ड्रग पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता पर विरोध जताया
लखनऊ। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एआईओसीडी ने दवाओं की बिक्री के लिए बनाये नये नियमों पर कड़ा विरोध जताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। विरोध स्वरूप 30 मई को दवा की दुकानों की देशव्यापी बंदी की घोषणा की है।
नये नियमों के अनुसार दवा की बिक्री अव्यवहारिक : सुरेश गुप्ता
आज 26 मई को यहां जिमखाना क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में एआईओसीडी के महामंत्री सुरेश गुप्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सरकार की नयी नीति के अनुसार मैन्यूफैक्चरर्स सहित सभी दवा व्यापारियों को ड्रग पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया गया है और प्रत्येक दवा की बिक्री इसी पोर्टल के जरिये करना अनिवार्य किया जा रहा है जो कि पूरी तरह से अव्यवहारिक है। उन्होंने बताया कि किसी भी रिटेलर को अगर मरीज को दवा देनी है तो पहले डॉक्टर का परचा स्कैन कर अपलोड करना पड़ेगा, बिल बना कर इस पोर्टल पर अपलोड करना होगा तथा फाइनल बिल पोर्टल द्वारा जारी करने तथा फाइनल इनवॉयस पोर्टल द्वारा जारी करने के बाद ही दवा मरीज को दे पायेगा। उन्होंने बताया कि इसी तरह स्टाकिस्ट खुदरा दवा व्यापारी को माल देने से पहले इनवॉयस अपलोड करेगा तथा फाइनल इनवॉयस पोर्टल द्वारा जारी करने के बाद ही दवा रिटेलर को दे पायेगा। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही इनवॉयस वैल्यू सरकार को व्यापारियों द्वारा दी जायेगी।
वार्ताओं के बाद भी नहीं निकला कोई नतीजा
श्री गुप्ता ने कहा कि इस सम्बन्ध में भारत सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय, ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया से बात भी की गयी लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। उन्होंने बताया कि इस पोर्टल से सरकार या मरीजों को कोई फायदा नहीं होगा बल्कि दवा व्यापारियों का शोषण जरूर होगा। उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद ही है कि जहां देश में हर जगह इंटरनेट की सुविधा मौजूद नहीं है वहीं मोबाइल में डाटा अपलोड करने के पश्चात ही फाइनल इनवॉयस पोर्टल द्वारा जारी की जायेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के नियम हम किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कानून के अनुसार दवाओं की ऑनलाइन बिक्री अवैध
श्री गुप्ता ने कहा कि मौजूदा दवा कानून ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट1940 किसी भी दवा को ऑनलाइन बेचने की इजाजत नहीं देता, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अनेक दवा कम्पनियां अवैध व अनैतिक रूप से ऑनलाइन कारोबार कर रही हैं और केंद्र सरकार व उनके अधिकारी कोई कार्रवाई न कर चुप बैठे हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ड्रग लाइसेंस शुल्क, नवीनीकरण शुल्क 3000 रुपये से बढ़ाकर 30000 रुपये करने का प्रस्ताव लायी है जिसका हम पूर्णरूप से विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में करीब 8.5 लाख केमिस्ट तथा 50 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनके परिवारों के भविष्य का दायित्व भारत सरकार पर है।
पहले लाइसेंस जारी किये अब दुकानों को बंद करने की धमकी : गिरिराज रस्तोगी
फेडरेशन के संरक्षक गिरिराज रस्तोगी ने कहा कि पूरे प्रदेश में खुदरा दवा व्यवसाय हेतु फार्मासिस्ट की उपलब्धता एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है तथा समुचित मात्रा में फार्मासिस्ट न होने के बावजूद भी ड्रग अधिकारियों ने भारी मात्रा में खुदरा दवा लाइसेंस जारी किये हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की फार्मेसी काउंसिल फार्मासिस्ट की संख्या अत्यंत कम होने के बावजूद उन्होंने धड़ल्ले से लाइसेंस जारी किये गये, अब उन्हीं दवा की दुकानों को बंद करने की धमकी दी जा रही है तथा लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है जिससे दवा व्यापारी व्यवसाय बंद कर भूखों मरने की स्थिति में पहुंंच गया है। पत्रकार वार्ता में लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री अनिल जयसिंघ, वरिष्ठï उपाध्यक्ष हरीश शाह, ओपी सिंह, पीआरओ सुरेश कुमार, रचित रस्तोगी, संगठन मंत्री ओपी सिंह, कोषाध्यक्ष सुदीप दुबे, मीडिया प्रभारी विकास रस्तोगी, अमित अग्रवाल, प्रभुनाथ त्रिपाठी, जसपाल भाटिया, आनंद रस्तोगी, तुषार रस्तोगी, अतुल तिवारी, संजय मल्होत्रा, पीएस त्रिपाठी सहित अन्य व्यापारी उपस्थित थे।