं। 95 प्रतिशत मुंह के कैंसर तम्बाकू सेवन करने वाले व्यक्तियों को होता है।
प्रो. रमाशंकर ने नशा मुक्ति आन्दोलन के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि मीडिया और चिकित्सकों के सहयोग से इस अभियान को निश्चित ही गति मिलेगी और तम्बाकू मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने में हम सभी लोग कामयाब होंगे।

महत्वपूर्ण तथ्य

-भारत में 80 प्रतिशत लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं।
-तम्बाकू व इससे बने उत्पादों से 40 प्रकार के कैंसर होते हैं।
-25 प्रकार की बीमारियां होती हैं।
-95 प्रतिशत मुंह के कैंसर होता है।
-भारत में 184 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं।
-प्रतिदिन 22 सौ लोगों की मौत होती है।
-गुर्दे और पेशाब की थैली तथा किडनी का कैंसर होता है।

तंबाकू की लत छुड़ाने में मददगार है होम्योपैथी

वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने कहा कि तम्बाकू एवं धूम्रपान मीठा जहर है जो शरीर के सभी अंगों को खोखला कर मौत के मुंह में धकेल देता है। उन्होंने कहा कि देश में 2500 लोग प्रतिदिन तम्बाकू से होने वाली गंभीर बीमारियों के कारण असमय काल के गाल में समा जाते हैं।
डॉ. वर्मा ने बताया कि होम्योपैथी की मीठी गोलियां तंबाकू की लत को छुड़ाने में कारगर है। उन्होंने कहा कि आज पुरुषों के साथ ही महिलाओं में भी तंबाकू की खाने की लत बढ़ रही है। डॉ. वर्मा ने बताया कि होम्योपैथी में अनेक ऐसी कारगर दवाएं हैं जो आसानी से इस लत से छुटकारा दिला सकती हैं लेकिन जरूरी है कि लत छोडऩे के लिए व्यक्ति इच्छुक हो। होम्योपैथिक दवाएं लती व्यक्ति के द्वारा एकदम से तम्बाकू व धूम्रपान छोडऩे के कारण उत्तपन्न होने वाले लक्षणों जैसे चिड़चिड़ापन, गुस्सा,  भूख न लगना आदि को भी काबू कर लेती है।

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