‘किशोरियों को विवाह से बचाओ, किशोरावस्था में गर्भधारण से बचाओ
उत्तर प्रदेश के चिकित्सा, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण मंत्री सिद्धार्थ नाथ ने किया आह्वान
‘किशोरियों पर मातृत्व बोझ’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि हमारे देश में किशोरावस्था में विवाह करना शारीरिक और कानूनी दृष्टिकोण से ठीक नहीं है, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा होता है, यही नहीं किशोरावस्था में गर्भधारण के चलते होने वाली मृत्यु से उत्तर प्रदेश की मातृ एवं शिशु मृत्यु दर भी काफी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम चल रहा है उसी में किशोरियों को विवाह से बचाओ, किशोरावस्था में गर्भधारण से बचाओ अभियान भी जोड़ दिया जाना चाहिए।
सिद्धार्थ नाथ सिंह आज यहां केजीएमयू स्थित कलाम सेंटर में ‘‘किशोरियों पर मातृत्व बोझ’’ पर आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से किशोरावस्था में विवाह करना गैरकानूनी है, इस दृष्टि से किशोरावस्था में गर्भधारण को कानून मान्यता नहीं देता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जनसंख्या बहुत बड़ी है और कम उम्र में विवाह से होने वाली हानियों के संदर्भ में जागरूकता का अभाव है। जागरूकता के अभाव में ही किशोरियों का विवाह कर दिया जाता है और कम उम्र में ही बड़े पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन में भेज दिया जाता है, जिसका सामाजिक एवं पारिवारिक दबावों के चलते वे विरोध नहीं कर पाती।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा किशोरावस्था में विवाह से किशोरियों की शिक्षा तो बाधित होती ही है, साथ ही कम अवस्था में गर्भधारण से उनका शारीरिक और मानसिक विकास भी बाधित हो जाता है। उन्होने कहा प्रदेश में बड़ी जनसंख्या और कई सामाजिक मान्यताओं के कारण एवं जागरूकता के अभाव से किशोरावस्था में विवाह और गर्भधारण का प्रतिशत भी बड़ा है, जिसका प्रभाव कम उम्र में प्रसव के दुष्परिणामों और शिशु मृत्यु के प्रतिशत पर भी दिखायी देता है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने कार्यशाला में जानकारी दी कि अपने प्रदेश की पृष्ठभूमि को देखते हुए पहली बार वर्ष 2018 में प्रदेश सरकार अपनी चिकित्सा नीति लेकर आयी है। अपनी नीति होने से हम केन्द्र सरकार से सामंजस्य कर अपने प्रदेश के लिए हितकारी फैसले कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि महिलाएं देश के भविष्य को जन्म देती हैं। महिलाएं स्वस्थ होंगी तो बच्चे स्वस्थ होंगे, हमारा देश-हमारा प्रदेश स्वस्थ होगा। उन्होने कहा कि आज लड़ाई इसकी है कि कोख में बच्चा स्वस्थ रहे, बच्चे को जन्म देने वाली मां भी स्वस्थ रहे।
मंत्री ने कार्यशाला में कन्या भ्रूण हत्या और लैंगिक असमानता पर भी चिन्ता व्यक्त की। उन्होने कहा स्वैच्छिक संस्थानों, स्कूलों, चिकित्सालयों द्वारा, चाहे वे सरकारी हों या गैर सरकारी, ऐसे जागरूकता अभियानों को चलाया जाना बेहद आवश्यक है। उन्होने कहा व्यापक सामाजिक जागरूकता से ही ऐसे मामलों पर नियंत्रण किया जा सकता है। उन्होने स्वयंसेवी संस्थानों से अपील की कि वे इस विषय में अपने अभियानों को गांव-गांव तक ले जाकर प्रचार कर जागरूकता लायें।
कार्यशाला का आयोजन महिला एवं बाल विकास से जुड़े मुद्दों पर कार्य कर रही सामाजिक संस्था सोसाइटी फॉर एडवांसमेंट ऑफ विलेज इकोनॉमी (सेव) द्वारा किया गया था, जिसमें सम्मानित अतिथि के तौर पर सूचना आयुक्त उत्तर प्रदेश सुभाष चन्द्र सिंह, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जनरल मैनेजर डॉ मनोज कुमार शुक्ल, सेव की सचिव संपा बनर्जी, पॉपुलेशन ऑफ इण्डिया की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पूनम मुतरेजा, आरएमएल इंस्टीट्यूट में स्त्री रोग विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो0 यशोधरा प्रदीप, केजीएमयू के पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो सूर्यकांत, नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सृष्टि श्रीवास्तव, फीमेल यूथ लीडर शुभांगी चतुर्वेदी व कई अन्य सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, चिकित्सक एवं बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित थे।