सीओपीडी दिवस पर डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर ने दी जानकारियां
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। वातावरण में इतना प्रदूषण बढ़ चुका है कि इससे बचने और इसे घटाने के लिए सरकार के साथ ही हम सभी को मिल कर प्रयास करने होंगे, क्योंकि इस समय इमरजेंसी जैसे हालात हो रहे हैं, दिल्ली का हाल इमरजेंसी वाला ही है तभी वहां वाहनों के लिए ऑड-इवेन योजना लागू करनी पड़ रही है, यहां लखनऊ की स्थिति भी अच्छी नहीं है। बेहतर होगा कि हम स्वयं ही छोटे-छोटे प्रयास सामूहिक रूप से करेंगे तो निश्चित ही परिणाम बेहतर आयेंगे।
यह बात आज किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर द्वारा विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर श्वांस रोगियो को जागरुक करने के लिए आयोजित प्रेस वार्ता में विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश, डॉ संदीप तिवारी और डॉ अंकित ने संयुक्त रूप से कही। आपको बता दें विश्व सीओपीडी दिवस हर वर्ष नवम्बर के तीसरे बुधवार को मनाया जाता है।
चिकित्सकों ने बताया कि चूंकि धुआं और धूल सीओपीडी के लिए बहुत नुकसानदायक हैं। इसलिए इससे स्वस्थ व्यक्ति तो बचे ही, लेकिन अगर कोई श्वास रोगी है तो उसके लिए तो अत्यन्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है। घर के अंदर बरती जाने वाली सावधानियों में मच्छर जलाने वाली अगरबत्ती, जाड़े से बचने के लिए अंगीठी, रूम हीटर भी नुकसानदायक हैं। बिजली वाले रूम हीटर में भी कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है जो कि हानिकारक है। सर्दी से बचने के लिए रजाई, कम्बल जैसी चीजों का इस्तेमाल ही बेहतर है और इसी तरह मच्छर से बचने के लिए क्वायल जलाने के बजाय मच्छरदानी का प्रयोग करें और अगर अगरबत्ती का प्रयोग करना ही पड़े तो खिड़कियां अवश्य खोल दें जिससे धुआं बाहर निकलता रहे।
इसके अलावा घर के बाहर व्यायाम करने कि बजाए घर के अन्दर करें। बुजुर्गों को घर के अन्दर रखें। घर के बाहर जाना जरूरी हो तो मुंह पर मास्क या रूमाल बाधें, आंखों पर चश्मा लगायें और खुले में ज्यादा देर तक काम करने से बचें। दवाइयां और इनहेलर समय से इस्तेमाल करें। ताजे फल सब्जियों का इस्तेमाल करें। डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि वायु प्रदूषण पूरे विश्व की भीषण समस्या बन गयी है। हर 10 में से 9 लोग प्रदूषित वायु में रह रहे हैं। हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मृत्यु वायुप्रदूषण की वजह से होती है।
इस साल विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व सी0ओ0पी0डी दिवस पर “All together to end COPD” को इस दिन का विषय वस्तु बनाया है। सीओपीडी कोई एक बीमारी नहीं है। उन्होंने बताया कि सीओपीडी के अंदर कई बीमारियां होती है जैसे कि एमफाईसीमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस।
सीओपीडी मृत्यु का तीसरा मुख्य कारण है। विश्व में लगभग 251 मिलियन सीओपीडी के मरीज हैं जिसमें से लगभग हर साल 31 लाख लोगों की मृत्यु सीओपीडी से हो जाती है। भारत में विश्व की 18 प्रतिशत जनसंख्या रहती है। भारत में 4.2 प्रतिशत लोग सीओपीडी से पीडित हैं। 1990 से 2016 के बीच 29 प्रतिशत सीओपीडी के मरीज बढ़ गए हैं।
सीओपीडी के मुख्य लक्षण में
श्वांस फूलना
बलगम आना,
खांसी आना,
छाती में जकड़न
सींटी बजना इत्यादि है। इसके कारणों की अगर बात करें तो उनमें
धूम्रपान
तम्बाकू का सेवन
प्रदूषण
चूल्हे पर खाना बनाना इत्यादि है।
लम्बे समय से दमा की बीमारी भी सी0ओ0पी0डी का कारण हो सकता है।
उन्होंने बताया कि सीओपीडी ठीक होने वाली बीमारी नहीं है। सीओपीडी के इलाज से लक्षणों में आराम मिल जाता है। सीओपीडी को मुख्यतः बुजर्गों की बीमारी माना जाता था। अब कम उम्र के लोगों में भी सी0ओ0पी0डी0 की समस्या बन रही है। एक स्टडी के अनुसार लगभग 17 प्रतिशत मरीजों की उम्र 55 साल से भी कम थी। कम उम्र में सी0ओ0पी0डी0 का मुख्य कारण दमा, वायु प्रदूषण एल्फा-1 एण्टीट्रिप्सिन की कमी इत्यादि है।
उन्होंने बताया कि अपने चिकित्सक से सीओपीडी एक्शन प्लान लेना चाहिए। आपका सीओपीडी एक्शन प्लान एक गाइड है। जिसका पालन आपके लक्षण बदतर हो जाने पर किया जाता हैं। सामान्य अवधि के दौरान, जब कोई लक्षण बढ़ जाते हैं तब भी अपनी चिकित्सा द्वारा सलाह के अनुसार, दवा का उपयोग करना जारी रखें।
अनुशंसित खुराक और दैनिक दवा की आवृत्तियों चिकित्सक की सलाह अनुसार लें। विषेश रुप से बढ़े हुए लक्षणों के जवाब के लिए घर पर दवाओं को समायोजित करने के लिए चिकित्सक से लिखित सलाह लें।
यदि आपके लक्षण दिन-प्रतिदिन के सामान्य से बदतर हो जाते हैं अपने डॉक्टर से संपर्क करें या अपने नजदीकी आपातकालीन चिकित्सा केंद्र पर जायें।
यदि लक्षण अचानक बहुत खराब हो जाते हैं और आपको सांस की तकलीफ हो जाती है, तो 108 पर कॉल करें या तुरन्त आपातकालीन सहायता प्राप्त करें।