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आर्थराइटिस से ग्रस्‍त व्‍यक्ति का ज्‍यादा से ज्‍यादा एक्टिव रहना बहुत जरूरी

विश्‍व आथॅराइटिस दिवस पर जागरूकता के लिए अनेक कार्यक्रम होंगे आयोजित

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। अगर व्‍यक्ति आर्थराइटिस का शिकार हो गया है तो उसे एक्टिव रहना जरूरी है, क्‍योंकि जितना वह एक्टिव रहेगा उतना ही अच्‍छा रहेगा, यह भ्रम है कि आर्थराइटिस होने के बाद एक्टिवनेस में कमी कर देना चाहिये।

यह बात विश्व आर्थराइटिस दिवस पर आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देने के लिए बुलायी गयी पत्रकार वार्ता में हेल्‍थ सिटी के विशेषज्ञों डॉ संदीप कपूर व डॉ संदीप गर्ग ने दी।  शनिवार 12 अक्‍टूबर को आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ़ लखनऊ और हेल्थ सिटी ट्रॉमा सेंटर एंड सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के संयुक्‍त तत्‍वावधान आर्थराइटिस के प्रति जागरूकता के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम में योग, वाकाथॉन, साइकिलाथॉन और मैराथन का आयोजन किया गया है।

उन्‍होंने बताया कि कार्यक्रम में डीजीपी ओपी सिंह मुख्य अतिथि होंगे। डॉ संदीप कपूर व डॉ संदीप गर्ग ने बताया की किसी भी चिकित्सीय समस्या के सन्दर्भ में चिकित्सा से बेहतर बचाव होता है और यह बात आर्थराइटिस के लिए भी लागू होती है। आर्थराइटिस के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए आर्थराइटिस फाउण्डेशन ऑफ लखनऊ अहम कदम उठाता रहा है।

देखें वीडियो-आर्थराइटिस के बारे में जानकारी देते डॉ संदीप कपूर

इस बारे में उन्‍होंने बताया कि कार्यक्रम के दौरान डॉ संदीप कपूर व डॉ संदीप गर्ग प्रतिभागियों को न सिर्फ आर्थराइटिस उससे जुड़े लक्षण उसके इलाज के बारे में बताएँगे बल्कि उनकी जिज्ञासा का भी समाधान करेंगे। डॉ कपूर ने बताया कि पिछले लगभग एक दशक से ज्यादा से फाउंडेशन आर्थराइटिस के लिए जनजागरण का काम कर रहा है और लोगों को अर्थराइटिस से बचाव के उपाय नए-नए तरीकों से समझाने का प्रयास किया जा रहा है।

डॉ. कपूर ने बताया कि लखनऊ में लगभग 5 लाख व्यक्ति आर्थराइटिस  से प्रभावित हैं। भारत में यह संख्या 10 करोड़ है। आर्थराइटिस व काम्प्लेक्स फ्रैक्चर से परेशान रहे 8000 मरीजों को जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के माध्यम से पूर्णतया आराम दिला चुके डॉ कपूर और डॉ गर्ग मानते हैं की यदि हर व्यक्ति अपने ऑफिस घर के वातावरण के अनुरूप अपनी दिनचर्या में व्यायाम को शामिल कर ले और होने वाले लक्षणों को पहचान कर शुरुआती दौर में सावधानी बरते तो आर्थराइटिस को कण्ट्रोल किया जा सकता है। यदि बीमारी हो जाये तो सही और अनुभवी विशेषज्ञ से परामर्श और जल्द इलाज या प्रत्यारोपण सर्जरी से लाभ मिल सकता है ।

आमतौर पर लोग आर्थराइटिस का मतलब जोड़ों के दर्द से लगाते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक 5 प्रकार के आर्थराइटिस की पहचान हो चुकी है जो कि लखनऊ के लोगों में देखने को मिल रही है। न सिर्फ बढ़ती उम्र बल्कि बेढंगी जीवन शैली भी आर्थराइटिस को बढ़ावा दे रही है और इसलिए युवाओं को ज्यादा सावधान रहने की जरुरत है ।

ऐसे में लोगों को सावधानी इस बात पर भी रखनी चाहिए कि  वह विभिन्न प्रकार के अनसाइंटिफिक इलाज व इंटरनेट के माध्यम से खोजे गए इलाज पर भरोसा ना करें। शुरुआती लक्षणों के आते ही सही समय पर जांच और इलाज से यह संभव है कि बीमारी को  उसके  शुरुआती स्टेज पर  पकड़ा जाए।

कुल मिलाकर ध्यान इस बात का रखना है कि अपनी जीवन शैली और  दिनचर्या इस प्रकार की रखें जिससे बीमारी से बचा जा सके और दिनचर्या इस प्रकार की भी होनी चाहिए जिससे आपकी हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत रहें ।

देखें वीडियो-आर्थराइटिस के बारे में जानकारी देते डॉ संदीप गर्ग

डॉ. संदीप कपूर व डॉ. संदीप गर्ग ने बताया कि आर्थराइटिस  प्रमुख  रूप  से शरीर के जोड़ों पर असर करता है। परन्तु इसका प्रभाव कई प्रकार से व्यक्ति  के पूरे जीवन  पर पड़  जाता है। आर्थराइटिस आज जीवन शैली सम्बन्धित बीमारियों में प्रथम  स्थान  रखता है। डॉ. कपूर ने बताया कि लखनऊ में लगभग 5 लाख व्यक्ति आर्थराइटिस  से प्रभावित हैं। भारत में यह  संख्या 10 करोड़ है।

डॉ. संदीप गर्ग ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार 10 दस में से सात व्यक्ति आर्थराइटिस से परेशान होते हैं। यह जोड़ों से सम्बन्धित  एक जैसी स्वास्थ्य  से परेशान  होते हैं। बीमारी से ग्रसित व्यक्ति तरह-तरह की परेशानी से गुजरता है। दर्द, चलने-फिरने में कठिनाई, जोड़ों में अकड़न महसूस होना समेत दूसरी परेशानियाँ  होती हैं।

आर्थराइटिस के उपचार व बचाव पर बात करते हुए डॉ.कपूर व डॉ. गर्ग ने कहा कि आर्थराइटिस अन्ततः प्रत्यारोपण सर्जरी के माध्यम से पूर्णतः ठीक हो जाता है परन्तु आधुनिक दवाओं के माध्यम से प्रत्यारोपण को काफी समय तक टाला जा सकता है। साथ ही मरीज इस  दौरान दर्द से भी छुटकारा पा सकते हैं। पत्रकार वार्ता में हेल्‍थ सिटी अस्‍पताल के अधीक्षक डॉ केके सिंह भी उपस्थित रहे।