लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट के सामने फिलहाल तो अपने अधीनस्थ कार्य करने वालों की कार्यशैली सुधारना ही बड़ी चुनौती साबित हो रही है। यहां सुविधाएं बढ़ाने, रिसर्च आदि की बात तो बाद की है।
केजीएमयू के अधीन एक और डिपार्टमेंट है, भौतिक रूप से इसका भवन थोड़ी दूरी पर है। दिव्यांग मरीजों के लिए बने डालीगंज पुल के सामने डिपार्टमेंट और फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन लिम्ब सेंटर का हाल यह है कि यहां पर कुलपति के फरमान का ज्यादातर लोगों पर कोई असर नहीं है।
टाइम से आयेंगे नहीं, बायोमीट्रिक अटेन्डेंस लगायेंगे नहीं
सूत्रों की मानें तो स्थिति यह है कि यहां पर फैकल्टी सहित ज्यादातर लोग बायोमेट्रिक अटैन्डेंस नही लगाते हैं, वे अपनी उपस्थिति रजिस्टर में ही दर्ज कराते हैं जबकि कुलपति ने बायोमीट्रिक अटेन्डेंस लगाने को जरूरी बताया है। सूत्र बताते हैं कि ऑफिस का समय प्रात: 9 बजे का है लेकिन ऑफिस का स्टाफ रोजाना 10-10.30 से पहले नहीं पहुंचता है। इसी प्रकार ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट भी 10-11 बजे से पहले नहीं आते हैं और 1 बजे चले जाते हैं।
ज्ञात हो लिम्ब सेंटर में ज्यादात दिव्यांग व्यक्ति ही इलाज कराने पहुंंचते हैं ऐसे में मरीजों से सीधे जुड़े कर्मचारियों के देर सवेर आनेे का खामियाजा इन दिव्यांग मरीजों को ही भुगतना पड़ता है।