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वैज्ञानिक शोध : खाने के पहले या बाद तो दूर, खाने के साथ भी खा सकते हैं होम्‍योपैथिक दवा

-इलायची, लहसुन, तम्‍बाकू, सिगरेट, पान जैसी खुश्‍बूदार चीजों का भी दवा पर असर नहीं
 -IJRH में प्रकाशित हो चुका है डॉ गिरीश गुप्‍ता का यह रिसर्च वर्क
डॉ गिरीश गुप्ता

धर्मेन्‍द्र सक्‍सेना

लखनऊ। होम्‍योपैथिक दवा का उपयोग करने वालों में यह आम धारणा है कि दवा खाने के आधा घंटा पहले या बाद तक कोई चीज न खायें, लेकिन अगर हम आपसे कहें कि यह धारणा गलत है, आप दवा के आगे-पीछे तो छोड़ें,  खाने के साथ भी होम्‍योपैथिक दवा खा सकते हैं, विश्‍वास नहीं हुआ न…लेकिन यह सच है। होम्‍योपैथी से बड़े-बड़े रोग प्रमाण सहित ठीक करने वाले प्रख्‍यात होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक डॉ गिरीश गुप्‍ता ने यहां गौरांग क्‍लीनिक एवं होम्‍योपैथिक अनुसंधान केंद्र में इस बात का वैज्ञानिक तरीके से परीक्षण किया है और पाया कि खुशबू वाले खाद्य-पदार्थों से भी दवा के असर में कोई कमी नहीं आयी। उनका यह शोध-कार्य इंडियन जर्नल ऑफ रिसर्च इन होम्‍योपैथी (IJRH) में प्रकाशित हुआ है।

अनेक गलत धारणायें प्रचलित हैं होम्‍योपैथिक दवाओं को लेकर

इस बारे में डॉ गिरीश गुप्‍ता ने ‘सेहत टाइम्‍स’ को बताया कि होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा के विषय में लोगों की बहुत सी गलत धारणायें हैं। उन्‍होंने कहा कि यह तथ्‍यहीन है कि इन दवाओं का असर प्याज, लहसुन, तम्‍बाकू, सिगरेट, पान एवं अन्‍य खुशबूदार वस्‍तुओं के लेने से नष्‍ट हो जाता है। उन्‍होंने कहाकि यह भी गलत है कि होम्‍योपैथिक दवाइयां, ऐलोपैथिक दवाओं के साथ नहीं चल सकतीं। यह सोच भी गलत है कि इनका असर धीरे-धीरे व लम्‍बे समय के बाद होता है। यही नहीं यह भी मिथ्या है कि होम्‍योपैथिक दवाइयां पहले रोग बढ़ाती हैं, फि‍र ठीक करती हैं। डॉ गुप्‍ता ने कहा कि इसके अतिरिक्‍त यह भी धारणा गलत है कि होम्‍योपैथिक दवायें खाने से पहले और बाद में आधा घंटा तक कुछ न खायें। उन्‍होंने कहा कि लोगों में यह भी धारणा है कि होम्‍योपैथिक दवाओं को हाथ से छूने पर उनका असर समाप्‍त या कम हो जाता है, गलत है। डॉ गुप्‍ता के अनुसार यह सोचना कि ये दवाएं मुंह से सेवन करने पर ही असर करती हैं और किसी अन्‍य माध्‍यम से नहीं, यह पूरी तरह से अवैज्ञानिक है। उन्‍होंने बताया कि यह सोच भी गलत है कि होम्‍योपैथिक दवायें सिर्फ क्रॉनिक बीमारियों पर ही असर करती हैं, एक्‍यूट पर नहीं।

इस तरह किया शोध

होम्योपैथिक दवाओं की प्रभावकारिता पर विभिन्न वर्जित खाद्य सामग्री (प्याज, लहसुन, लौंग, इलायची, हींग, अदरक, मेथी इत्यादि) का प्रभाव के अध्ययन के लिये डॉ० गिरीश गुप्ता ने अपनी माइकोलॉजी लैब में पहले मुँह के अल्सर से पीड़ित रोगियों से स्वाब द्वारा कवक उगाने के लिये एकत्रित नमूनों को पहले से तैयार की गई सबोरौड्स डेक्स्ट्रोस एगर (Sabouraud’s Dextrose Agar-SDA) की कल्चर प्लेट पर इनॉक्यूलेट (innoculate) कर 37± 1०C के तापमान पर 72 घंटे तक इंक्यूबेट (incubate) किया । इससे प्राप्त कल्चर की जाँच द्वारा पहचान करने पर कैन्डिड़ा एल्बीकैन्स  (Candida albicans) की पुष्टि हुई । उपरोक्त वर्जित वस्तुओं के 500 मिलीग्राम बारीक पाउडर का 5 मिलीलीटर आसुत जल (Distilled water)  में मिश्रण तैयार किया गया इस मिश्रण को 15 पाउंड प्रेशर पर ऑटोक्लेव (Autoclave) करने के बाद इसकी 5 µl मात्रा को 5 µl मिजेरियम 200 के साथ मिलाकर 10 µl मिश्रण तैयार किया गया। पहले से तैयार सबोरौड्स डेक्स्ट्रोस एगर (SDA) की कल्चर प्लेट पर कैन्डिड़ा एल्बीकैन्स का 1 मिलीलीटर कल्चर ब्रोथ (broth) डालने के बाद वर्जित खाद्य सामग्री एवं मिजेरियम 200 के मिश्रण में व्हाटमैन न० 1 (Whatman No.1) फिल्टर पेपर की 12 मिलीमीटर डिस्क को डुबोकर रखा गया। इसी प्रकार डिस्क को केवल मिजेरियम 200 तथा रेक्टिफाइड स्प्रिट (rectified spirit)  में डुबो कर कंट्रोल की तरह रखा गया। इन सभी प्लेटों को 37± 1०C के तापमान पर 72 घंटे तक इंक्यूबेट किया गया । इस प्रयोग में होम्योपैथिक दवा मिजेरियम 200 की कैन्डिड़ा एल्बीकैन्स के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पर वर्जित खाद्य सामग्री के असर का आकलन इनहिबिशन जोन तकनीक (Inhibition zone technique) द्वारा किया गया। इस प्रयोग द्वारा यह स्पष्ट हो गया कि होम्योपैथिक दवा पर वर्जित वस्तुओं का कोई असर नहीं पड़ता है।

डॉ गुप्ता ने बताया कि उनका यह प्रयोग सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (CCRH) के द्वारा प्रकाशित इंडियन जर्नल ऑफ रिसर्च इन होम्योपैथी (IJRH) के vol. 12, issue 2 अप्रैल-जून 2018 अंक में प्रकाशित हो चुका है।