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विशेषज्ञ की सलाह, सीधे नेकर या जींस न पहनायें बच्‍चों को

बच्‍चों की परवरिश में अनेक बातों की अनदेखी बन रही बीमारी का कारण

 

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। बदलते जमाने में भागदौड़ वाली लाइफ स्‍टाइल, एकल परिवार, बुजर्गों से दूरी ने माता-पिता को बच्‍चों के प्रति ध्‍यान रखने वाली बहुत की छोटी मगर काम की बातों से महरूम कर दिया है। इन्‍हीं में से एक है बच्‍चे के शिश्‍न की खाल चिपकने की समस्‍या, जो गंभीर संक्रमण का कारण भी बन जाती है। किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) में इस तरह के कई केस आते हैं।

केजीएमयू के बाल रोग विभाग के डॉ जेडी रावत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ के तत्‍वावधान में आयोजित स्‍टेट लेवल रिफ्रेशर कोर्स एंड सीएमई प्रोग्राम में बच्‍चों में होने वाली शिश्‍न की समस्‍याओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आपको याद होगा कि पुराने समय में दादी, नानी या नाउन (नाई की पत्‍नी) जो घरों में बच्‍चों को तेल लगाने, नहलाने-धुलाने के लिए आती थीं, वे बच्‍चे को नहलाते समय हल्‍के हाथों से उसके शिश्‍न की सफाई भी करती थीं जिससे उसकी खाल चिपकती नहीं थी, अपने आप वह खुलता जाता था।

डॉ रावत ने बताया कि अब ऐसा न होने से शिश्‍न की खाल चिपक जाती है, यूरीन इन्‍फेक्‍शन हो जाता है, पस बन जाता है। उन्‍होंने बताया कि इसी प्रकार 50 फीसदी बच्‍चों में एक साल के अंदर साफ-सफाई होते रहने से अपने आप खुल जाता है, तथा तीन साल के अंदर 90 फीसदी बच्‍चों के शिश्‍न की खाल अपने आप खुल जाती है। उन्‍होंने सलाह दी कि साफ-सफाई करते रहें, लेकिन लिंग की खाल को जबरदस्‍ती खोलने की कोशिश न करें अन्‍यथा खाल फटने और घाव व संक्रमण होने की संभावना रहती है।

मुलायम कपड़े के अंडरगारमेंट्स पहनाने चाहिये

डॉ रावत ने यह भी बताया कि बच्‍चों को मुलायम कपड़े के अंडरगारमेंट्स पहनायें, उन्‍होंने कहा कि इसी प्रकार बहुत बार देखा गया है कि बच्‍चों को अंडरगारमेंट्स न पहना कर सीधे नेकर, जींस आदि पहना देते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिये क्‍योंकि जींस आदि कपड़े बहुत कड़े होते हैं जो लिंग की त्‍वचा पर रगड़ने से उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।