लखनऊ। किशोरावस्था किसी भी लडक़ी के लिए बहुत उतार-चढ़ाव भरी होती है, क्योंकि इस अवस्था में शरीर में काफी बदलाव आते हैं, जिसके कारण किशोरियां मानसिक रूप से बहुत परेशान हो जाती हैं, वह अपनी बात किसी से कह नहीं पाती हैं, ऐसे में मां की भूमिका बहुत अहम होती है, मां को चाहिये कि वह बेटी से बात करे, जिससे वह अपने मन की बात बता सके। यहां साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में चल रहे नॉर्थ जोन युवा फॉग्सी के दूसरे दिन किशोरियों को होने वाली दिक्कतों के बारे में चर्चा की गयी।
15 साल तक माहवारी न आये तो करायें चेकअप
मुम्बई से आयी डॉ कोमल चवान ने बताया कि अगर किसी किशोरी को 15 साल तक माहवारी शुरू न हो तो स्त्री रोग विशेषज्ञ को जरूर दिखायें। उन्होंने बताया कि सामान्यत: 11 वर्ष की आयु में लडक़ी को माहवारी शुरू हो जाती है। उन्होंने बताया कि लगभग 10 फीसदी केसेज में देखा गया है कि लडक़ी के बच्चेदानी ही नहीं होती है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा एक स्थिति और होती है कि लडक़ी को पीसीओडी की शिकायत होती है इस स्थिति में बच्चेदानी के नीचे एक परत होती है, जिससे माहवारी वही पर जमा होती रहती है। उन्होंने बताया कि इस स्थिति में लडक़ी को प्रत्येक माह तकलीफ माहवारी की तरह ही होती है, लेकिन माहवारी शरीर से बाहर नहीं निकल पाती है। ऐसे में कई तरह की दिक्कत हो जाती है जैसे पेशाब करने में दर्द होना आदि भी होती है। डॉ कोमल ने बताया कि ऐसी स्थिति में सर्जरी कर के बच्चेदानी के नीचे की परत हटा दी जाती है तो यह दिक्कत दूर हो जाती है। उन्होंने बताया कि जिन लड़कियों के जन्म से ही बच्चेदानी नहीं होती है उन्हें मां बनने में दिक्कत नहीं आती है क्योंकि उनके ओवरी यानी अंडाशय होते हैं और उनमें अंडे भी बनते हैं, ऐसी स्थिति में वह टेस्ट ट्यूब बेबी की मदद से मां बन सकती हैं।
नींद न पूरी होने से हो सकती है अनियमित माहवारी
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार किसी किशोरी को अनियमित माहवारी की शिकायत होती है, इसका कारण तनाव होना, नींद न पूरी होना, कम्प्यूटर पर लगातार ज्यादा देर तक बैठना, खानपान दुरुस्त न होना आदि हैं। उन्होंने बताया कि इसके कारण किशोरियों को मुहांसे ज्यादा निकल सकते हैं, शरीर पर बाल ज्यादा हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे में मां को चाहिये कि वह चिकित्सक से सम्पर्क कर इलाज करायें तथा बच्ची की काउंसलिंग करायें।