बंदी टालने की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की कोशिश नाकाम
सरकार ने कहा- अधिनियम के तहत कार्रवाई करेंगे, व्यापारी बोले-जबरन दुकान नहीं खुलवा सकते
लखनऊ। 30 मई को होने वाले दवा व्यापारियों के बंद को लेकर सरकार और दवा व्यापारी आमने-सामने हैं। एक तरफ सरकार ने जहां अपने कड़े रुख का इजहार करते हुए बंदी पर आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 सहपाठित ड्रग्स (प्राइस कन्ट्रोल) ऑर्डर, 2013 के प्रस्तर 28 (बी) के अन्तर्गत कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है वहीं दूसरी ओर ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एआईओसीडी अपनी मांगों को लेकर बंद करने पर आमादा है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बंदी का फैसला वापस लेने के लिए कोशिश की गयी लेकिन दवा व्यापारी अपनी मांगोंं को माने जाने से कम पर राजी नहीं हैं।
ड्रग पोर्टल के माध्यम से दवा बिक्री अनिवार्य किये जाने का कर रहे हैं विरोध
ज्ञात हो सरकार की नयी नीति के अनुसार मैन्यूफैक्चरर्स सहित सभी दवा व्यापारियों को ड्रग पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया गया है और प्रत्येक दवा की बिक्री इसी पोर्टल के जरिये करना अनिवार्य किया जा रहा है। इसके विरोध में दवा व्यापारियों ने देशव्यापी दवा दुकानों की बंदी का ऐलान कर रखा है।
अधिनियम के तहत दुकान खोलने पर बाध्य नहीं किया जा सकता : सुरेश गुप्ता
सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दवा दुकान बंद करने पर सरकार की ओर से कठोर कार्रवाई के ऐलान के विषय में जब एआईओसीडी के राष्ट्रीय महामंत्री सुरेश गुप्ता से बात की गयी तो उनका साफ कहना था कि हमारी मांगें जायज हैं और हम मांगोंं को माने जाने तक किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि जहां तक आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई की बात है तो वह तब लागू होता है कि दुकान खुली हुई है और सेवाएं न दें या सामान बेचने से इनकार कर दें लेकिन अगर दुकान बंद है तो जबरदस्ती नहीं खुलवायी जा सकती है, इसलिए इस अधिनियम के तहत सरकार हमें बाध्य नहीं कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि हम किसी की दुकान जबरदस्ती बंद नहीं करायेंगे जिस व्यापारी की इच्छा हो वह बंद रखे, जिसकी इच्छा हो खोलें। उन्होंने कहा कि हमने हॉस्पिटल के अंदर आवश्यक सेवाओं को बाधित नहीं किया है, और इसकी सूचना प्रशासन को दे दी है।
सरकारी अस्पतालों में मिलेंगी दवाएं
दवा दुकानों की बंदी की वजह से यहां लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू समेत सरकारी अस्पतालों में मरीजों का खासा दबाव रहेगा। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.पद्माकर सिंह का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में दवा दुकानों की बंदी का कोई प्रभाव नहीं पडेग़ा, हो सकता है मरीजों की संख्या बढ़ जाये, इसके लिए अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था है।