लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के नये कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट की बात अगर सही साबित हुई तो जल्दी ही केजीएमयू की इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के इलाज में सहूलियत देखने को मिलेगी। ट्रॉमा सेंटर में बाधारहित इलाज के संकेत कुलपति ने शनिवार को बातचीत में दिये हैं। उनसे पूछा गया था कि यहां जो मरीज इमरजेंसी में आते हैं उनके साथ दुर्व्यवहार और लापरवाही की घटनाएं अक्सर होती हैं इसे आप कैसे दुरुस्त करेंगे, इस पर उनका कहना था कि …करेंगे।
डॉक्टरों की कार्यशैली पर उठती रही हैं उंगलियाँ
ज्ञात हो ट्रॉमा सेंटर में आने वाले मरीजों का समय से उपचार के साथ ही यहां कार्य करने वाले रेजीडेंट्स डॉक्टरों के कार्यव्यवहार को लेकर अनेक बार उँगलियाँ उठती रही हैं। अनेक बार तीमारदारों और डॉक्टरों के बीच हाथापाई, मारपीट की खबरें आती रहती हैं। यही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी यहां आने वाले मरीजों के साथ किये जाने वाले दुर्व्यवहार, लूटखसोट के बारे में केजीएमयू में ही मंच से कह चुके हैं, न सिर्फ कह चुके हैं बल्कि प्रदेश के मुखिया की हैसियत से चिकित्सकों को चेतावनी भी दे चुके हैं।
मुख्यमंत्री की मंशा पूरी करना बड़ा काम
अब कुलपति के सामने यहां की बिगड़ी व्यवस्थाओं को सुधारना एक बड़ी चुनौती है। कार्यभार सम्भालने के बाद जिस तरह से कुलपति ने अपनी प्राथमिकताओं को गिनाया है उनमें मरीज को बाधारहित इलाज शामिल है। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा है कि मुझे यहां की दिक्कतों बीमारियों का पता है और इलाज भी जानता हूं। कुलपति ने यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं को अवश्य पूरा किया जायेगा। ऐसे में ट्रैक से हट चुके चिकित्सकों को लाइन पर लाना प्रो भट्ट के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
सख्ती और सम्बन्ध का होगा आमना-सामना
कुलपति की दिक्कत इसलिए भी बढ़ सकती है कि वे वर्षों से इसी संस्थान में कार्यरत हैं तथा नीचे से ऊपर के पदों पर रहते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय के काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। जैसा कि वह खुद भी कहते हैं कि मैं यहां की बीमारी भी जानता हूं और इलाज भी, तो ऐसे में यहां के चिकित्सकों, कर्मचारियों के साथ पुराना सम्बन्ध निभाते हुए वह व्यवस्था में सुधार लाते हुए बदलाव की बयार कैसे बहायेंगे, यह देखने वाली बात होगी।
शुभकामना देने वालों का लगा रहा तांता
अभी तो शुरुआत है, शनिवार को भी उनसे मिलने वालों के आने का तांता लगा रहा। संस्थान के शिक्षक हों या चिकित्सक, कर्मचारी हों या स्टूडेंट सभी अपने-अपने साथ बड़े-छोटे बुके लेकर कुलपति के कार्यालय में उनसे मिलने आ रहे थे, उनके साथ फोटो खिंचा रहे थे। कुलपति प्रो भट्ट भी सभी से बड़ी ही आत्मीयता के साथ मिलकर उनकी शुभकामनाओं को स्वीकार कर रहे थे। मिलने-जुलने के इस माहौल में जहां एक परम्परा और औपचारिकता दिख रही थी वहीं प्रो भट्ट की लोकप्रियता की झलक भी दिख रही थी। इसी लिए उनके लिए यहां की व्यवस्था को दुरुस्त करना अन्य की अपेक्षा ज्यादा कठिन होगा क्योंकि जो वर्षों से उन्हें जानते हैं और यहां की व्यवस्था को बिगाडऩे में या यूं कहें लापरवाही के साथ कार्य करने के आदी हो चुके हैं, ऐसे लोगों पर अनुशासन का चाबुक प्रो भट्ट कैसे चलायेंगे कि बात बिगड़े बिना ही बन जाये, यह प्रो भट्ट की कार्यशैली और कुशलता पर निर्भर करेगा।